
31,110 पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर गर्भित पशु आहार प्रदान युवाओं के लिए घर-द्वार पर जीविकोपार्जन का विश्वसनीय ज़रिया बना पशुपालन
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शिमला , 15 जून ! ग्रामीण जन जीवन में पशुधन का विशेष महत्त्व है। ग्रामवासियों द्वारा पशुओं को पूजा जाता है क्योंकि पशुधन मानव का पोषण करने सहित आजीविका का साधन भी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की पशुधन पर निर्भरता तथा ग्रामीण आर्थिकी में इसके योगदान को देखते हुए प्रदेश सरकार में पशुपालकों के हित में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सर्वप्रथम अपनी चुनावी गारंटी को पूरा करते हुए सरकार द्वारा गाय और भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा अपने अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में पशुपालकों के हितार्थ विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। घर-द्वार पर उत्कृष्ट पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए मोबाइल वैटर्नरी यूनिट की स्थापना की गई है तथा 44 चिकित्सा पशु वाहन क्रय कर प्रदेशभर में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। किसी भी प्रकार के रोग अथवा अन्य समस्याओं के लिए 1962 टॉल फ्री हेल्पलाइन आरम्भ की गई है। इस दूरभाष के माध्यम से अब तक पशु रोग से संबंधित 18723 तथा अन्य जानकारी से संबंधित 17850 मामले प्राप्त हुए हैं जिनका निपटारा मोबाइल वैटर्नरी यूनिट तथा पशुपालन विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर किया गया है। गरीबी रेखा से नीचे रह रहे पशुपालकों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहन करने के ध्येय से सरकार द्वारा गर्भित पशु आहार योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस योजना के तहत अभी तक 31 हजार 110 पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर गर्भित पशु आहार उपलब्ध करवाया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा पशु पालन क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से उठाए गए विभिन्न कदम जमीनी स्तर पर क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल रहे हैं। पशु पालकों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने तथा किसानों के लिए अतिरिक्त आय के आकर्षक स्त्रोत के रूप में दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है। ऐतिहासिक पहल करते हुए गाय एवं भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना है। वर्तमान में प्रदेश सरकार प्रतिदिन औसतन 38400 पशुपालकों से 2 लाख 25 हजार लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। इसी प्रकार प्रतिदिन औसतन 1482 पशुपालकों से 7800 लीटर भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर समर्थन मूल्य पर गुणवत्ता के आधार पर खरीदा जा रहा है। प्रदेश सरकार ने पायलट आधार पर 70 रुपये प्रति लीटर की दर से बकरी के दूध की खरीद भी आरम्भ की है। इसके अलावा नई दुग्ध उपार्जन सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है तथा इनमें अब तक 5166 किसानों को जोड़ा गया है। हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत 602500 एक दिन की आयु के व्यावसायिक ब्रॉयलर चूजे वितरित किए गए हैं और 155 व्यावसायिक ब्रॉयलर इकाइयों की स्थापना के लिए 6 करोड़ 13 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। पशुपालन विभाग द्वारा 21वीं पशुधन गणना का कार्य निर्धारित समय अवधि में किया गया है। पशुपालन को बढ़ावा देने व पशुपालकों के लिए इस क्षेत्र को आर्थिक रूप से आकर्षक बनाने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से न केवल पशुपालन युवाओं के लिए घर-द्वार पर जीविकोपार्जन का विश्वसनीय ज़रिया बनेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करते हुए प्रदेश के विकास में सहयोगी भी बनेगा।
शिमला , 15 जून ! ग्रामीण जन जीवन में पशुधन का विशेष महत्त्व है। ग्रामवासियों द्वारा पशुओं को पूजा जाता है क्योंकि पशुधन मानव का पोषण करने सहित आजीविका का साधन भी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की पशुधन पर निर्भरता तथा ग्रामीण आर्थिकी में इसके योगदान को देखते हुए प्रदेश सरकार में पशुपालकों के हित में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सर्वप्रथम अपनी चुनावी गारंटी को पूरा करते हुए सरकार द्वारा गाय और भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा अपने अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में पशुपालकों के हितार्थ विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। घर-द्वार पर उत्कृष्ट पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए मोबाइल वैटर्नरी यूनिट की स्थापना की गई है तथा 44 चिकित्सा पशु वाहन क्रय कर प्रदेशभर में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। किसी भी प्रकार के रोग अथवा अन्य समस्याओं के लिए 1962 टॉल फ्री हेल्पलाइन आरम्भ की गई है।
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इस दूरभाष के माध्यम से अब तक पशु रोग से संबंधित 18723 तथा अन्य जानकारी से संबंधित 17850 मामले प्राप्त हुए हैं जिनका निपटारा मोबाइल वैटर्नरी यूनिट तथा पशुपालन विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर किया गया है।
गरीबी रेखा से नीचे रह रहे पशुपालकों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहन करने के ध्येय से सरकार द्वारा गर्भित पशु आहार योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस योजना के तहत अभी तक 31 हजार 110 पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर गर्भित पशु आहार उपलब्ध करवाया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा पशु पालन क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से उठाए गए विभिन्न कदम जमीनी स्तर पर क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल रहे हैं। पशु पालकों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने तथा किसानों के लिए अतिरिक्त आय के आकर्षक स्त्रोत के रूप में दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
ऐतिहासिक पहल करते हुए गाय एवं भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना है। वर्तमान में प्रदेश सरकार प्रतिदिन औसतन 38400 पशुपालकों से 2 लाख 25 हजार लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। इसी प्रकार प्रतिदिन औसतन 1482 पशुपालकों से 7800 लीटर भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर समर्थन मूल्य पर गुणवत्ता के आधार पर खरीदा जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने पायलट आधार पर 70 रुपये प्रति लीटर की दर से बकरी के दूध की खरीद भी आरम्भ की है। इसके अलावा नई दुग्ध उपार्जन सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है तथा इनमें अब तक 5166 किसानों को जोड़ा गया है।
हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत 602500 एक दिन की आयु के व्यावसायिक ब्रॉयलर चूजे वितरित किए गए हैं और 155 व्यावसायिक ब्रॉयलर इकाइयों की स्थापना के लिए 6 करोड़ 13 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। पशुपालन विभाग द्वारा 21वीं पशुधन गणना का कार्य निर्धारित समय अवधि में किया गया है।
पशुपालन को बढ़ावा देने व पशुपालकों के लिए इस क्षेत्र को आर्थिक रूप से आकर्षक बनाने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से न केवल पशुपालन युवाओं के लिए घर-द्वार पर जीविकोपार्जन का विश्वसनीय ज़रिया बनेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करते हुए प्रदेश के विकास में सहयोगी भी बनेगा।
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