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जंजैहली ! यकीनन ये जंगल पहाड़ के लोगो के लिए एक वरदान है सराज घाटी के लगते निचले क्षेत्र खारसी, शाला, मोवी सेरी,गोहर आदि स्थानों में इन दिनों पेड़ काफल से भरे हुए हैं । काफल मई जून महीने में होता है । बता दे काफल बहुत ही गुणकारी व स्वादिष्ट होते हैं और कई बीमारियों से जैसे हृदय रोग, कैंसर,किडनी व श्वास संबंधित रोगों से निजात दिलाने में कारगर साबित होता है ! बता दे काफल गुणकारी व बहुत ही स्वादिष्ट भी होता है। काफल निकालने में बहुत ही मेहनत लगती है । गांव की महिलाओं ने बताया कि इस काम के लिए उन्हें सुबह 4:00 बजे ही घर से निकलना पड़ता है उन्होंने बताया कि ये बड़ी सावधानी से निकालने पड़ते है और यह बड़ा जोखिम का काम है।आजकल काफल 100 रुपये किलो बिक रहा है इससे खासी आमदनी हो जाती है ।यह वाला फल है जो आज के समय में बहुत ही दुर्लभ है क्योंकि यह अपने आप ही ऊगा होता है ,इसमें कोई रसायनिक स्प्रे या खाद का प्रयोगनहीं होता।लोग इसे बहुत पसंद करने लगे हैं।
जंजैहली ! यकीनन ये जंगल पहाड़ के लोगो के लिए एक वरदान है सराज घाटी के लगते निचले क्षेत्र खारसी, शाला, मोवी सेरी,गोहर आदि स्थानों में इन दिनों पेड़ काफल से भरे हुए हैं । काफल मई जून महीने में होता है । बता दे काफल बहुत ही गुणकारी व स्वादिष्ट होते हैं और कई बीमारियों से जैसे हृदय रोग, कैंसर,किडनी व श्वास संबंधित रोगों से निजात दिलाने में कारगर साबित होता है ! बता दे काफल गुणकारी व बहुत ही स्वादिष्ट भी होता है। काफल निकालने में बहुत ही मेहनत लगती है ।
गांव की महिलाओं ने बताया कि इस काम के लिए उन्हें सुबह 4:00 बजे ही घर से निकलना पड़ता है उन्होंने बताया कि ये बड़ी सावधानी से निकालने पड़ते है और यह बड़ा जोखिम का काम है।आजकल काफल 100 रुपये किलो बिक रहा है इससे खासी आमदनी हो जाती है ।यह वाला फल है जो आज के समय में बहुत ही दुर्लभ है क्योंकि यह अपने आप ही ऊगा होता है ,इसमें कोई रसायनिक स्प्रे या खाद का प्रयोगनहीं होता।लोग इसे बहुत पसंद करने लगे हैं।
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