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लाहौल ! जनजातीय लाहौल घाटी के देव स्थल गुंचलिंग में शनिवार को भी आठों देवी देवता देर शाम तक विराजमान रहे। सुबह देवलूओं ने सभी देवों के छत्र में ढ़के पवित्र बस्तर को हटाकर श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए खोल दिया है। दोपहर बाद राजा घेपन के गुर टाशी और मिलनग तेते के गुर सहित सभी देवी देवताओं के देवलू देवस्थल पहुंचे और गुंचलिंग के मैदान में रथो की परिक्रमा की गई। इसी बीच सभी देवी देवताओं ने भव्य देव मिलन किया, इसको देख लोग भावुक हो गए ! दोपहर बाद करीब चार बजे घेपन के गुर सहित देवी बोटी आदि पैदल गुंचलिंग रवाना हुए और पवित्र चश्मे से शुद्धि कर गुंचलिंग पहुंचे।जहां सभी ने देव रीति के साथ पूजा अर्चना की। देवी बोटी और राजा घेपन अपनी माता जगदुल के साथ रात को जागला स्थित थान में रुके।
लाहौल ! जनजातीय लाहौल घाटी के देव स्थल गुंचलिंग में शनिवार को भी आठों देवी देवता देर शाम तक विराजमान रहे। सुबह देवलूओं ने सभी देवों के छत्र में ढ़के पवित्र बस्तर को हटाकर श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए खोल दिया है। दोपहर बाद राजा घेपन के गुर टाशी और मिलनग तेते के गुर सहित सभी देवी देवताओं के देवलू देवस्थल पहुंचे और गुंचलिंग के मैदान में रथो की परिक्रमा की गई। इसी बीच सभी देवी देवताओं ने भव्य देव मिलन किया, इसको देख लोग भावुक हो गए !
दोपहर बाद करीब चार बजे घेपन के गुर सहित देवी बोटी आदि पैदल गुंचलिंग रवाना हुए और पवित्र चश्मे से शुद्धि कर गुंचलिंग पहुंचे।जहां सभी ने देव रीति के साथ पूजा अर्चना की। देवी बोटी और राजा घेपन अपनी माता जगदुल के साथ रात को जागला स्थित थान में रुके।
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