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सोलन 22 अप्रैल [ पंकज गोल्डी ] !बद्दी के प्राचीन शिव मंदिर में कथा वाचक प्रकाश चंद शैल ने भगवान कृष्ण जन्म के प्रसंग से आगे कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब कंस को पता चला कि देवकी की आठवीं संतान कन्या हुई है तो उसे मारने आया तो देवकी ने विनती की कि यह तो कन्या है इसे छोड़ दो परंतु कंस ने उसे पकड़ कर जैसे ही पटकने के लिए उठाया तो कन्या उसके हाथ से छूट कर आकाश मार्ग को चली गई और जाते जाते कंस को कहा कि तेरा काल गोकुल में है तो कंस ने उस रात को पैदा हुए बच्चों को मारने का हुक्म दे दिया। कंस कृष्ण को मारने के लिए बेताब था, इसलिए उसने राक्षस पूतना को बुलाया। उसने पूतना को एक सुंदर, युवती का रूप धारण करने और पिछले दस दिनों में पैदा हुए गोकुल के सभी बच्चों को मारने के लिए कहा। पूतना ने कृष्ण के गांव में प्रवेश किया। जब उसने सभी को यशोदा के नवजात शिशु के बारे में बात करते हुए सुना, तो पूतना को तुरंत पता चल गया कि यह वह बच्चा है जिसे उसे खत्म करना है। यशोदा का ध्यान भंग करते हुए, उसने कृष्ण को अपने विषयुक्त निप्पल से दूध पिलाया। विष ने उसे कुछ नहीं किया, लेकिन पूतना मर गई। फिर कंस ने अरिष्टासुर राक्षस को भेजा । वह बैल का रूप लेकर वृंदावन आया और ग्रामीणों पर हमला करने लगा। जब कृष्ण का बैल से सामना हुआ, तो उन्होंने महसूस किया कि यह अरिष्ठा सुर नामक राक्षस है। कृष्ण बैल से निपटने और उसके सींगों को छेदने में कामयाब रहे! अंत में, राक्षस ने बैल के शरीर को छोड़ दिया और भगवान को प्रणाम किया। इसी प्रकार कंस ने अघासुर नामक दैत्य को भेजा। उसने अजगर का रूप धारण किया और खुद को एक गुफा जितना लंबा और एक पहाड़ जितना बड़ा बना लिया। फिर, वह प्रतीक्षा में लेट गया। गुफा की सुंदरता से मोहित ग्वालों ने उसमें प्रवेश किया। कृष्ण जानते थे कि यह अघासुर है और उन्होंने अपने दोस्तों को चेतावनी देने की कोशिश की, लेकिन वे सुनने के मूड में नहीं थे। कृष्ण अघासुर के मुंह में प्रवेश करने के बाद राक्षस ने अपना मुंह बंद कर दिया। अपने दोस्तों को बचाने के लिए, कृष्ण ने गुफा में प्रवेश किया और खुद को बड़ा करने लगे । इससे दानव का दम घुट गया और उसकी मौत हो गई। इसके अतिरिक्त प्रकाश चंद शैल ने गोवर्धन पूजा के प्रसंग का भी वर्णन किया कि किस प्रकार इंद्र के अभिमान को तोड़ा था । कथा के बीच में प्रकाश चंद शैल ने सुंदर भजन सुनाए जिस पर उपस्थित दर्शक झूम उठे। इस मौके पर बीरबल दास, दीना नाथ कौशल, विजय कुमार बैंसल, शीला कौशल, नीलम कौशल, लीला देवी, दीपक ठाकुर, राम आसरी, शकुंतला, कौशल्या समेत बद्दी गांव से दर्जनों भक्तगण उपस्थित रहे।
सोलन 22 अप्रैल [ पंकज गोल्डी ] !बद्दी के प्राचीन शिव मंदिर में कथा वाचक प्रकाश चंद शैल ने भगवान कृष्ण जन्म के प्रसंग से आगे कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब कंस को पता चला कि देवकी की आठवीं संतान कन्या हुई है तो उसे मारने आया तो देवकी ने विनती की कि यह तो कन्या है इसे छोड़ दो परंतु कंस ने उसे पकड़ कर जैसे ही पटकने के लिए उठाया तो कन्या उसके हाथ से छूट कर आकाश मार्ग को चली गई और जाते जाते कंस को कहा कि तेरा काल गोकुल में है तो कंस ने उस रात को पैदा हुए बच्चों को मारने का हुक्म दे दिया।
कंस कृष्ण को मारने के लिए बेताब था, इसलिए उसने राक्षस पूतना को बुलाया। उसने पूतना को एक सुंदर, युवती का रूप धारण करने और पिछले दस दिनों में पैदा हुए गोकुल के सभी बच्चों को मारने के लिए कहा। पूतना ने कृष्ण के गांव में प्रवेश किया। जब उसने सभी को यशोदा के नवजात शिशु के बारे में बात करते हुए सुना, तो पूतना को तुरंत पता चल गया कि यह वह बच्चा है जिसे उसे खत्म करना है। यशोदा का ध्यान भंग करते हुए, उसने कृष्ण को अपने विषयुक्त निप्पल से दूध पिलाया। विष ने उसे कुछ नहीं किया, लेकिन पूतना मर गई।
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फिर कंस ने अरिष्टासुर राक्षस को भेजा । वह बैल का रूप लेकर वृंदावन आया और ग्रामीणों पर हमला करने लगा। जब कृष्ण का बैल से सामना हुआ, तो उन्होंने महसूस किया कि यह अरिष्ठा सुर नामक राक्षस है। कृष्ण बैल से निपटने और उसके सींगों को छेदने में कामयाब रहे!
अंत में, राक्षस ने बैल के शरीर को छोड़ दिया और भगवान को प्रणाम किया। इसी प्रकार कंस ने अघासुर नामक दैत्य को भेजा। उसने अजगर का रूप धारण किया और खुद को एक गुफा जितना लंबा और एक पहाड़ जितना बड़ा बना लिया। फिर, वह प्रतीक्षा में लेट गया। गुफा की सुंदरता से मोहित ग्वालों ने उसमें प्रवेश किया। कृष्ण जानते थे कि यह अघासुर है और उन्होंने अपने दोस्तों को चेतावनी देने की कोशिश की, लेकिन वे सुनने के मूड में नहीं थे। कृष्ण अघासुर के मुंह में प्रवेश करने के बाद राक्षस ने अपना मुंह बंद कर दिया। अपने दोस्तों को बचाने के लिए, कृष्ण ने गुफा में प्रवेश किया और खुद को बड़ा करने लगे । इससे दानव का दम घुट गया और उसकी मौत हो गई। इसके अतिरिक्त प्रकाश चंद शैल ने गोवर्धन पूजा के प्रसंग का भी वर्णन किया कि किस प्रकार इंद्र के अभिमान को तोड़ा था ।
कथा के बीच में प्रकाश चंद शैल ने सुंदर भजन सुनाए जिस पर उपस्थित दर्शक झूम उठे। इस मौके पर बीरबल दास, दीना नाथ कौशल, विजय कुमार बैंसल, शीला कौशल, नीलम कौशल, लीला देवी, दीपक ठाकुर, राम आसरी, शकुंतला, कौशल्या समेत बद्दी गांव से दर्जनों भक्तगण उपस्थित रहे।
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