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धर्मशाला ,28 दिसंबर ! हिमाचल प्रदेश उच्च न्यालय के दिशा-निर्देशों को ईश्वरीय तुल्य दिशा-निर्देश बताते हुये पालमपुर के पीड़ित कारोबारी निशांत शर्मा ने हाइकोर्ट का आभार जताया है, उन्होंने कहा कि आज अगर वो मीडिया के सामने मुखातिब हो पा रहे हैं तो भी इसके पीछे की बड़ी वजह हमारी न्यायिक प्रणाली ही है अन्यथा अब तक वो जिंदा नहीं होते, क्योंकि उनके और उनके परिवार के ऊपर एक नहीं दो दो मर्तबा जानलेवा हमले हो चुके हैं, जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं और दोनों ही मामलों में पुलिस की प्राथमिक कार्रवाई आम आदमी की सुरक्षा की लिहाज़ से बेहद साधारण थी। एक आम आदमी को प्रदेश के डीजीपी जिन्हें वो जानते तक नहीं वो शिमला आकर उनसे मिलने को कहते हैं और उसके ठीक दो घण्टे बाद उनके ऊपर हमला हो जाता है ये समझ से परे था, ऐसी स्थिति में उनके पास पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के साथ साथ न्यायालय का दरवाजा खटखटाना उचित लगा और दोनों ही परिस्थितियों में उन्हें न्यायालय ने ही जीवनदान दिया है, वो और उनका परिवार देश और प्रदेश की न्याय प्रणाली से बेहद ख़ुश और संतोष महसूस कर रहे हैं जहां से उन्हें जीवन जीने की आस बंधी है, एक आम आदमी को जहां पुलिस से सुरक्षा की आस होती है वो आज भी विश्वास से परे है।
धर्मशाला ,28 दिसंबर ! हिमाचल प्रदेश उच्च न्यालय के दिशा-निर्देशों को ईश्वरीय तुल्य दिशा-निर्देश बताते हुये पालमपुर के पीड़ित कारोबारी निशांत शर्मा ने हाइकोर्ट का आभार जताया है, उन्होंने कहा कि आज अगर वो मीडिया के सामने मुखातिब हो पा रहे हैं तो भी इसके पीछे की बड़ी वजह हमारी न्यायिक प्रणाली ही है अन्यथा अब तक वो जिंदा नहीं होते, क्योंकि उनके और उनके परिवार के ऊपर एक नहीं दो दो मर्तबा जानलेवा हमले हो चुके हैं, जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं और दोनों ही मामलों में पुलिस की प्राथमिक कार्रवाई आम आदमी की सुरक्षा की लिहाज़ से बेहद साधारण थी।
एक आम आदमी को प्रदेश के डीजीपी जिन्हें वो जानते तक नहीं वो शिमला आकर उनसे मिलने को कहते हैं और उसके ठीक दो घण्टे बाद उनके ऊपर हमला हो जाता है ये समझ से परे था, ऐसी स्थिति में उनके पास पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के साथ साथ न्यायालय का दरवाजा खटखटाना उचित लगा और दोनों ही परिस्थितियों में उन्हें न्यायालय ने ही जीवनदान दिया है, वो और उनका परिवार देश और प्रदेश की न्याय प्रणाली से बेहद ख़ुश और संतोष महसूस कर रहे हैं जहां से उन्हें जीवन जीने की आस बंधी है, एक आम आदमी को जहां पुलिस से सुरक्षा की आस होती है वो आज भी विश्वास से परे है।
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