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चम्बा , 10 नवंबर [ शिवानी ] ! चम्बा के चमीनू स्थित एचटूओ आनंदम में शुक्रवार को लिखणू कार्यशाला का आयोजन किया गया। पारंपरिक लिखणू कार्यशाला का आयोजन एचटूओ आनंदम, परिवर्तन, पहचान, चम्बा री-डिस्कवर्ड, उमंग महिला ग्राम संगठन तथा गाब्दिका आदि स्वयं सहायता समूहों की ओर से किया गया। इसमें जिला रेडक्रास अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष श्वेता देवगन व पद्मश्री विजय शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे। इस दौरान जहां युवतियों व महिलाओं को लिखणू कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। वहीं, दिवाली को लेकर ग्रामीणों को घरों के साथ-साथ गांव को स्वच्छ बनाने के लिए भी प्रेरित किया गया। मास्टर ट्रेनर रेखा व भावना ने सबको इस कला की बारीकियां सिखाईं। रेखा को लिखणू कला को सहेजने के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। इस दौरान पदमश्री विजय शर्मा व आयोजक रेणू शर्मा ने युवतियों व महिलाओं को बताया कि लिखणू का इस्तेमाल दिवाली सहित अन्य त्योहारों व शुभ कार्य के अवसर पर किया जाता है। लिखणू एक प्रकार की कला है। दिवाली से पूर्व इस कला को आज की युवा पीढ़ी को सिखाने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया। लिखणू कला से चित्र तैयार करने के लिए सबसे पले गेहूं से तरकीरा तैयार किया जाता है। तरकीरा तैयार करने के लिए सबसे पहले गेहूं को पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद इन्हें पानी से निकालकर तरकीरा तैयार होता है। तरकीरे को सुखाने के बाद संभालकर रख लिया जाता है। जब कोई त्योहार या शुभ कार्य होता है तो सूखे हुए तरकीरे को दोबारा से भिगोकर उसे गीला किया जाता है। इसके बाद इससे कई प्रकार की कलाकृतियां तैयार की जाती हैं। दिवाली के अवसर पर तरकीरे से माता लक्ष्मी की चरण पादुकाएं, फूल व अन्य तरह की चित्रकला तैयार की जाती है, जो कि देखने में बहुत सुंदर लगती है। पारंपरिक विधि के बारे में आयोजित कार्यशाला में ज्योति, अनुराधा तथा उषा का मुख्य योगदान रहा। इसमें महिला कबड्डी खिलाड़ियों ने भी सिखणू कला सीखी। चम्बा की पारंपरिक सिखणू कला को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुक्रावार को एचटूओ आनंदम में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें बुजुर्ग महिलाओं से लेकर युवतियों ने कला को मास्टर ट्रेनर की देखरेख में सीखा। रेणू शर्मा, आयोजक सिखणू कार्यशाला। चम्बा की पारंपरिक सिखणू कला का अपना एक अलग महत्व है। इस कला को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का यह एक सफल प्रयास रहा। एचटूओ आनंदम में पहुंची युवतियों को इस कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। चम्बा की संस्कृति काफी स्मृद्ध है। यहां की कला अनूठी है। युवा पीढ़ी तक इस कला को पहुंचाने के लिए एचटूओ आनंदम में आयोजित कार्यशाला की मैं सराहना करती हूं। इस तरह की कार्यशालाएं पारंपरिक कलाओं को जीवंत रखने का कार्य करती हैं।
चम्बा , 10 नवंबर [ शिवानी ] ! चम्बा के चमीनू स्थित एचटूओ आनंदम में शुक्रवार को लिखणू कार्यशाला का आयोजन किया गया। पारंपरिक लिखणू कार्यशाला का आयोजन एचटूओ आनंदम, परिवर्तन, पहचान, चम्बा री-डिस्कवर्ड, उमंग महिला ग्राम संगठन तथा गाब्दिका आदि स्वयं सहायता समूहों की ओर से किया गया।
इसमें जिला रेडक्रास अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष श्वेता देवगन व पद्मश्री विजय शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे। इस दौरान जहां युवतियों व महिलाओं को लिखणू कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
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वहीं, दिवाली को लेकर ग्रामीणों को घरों के साथ-साथ गांव को स्वच्छ बनाने के लिए भी प्रेरित किया गया। मास्टर ट्रेनर रेखा व भावना ने सबको इस कला की बारीकियां सिखाईं। रेखा को लिखणू कला को सहेजने के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। इस दौरान पदमश्री विजय शर्मा व आयोजक रेणू शर्मा ने युवतियों व महिलाओं को बताया कि लिखणू का इस्तेमाल दिवाली सहित अन्य त्योहारों व शुभ कार्य के अवसर पर किया जाता है।
लिखणू एक प्रकार की कला है। दिवाली से पूर्व इस कला को आज की युवा पीढ़ी को सिखाने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया। लिखणू कला से चित्र तैयार करने के लिए सबसे पले गेहूं से तरकीरा तैयार किया जाता है। तरकीरा तैयार करने के लिए सबसे पहले गेहूं को पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद इन्हें पानी से निकालकर तरकीरा तैयार होता है। तरकीरे को सुखाने के बाद संभालकर रख लिया जाता है।
जब कोई त्योहार या शुभ कार्य होता है तो सूखे हुए तरकीरे को दोबारा से भिगोकर उसे गीला किया जाता है। इसके बाद इससे कई प्रकार की कलाकृतियां तैयार की जाती हैं। दिवाली के अवसर पर तरकीरे से माता लक्ष्मी की चरण पादुकाएं, फूल व अन्य तरह की चित्रकला तैयार की जाती है, जो कि देखने में बहुत सुंदर लगती है। पारंपरिक विधि के बारे में आयोजित कार्यशाला में ज्योति, अनुराधा तथा उषा का मुख्य योगदान रहा। इसमें महिला कबड्डी खिलाड़ियों ने भी सिखणू कला सीखी।
चम्बा की पारंपरिक सिखणू कला को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुक्रावार को एचटूओ आनंदम में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें बुजुर्ग महिलाओं से लेकर युवतियों ने कला को मास्टर ट्रेनर की देखरेख में सीखा। रेणू शर्मा, आयोजक सिखणू कार्यशाला।
चम्बा की पारंपरिक सिखणू कला का अपना एक अलग महत्व है। इस कला को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का यह एक सफल प्रयास रहा। एचटूओ आनंदम में पहुंची युवतियों को इस कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
चम्बा की संस्कृति काफी स्मृद्ध है। यहां की कला अनूठी है। युवा पीढ़ी तक इस कला को पहुंचाने के लिए एचटूओ आनंदम में आयोजित कार्यशाला की मैं सराहना करती हूं। इस तरह की कार्यशालाएं पारंपरिक कलाओं को जीवंत रखने का कार्य करती हैं।
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