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धर्मशाला , 21 मार्च ! केंद्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला में हिमाचल की मातृभाषाओं और पहाड़ी बोलियों को बढ़ावा देने तथा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के उदेश्य से भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में विकसित भारत के निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका और सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक प्रगति के लिए मातृभाषाओं में शिक्षा की अनिवार्यता पर पर जोर दिया गया। विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि में जल्द ही हिमाचली भाषाओं में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा। उन्होंने शीधार्थियों को जिज्ञासु प्रवित्ति का बनने पर जोर दिया और मातृभाषाओं पर बात करते हुए बताया कि भारत में लगभग 1369 मातृभाषाएं और भारतीय गणना के अनुसार 19569 बोलियां हैं। उन्होंने भारत बताया कि इस समारोह के द्वितीय सत्र में हिमाचल प्रदेश के कई सम्माननीय साहित्यकार, शिक्षाविद, संपादक व पत्रकारों ने एकजुट होकर मातृ भाषाओं के उत्तरोत्तर विकास के लिए विचार मंथन किया । जिससे हिमाचल की लोकभाषाओं के विकास के लिए भारतीय भाषा समिति को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्रो.जगदीश शर्मा जी ने बताया कि उन्होंने द लैंग्वेजेस ऑफ हिमाचल प्रदेश का हिंदी और हिमाचल प्रदेश की बोलियों में अनुवाद कार्य किया है और ऐसे कार्यों को बढ़ावा मिलना चाहिए। साथ ही उनका सुझाव है कि भारत की अन्य कई प्रादेशिक भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा की अनिवार्यता पर भी जोर दिया। इस विमर्श से विकसित भारत के निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका और सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक प्रगति के लिए मातृभाषाओं में शिक्षा की अनिवार्यता पर पर जोर दिया गया।
धर्मशाला , 21 मार्च ! केंद्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला में हिमाचल की मातृभाषाओं और पहाड़ी बोलियों को बढ़ावा देने तथा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के उदेश्य से भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में विकसित भारत के निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका और सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक प्रगति के लिए मातृभाषाओं में शिक्षा की अनिवार्यता पर पर जोर दिया गया।
विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि में जल्द ही हिमाचली भाषाओं में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा। उन्होंने शीधार्थियों को जिज्ञासु प्रवित्ति का बनने पर जोर दिया और मातृभाषाओं पर बात करते हुए बताया कि भारत में लगभग 1369 मातृभाषाएं और भारतीय गणना के अनुसार 19569 बोलियां हैं।
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उन्होंने भारत बताया कि इस समारोह के द्वितीय सत्र में हिमाचल प्रदेश के कई सम्माननीय साहित्यकार, शिक्षाविद, संपादक व पत्रकारों ने एकजुट होकर मातृ भाषाओं के उत्तरोत्तर विकास के लिए विचार मंथन किया । जिससे हिमाचल की लोकभाषाओं के विकास के लिए भारतीय भाषा समिति को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
प्रो.जगदीश शर्मा जी ने बताया कि उन्होंने द लैंग्वेजेस ऑफ हिमाचल प्रदेश का हिंदी और हिमाचल प्रदेश की बोलियों में अनुवाद कार्य किया है और ऐसे कार्यों को बढ़ावा मिलना चाहिए। साथ ही उनका सुझाव है कि भारत की अन्य कई प्रादेशिक भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा की अनिवार्यता पर भी जोर दिया। इस विमर्श से विकसित भारत के निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका और सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक प्रगति के लिए मातृभाषाओं में शिक्षा की अनिवार्यता पर पर जोर दिया गया।
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