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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी पिछले कुछ दिनों से राज्य में कोविड19 संक्रमित मरीजों की संख्या व इससे हो रही मौतों की संख्या में तेज़ी से हो रही वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है और प्रदेश सरकार से पुनः मांग करती है कि इससे निपटने के लिए युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करे। स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदेश में सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए कुशल नेतृत्व में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों जिनमे मुख्यतः चिकित्सा, वायरोलॉजी, प्रबंधन व इससे संबंधित लोगों की एक टास्क फोर्स का गठन किया जाए। इससे निपटने के लिए प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यकतानुसार डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ की तुरन्त भर्ती व बुनियादी सुविधाओं तथा ढांचे का निर्माण तुरन्त किया जाए। सरकार निजी अस्पतालों व लैब को भी कोविड19 के निशुल्क इलाज व टेस्ट के लिए तुरन्त आदेश जारी करे। सरकार इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का प्रावधान कर इसको रोकने के लिए संजीदगी से प्रयास करे अन्यथा अगर इसको रोकने के लिए सरकार तुरन्त ठोस कदम नहीं उठाती तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश में भी स्थिति भयावह हो जाएगी। प्रदेश में कोविड19 से संक्रमित मरीजों की संख्या 27500 तक पहुंच गई है और इससे आजतक 400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं। जिस तेजी से कोविड19 का संक्रमण प्रदेश में फैल रहा है उससे प्रतीत होता है कि अब प्रदेश के कुछ जिलों में संक्रमण सामुदायिक फ़ैलाव आरम्भ हो गया है। पिछले 6 दिनों से प्रदेश में 600 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहे हैं और इससे होने वाली मृत्यु की संख्या में भी वृद्धि हुई है। शिमला, मण्डी में तो इन दिनों में 100 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहें हैं जो कि अत्यंत चिंता का विषय है। जैसे जैसे प्रदेश में कोविड19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराने लग गई है। आज प्रदेश की राजधानी शिमला में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल डी डी यू व आई जी एम सी में कोविड19 के मरीजों के लिए बनाए गए सभी बिस्तर मरीजों से भर गये है और अब अतिरिक्त मरीजों को दाखिल करने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। शिमला आई जी एम सी व हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के लैब में स्टाफ संक्रमित होने के कारण इनको बन्द कर दिया गया है और अब यहाँ टेस्ट कराने में लोगों को बहुत परेशानी हो गई है और रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल रही है। कमला नेहरू महिला अस्पताल में भी डॉक्टर व स्टाफ संक्रमित होने व ऑपरेशन थिएटर बन्द होने के कारण आज मरीजों को परेशानी हो गई है। राज्य अस्पताल आई जी एम सी में भी डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों के चलते ओ पी डी भी सही रूप से कार्य नहीं कर पा रही है जिससे अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज़ भी नहीं हो रहा है और उन्हें पीड़ा का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आज प्रदेश भर में सरकार की भर्ती पर रोक की नीति के कारण डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के हजारों पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में केवल लैब टेक्नीशियन के लगभग 1000 पदों में से 700 से अधिक पड़ रिक्त पड़े हैं। जिसके कारण अब अस्पतालों व अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में जो भी सीमित स्टाफ है बेहद दबाव में कार्य करने के लिए मज़बूर है। मार्च,2020 में लॉक डाउन व कर्फ्यू लगाने के बाद सरकार को आठ माह में सरकार को प्रदेश में कोविड19 से निपटने के लिए जिस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए थी वह उस प्रकार की तैयारी करने में पूर्णतः विफल रही है। इस दौरान स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जो तैयारी सरकार को करनी चाहिए थी वह बिल्कुल नहीं की गई। सरकार ने उस समय कोविड19 को हल्के में लिया व इसकी गंभीरता को नजरअंदाज कर ताली, थाली व हवन यज्ञ जैसे अवैज्ञानिक व दकियानूसी तरीकों से इसका मुकाबला करने के लिए जनता को गुमराह किया गया। यदि उस समय सरकार इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक व प्रगतिशील दृष्टिकोण से उचित क़दम उठाकर स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाती तो आज प्रदेश की जनता को इस प्रकार के संकट का सामना न करना पड़ता और कोविड19 के संक्रमण के फैलाव पर नियंत्रण किया जा सकता।
शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी पिछले कुछ दिनों से राज्य में कोविड19 संक्रमित मरीजों की संख्या व इससे हो रही मौतों की संख्या में तेज़ी से हो रही वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है और प्रदेश सरकार से पुनः मांग करती है कि इससे निपटने के लिए युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करे। स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदेश में सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए कुशल नेतृत्व में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों जिनमे मुख्यतः चिकित्सा, वायरोलॉजी, प्रबंधन व इससे संबंधित लोगों की एक टास्क फोर्स का गठन किया जाए। इससे निपटने के लिए प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यकतानुसार डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ की तुरन्त भर्ती व बुनियादी सुविधाओं तथा ढांचे का निर्माण तुरन्त किया जाए। सरकार निजी अस्पतालों व लैब को भी कोविड19 के निशुल्क इलाज व टेस्ट के लिए तुरन्त आदेश जारी करे। सरकार इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का प्रावधान कर इसको रोकने के लिए संजीदगी से प्रयास करे अन्यथा अगर इसको रोकने के लिए सरकार तुरन्त ठोस कदम नहीं उठाती तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश में भी स्थिति भयावह हो जाएगी।
प्रदेश में कोविड19 से संक्रमित मरीजों की संख्या 27500 तक पहुंच गई है और इससे आजतक 400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं। जिस तेजी से कोविड19 का संक्रमण प्रदेश में फैल रहा है उससे प्रतीत होता है कि अब प्रदेश के कुछ जिलों में संक्रमण सामुदायिक फ़ैलाव आरम्भ हो गया है। पिछले 6 दिनों से प्रदेश में 600 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहे हैं और इससे होने वाली मृत्यु की संख्या में भी वृद्धि हुई है। शिमला, मण्डी में तो इन दिनों में 100 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहें हैं जो कि अत्यंत चिंता का विषय है।
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जैसे जैसे प्रदेश में कोविड19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराने लग गई है। आज प्रदेश की राजधानी शिमला में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल डी डी यू व आई जी एम सी में कोविड19 के मरीजों के लिए बनाए गए सभी बिस्तर मरीजों से भर गये है और अब अतिरिक्त मरीजों को दाखिल करने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। शिमला आई जी एम सी व हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के लैब में स्टाफ संक्रमित होने के कारण इनको बन्द कर दिया गया है और अब यहाँ टेस्ट कराने में लोगों को बहुत परेशानी हो गई है और रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल रही है। कमला नेहरू महिला अस्पताल में भी डॉक्टर व स्टाफ संक्रमित होने व ऑपरेशन थिएटर बन्द होने के कारण आज मरीजों को परेशानी हो गई है। राज्य अस्पताल आई जी एम सी में भी डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों के चलते ओ पी डी भी सही रूप से कार्य नहीं कर पा रही है जिससे अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज़ भी नहीं हो रहा है और उन्हें पीड़ा का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आज प्रदेश भर में सरकार की भर्ती पर रोक की नीति के कारण डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के हजारों पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में केवल लैब टेक्नीशियन के लगभग 1000 पदों में से 700 से अधिक पड़ रिक्त पड़े हैं। जिसके कारण अब अस्पतालों व अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में जो भी सीमित स्टाफ है बेहद दबाव में कार्य करने के लिए मज़बूर है।
मार्च,2020 में लॉक डाउन व कर्फ्यू लगाने के बाद सरकार को आठ माह में सरकार को प्रदेश में कोविड19 से निपटने के लिए जिस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए थी वह उस प्रकार की तैयारी करने में पूर्णतः विफल रही है। इस दौरान स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जो तैयारी सरकार को करनी चाहिए थी वह बिल्कुल नहीं की गई। सरकार ने उस समय कोविड19 को हल्के में लिया व इसकी गंभीरता को नजरअंदाज कर ताली, थाली व हवन यज्ञ जैसे अवैज्ञानिक व दकियानूसी तरीकों से इसका मुकाबला करने के लिए जनता को गुमराह किया गया। यदि उस समय सरकार इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक व प्रगतिशील दृष्टिकोण से उचित क़दम उठाकर स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाती तो आज प्रदेश की जनता को इस प्रकार के संकट का सामना न करना पड़ता और कोविड19 के संक्रमण के फैलाव पर नियंत्रण किया जा सकता।
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