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शिमला ! वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण आज अधिकांश देशों में मानवता पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है और पूरा विश्व इस संकट के कारण सकते में आ गया है। चुनिंदा देशों को छोड़ कर इस महामारी से अधिकांश देश बुरी तरह से त्रस्त है। भारत मे भी इस महामारी का प्रकोप बढता जा रहा है जोकि अत्यंत चिंतनीय विषय है। देश मे इस माहमारी का सामुदायिक फैलाव रोकने के लिए सरकार द्वारा सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू लागू किया है जिसका देश की अधिकांश जनता पालना कर रही है। परन्तु आज लॉकडाउन व कर्फ्यू के 20 दिन बीतने के पश्चात मेहनतकश जनता विशेष रूप से दिहाड़ीदार मज़दूर, खेत मज़दूर, गरीब किसान, प्रवासी व अन्य कमजोर वर्ग बेहद प्रभावित हुए हैं। देश मे 45 करोड़ से अधिक लोग रोज दिहाड़ी कर अपनी रोजी रोटी अर्जित कर गुजर बसर करते हैं। परन्तु सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण काम न मिलने से इनका रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। देश मे सरकार द्वारा इस महामारी से निपटने के लिए की गई घोषणाओं से भी इस वर्ग को कोई विशेष राहत नही मिली है। कुछ एक राज्यो को छोड़ कर अन्य राज्यों में इनके लिये खाने, रहने व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे यह दिहाड़ीदार मजदूर बुरे संकट के दौर से गुजरने के लिए मजबूर हैं।
शिमला ! वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण आज अधिकांश देशों में मानवता पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है और पूरा विश्व इस संकट के कारण सकते में आ गया है। चुनिंदा देशों को छोड़ कर इस महामारी से अधिकांश देश बुरी तरह से त्रस्त है। भारत मे भी इस महामारी का प्रकोप बढता जा रहा है जोकि अत्यंत चिंतनीय विषय है।
देश मे इस माहमारी का सामुदायिक फैलाव रोकने के लिए सरकार द्वारा सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू लागू किया है जिसका देश की अधिकांश जनता पालना कर रही है। परन्तु आज लॉकडाउन व कर्फ्यू के 20 दिन बीतने के पश्चात मेहनतकश जनता विशेष रूप से दिहाड़ीदार मज़दूर, खेत मज़दूर, गरीब किसान, प्रवासी व अन्य कमजोर वर्ग बेहद प्रभावित हुए हैं। देश मे 45 करोड़ से अधिक लोग रोज दिहाड़ी कर अपनी रोजी रोटी अर्जित कर गुजर बसर करते हैं। परन्तु सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण काम न मिलने से इनका रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।
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देश मे सरकार द्वारा इस महामारी से निपटने के लिए की गई घोषणाओं से भी इस वर्ग को कोई विशेष राहत नही मिली है। कुछ एक राज्यो को छोड़ कर अन्य राज्यों में इनके लिये खाने, रहने व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे यह दिहाड़ीदार मजदूर बुरे संकट के दौर से गुजरने के लिए मजबूर हैं।
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