किसानों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा जल शक्ति विभाग
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सिरमौर, 10 नवंबर [ विशाल सूद ] ! जिले की उपजाऊ दून घाटी, जो अपनी गेहूं और धान की बंपर पैदावार के लिए जानी जाती है, इस वक्त पानी की भीषण किल्लत से जूझ रही है। घाटी के करीब 10 गांवों में नहरें सूख चुकी हैं, खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और किसान अब चिंता में डूबे हुए हैं। जल संकट से परेशान किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल आज जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता से मिला। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को बताया कि गिरी नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से बना पंप हाउस पूरी तरह तहस-नहस हो चुका है, जिसकी वजह से खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। किसानों ने कहा बिजाई का समय निकल रहा है, और पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।” हालात इतने गंभीर हैं कि किसानों को अब कैंपरों से पानी खरीदकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ रही है। इससे उनकी लागत कई गुना बढ़ गई है। गांव के एक बुजुर्ग किसान ने कहा पहले नहरों से भरपूर पानी आता था, अब खेत सूख गए हैं। सरकार अगर नहीं जागी, तो अन्नदाता के खेत बंजर हो जाएंगे।” जल्द कदम नहीं उठाए, तो करीब 500 बीघा से ज्यादा भूमि सूखी रह जाएगी। इससे न केवल अन्न उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर भी संकट गहराएगा। अधिशासी अभियंता ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि विभाग जल्द ही पंप हाउस की मरम्मत करवा कर पानी की आपूर्ति बहाल करेगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा ताकि किसानों को आगे परेशान न होना पड़े। किसानों का कहना है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, वे अपनी मेहनत से खेतों को हरा-भरा करेंगे। लेकिन अगर सरकार और विभाग ने लापरवाही दिखाई, तो अबकी बार अन्नदाता सड़क पर उतरेंगे।
सिरमौर, 10 नवंबर [ विशाल सूद ] ! जिले की उपजाऊ दून घाटी, जो अपनी गेहूं और धान की बंपर पैदावार के लिए जानी जाती है, इस वक्त पानी की भीषण किल्लत से जूझ रही है। घाटी के करीब 10 गांवों में नहरें सूख चुकी हैं, खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और किसान अब चिंता में डूबे हुए हैं।
जल संकट से परेशान किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल आज जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता से मिला। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को बताया कि गिरी नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से बना पंप हाउस पूरी तरह तहस-नहस हो चुका है, जिसकी वजह से खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा।
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किसानों ने कहा बिजाई का समय निकल रहा है, और पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।”
हालात इतने गंभीर हैं कि किसानों को अब कैंपरों से पानी खरीदकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ रही है। इससे उनकी लागत कई गुना बढ़ गई है। गांव के एक बुजुर्ग किसान ने कहा पहले नहरों से भरपूर पानी आता था, अब खेत सूख गए हैं। सरकार अगर नहीं जागी, तो अन्नदाता के खेत बंजर हो जाएंगे।”
जल्द कदम नहीं उठाए, तो करीब 500 बीघा से ज्यादा भूमि सूखी रह जाएगी। इससे न केवल अन्न उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर भी संकट गहराएगा। अधिशासी अभियंता ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि विभाग जल्द ही पंप हाउस की मरम्मत करवा कर पानी की आपूर्ति बहाल करेगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा ताकि किसानों को आगे परेशान न होना पड़े।
किसानों का कहना है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, वे अपनी मेहनत से खेतों को हरा-भरा करेंगे। लेकिन अगर सरकार और विभाग ने लापरवाही दिखाई, तो अबकी बार अन्नदाता सड़क पर उतरेंगे।
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