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मंडी , 31 दिसंबर [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश की लोकनाट्य परंपरा में बांठ्ड़ा का विशेष नाम है यह मंडी जनपद का लोकप्रिय नाटक होने के साथ-साथ यहां की लोक संस्कृति का दर्पण भी रहा है यह पुरातन काल से खेला जाता रहा है और इसे राजतंत्र का प्रेस मानकर समसामयिक घटनाओं, सामाजिक कृतियों को नकल या स्वांग के माध्यम से जनमानस के समक्ष हास- परिहास कर भरपूर मनोरंजन के साथ प्रस्तुत करके जागरूकता का संदेश दिया जाता रहा है। परंतु वर्तमान में समाज की बदलती परिस्थितियों के कारण यह लोकनाट्य हाश्य में जा चुका है लोक संस्कृति के प्रति युवाओं का घटता रुझान और पाश्चात्य संस्कृति के आकर्षण (ग्लैमर )के साथ मोबाइल, टीवी और प्रतिदिन की भाग दौड़ भरी जीवन शैली ने लोकनाट्य बांठ्ड़ा को लुप्त होने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है वर्तमान में मंडी जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका प्रचलन न के बराबर ही है। सिर्फ इक्का - दुक्का ग्रामीण दलों या कला मंचों द्वारा दीपावली के अवसर पर या इससे पूर्व या बाद में एक आध बार बांठ्ड़ा खेला जाता है परंतु इसके बावजूद विभिन्न चुनौतीयों के साथ मंडी जनपद की संस्था मांडव्य कला मंच इसे संरक्षित के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए मांडव्य कला मंच के संस्थापक संस्कृति कर्मी व सेवा निवृत जिला लोक संपर्क अधिकारी कुलदीप गुलेरिया अग्रणी भूमिका में है।
मंडी , 31 दिसंबर [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश की लोकनाट्य परंपरा में बांठ्ड़ा का विशेष नाम है यह मंडी जनपद का लोकप्रिय नाटक होने के साथ-साथ यहां की लोक संस्कृति का दर्पण भी रहा है यह पुरातन काल से खेला जाता रहा है और इसे राजतंत्र का प्रेस मानकर समसामयिक घटनाओं, सामाजिक कृतियों को नकल या स्वांग के माध्यम से जनमानस के समक्ष हास- परिहास कर भरपूर मनोरंजन के साथ प्रस्तुत करके जागरूकता का संदेश दिया जाता रहा है। परंतु वर्तमान में समाज की बदलती परिस्थितियों के कारण यह लोकनाट्य हाश्य में जा चुका है लोक संस्कृति के प्रति युवाओं का घटता रुझान और पाश्चात्य संस्कृति के आकर्षण (ग्लैमर )के साथ मोबाइल, टीवी और प्रतिदिन की भाग दौड़ भरी जीवन शैली ने लोकनाट्य बांठ्ड़ा को लुप्त होने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है वर्तमान में मंडी जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका प्रचलन न के बराबर ही है।
सिर्फ इक्का - दुक्का ग्रामीण दलों या कला मंचों द्वारा दीपावली के अवसर पर या इससे पूर्व या बाद में एक आध बार बांठ्ड़ा खेला जाता है परंतु इसके बावजूद विभिन्न चुनौतीयों के साथ मंडी जनपद की संस्था मांडव्य कला मंच इसे संरक्षित के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए मांडव्य कला मंच के संस्थापक संस्कृति कर्मी व सेवा निवृत जिला लोक संपर्क अधिकारी कुलदीप गुलेरिया अग्रणी भूमिका में है।
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