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हमीरपुर ! आज यहाँ जारी बयान में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एवम कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक -2020 को कृषि प्राथमिकता और किसान के हितों के लिए सर्वोपरि करार देते हुए किसान की आय और मुनाफे को बढ़ाने में मोदी सरकार का साहसिक निर्णय बताया है। प्रो धूमल ने बताया कि इन कानूनों के लागू होने से कृषि के क्षेत्र में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा वहीं पर अन्नदाता मोदी सरकार की अन्य योजनाओं से ओर अधिक सशक्त बनेगा। उन्होंने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी और कृषिमंत्री तोमर ने एमएसपी की व्यवस्था और निजी मंडियों सहित एपीएमसी की व्यवस्था को पूर्व की भांति बनाये रखने की बात को बार-बार दोहराया है। प्रो धूमल ने बताया कि देश के भोलेवाले मेहनती किसानों को कांग्रेस, मार्क्सवादी और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल राजधर्म छोड़ सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को पुनः पाने के लिए भ्रमित कर आंदोलन की राह पर ले आए हैं। उन्होंने बताया कि वाजपेयी सरकार के समय से ही कृषि विपणन एवम व्यापार सुधार के आधुनिकरण के लिए शंकरलाल गुरु की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।उन्हीं सुधारों के चलते वर्ष 2006 में यूपीए सरकार ने भी एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि आयोग का गठन किया था।स्वामीनाथन की कृषक हितकर रिपोर्ट को उस वक़्त की मनमोहन सरकार इच्छा शक्ति के अभाव के कारण लागू नहीं कर पाई थी। यही नहीं कृषि सुधार बिल का विरोध कर रहे शरद पवार ने भी तत्कालीन कृषि राज्यमंत्री हर्षवर्धन पाटिल की अध्यक्षता में समिति का गठन कर संविदा खेती, विपणन सुधार, एपीएमसी व्यवस्था को समाप्त एवम बैरियर मुक्त राष्ट्रीय मार्किट की व्यवस्था को बनाने की बात कही थी।यही नहीं तात्कालीन 12 मुख्यमंत्रियों के समूह को भी नई व्यवस्था को लागू करने की बात कही थी। प्रो धूमल ने बताया कि सत्ता से बाहर जाते ही कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल अपने घोषणा पत्रों में कही बात से पीछे हटते हुए अब किसान के साथ खड़े होने का ढोंग कर रहें हैं।जोकि दुर्भाग्यपूर्ण एवम राजनीतिक दिवालियापन की निशानी है। प्रो धूमल ने बताया कि वर्ष-2014 से ही मोदी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर व नए अवसरों को सृजित करने का दृढ़ संकल्प किया था और उसी कड़ी में सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड और प्रधानमंत्री किसान सम्मान,नीम कोटेड यूरिया, लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर एमएसपी का निर्धारण करना,ई-नैम, प्राकृतिक खेती, जीरो बजट खेती, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना और प्रधानमंत्री किसान सम्पदा जैसी योजनाएं किसानों के हित में लागू कर किसान को क्रमबद्ध आर्थिक रूप से सम्बल करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है। प्रो धूमल ने बताया कि सिर्फ मोदी सरकार ही किसान हितैषी है जिसने इन नए कृषि विधेयकों में किसानों को उनकी आमदनी को दोगना करने का सकारात्मक स्थान दिया है।उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट खेती में खरीददार सिर्फ किसान की उपज का ही कॉन्ट्रैक्ट करेगा।खरीददार किसान की ज़मीन को न गिरवी, ऋण व विक्रय कर पायेगा। यही नहीं किसान मनचाहे समय पर कॉन्ट्रैक्ट से पीछे हट सके ऐसी व्यवस्था भी इस कानून में की गयी है। प्रो धूमल ने बताया कि जहां इस बिल में बुवाई से पहले ही किसान अपनी उपज का सही मूल्य तय कर पायेगा वहीं कृषकों को व्यवसायिक, कंपनियों,खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यातकों से सीधे जोड़ने का लक्ष्य भी इस बिल के अंदर समाहित किया गया है।जोकि किसान को विचौलियों से निजात दिलाएगा और गांव में ही फसल के उचित विक्रय का अवसर प्रदान करेगा। प्रो धूमल ने बताया कि यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने गेंहू व धान की खरीद पर एमएसपी के आधार से 8 लाख करोड़ की राशि खर्च कर 2.25 गुणा से अधिक खरीद की है।यही नहीं मोदी सरकार ने दलहन (112.58 लाख मीट्रिक टन) व तिलहन (56.36लाख मीट्रिक टन) के भंडारण में भी क्रमशः 74 गुणा व 15 गुणा की अधिक खरीद कर सही मायने में किसान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। उन्होंने बताया कि इस कोविड-19 के दौरान भी कृषि व कृषि सम्बंधित आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए किसान को खेती के इलावा दुग्ध,मत्स्य,भेड़ पालन और पशुपालन उत्पाद के सम्वर्धन के लिए मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ की व्यवस्था की है। उन्होंने बताया कि इस बिल में ही किसान को संगठित कर गांव में ही फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ)के निर्माण करने से उपज का उचित भंडारण किसान को आर्थिक समृद्वत्ता प्रदान करेगा। इसके लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2023-24 तक 10,000 एफपीओ निर्माण के लिए 6865 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। प्रो धूमल ने बताया कि एफपीओ के निर्माण होने से किसान अपनी पैदावार को उचित मूल्य पर बेचने तक अपने भंडारण में रख पाएंगे और प्रभावी सौदेबाजी व मोलभाव करने में भी दक्षता हासिल कर पाएंगे।उन्होंने बताया कि जिस तरह कांग्रेस और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल किसानों के कंधे का प्रयोग कर नकारात्मक व विघटनकारी राजनीति कर रहें है देश की जनता सही समय पर इन राजनीतिक दलों को माकूल जवाब देगी।
हमीरपुर ! आज यहाँ जारी बयान में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एवम कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक -2020 को कृषि प्राथमिकता और किसान के हितों के लिए सर्वोपरि करार देते हुए किसान की आय और मुनाफे को बढ़ाने में मोदी सरकार का साहसिक निर्णय बताया है। प्रो धूमल ने बताया कि इन कानूनों के लागू होने से कृषि के क्षेत्र में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा वहीं पर अन्नदाता मोदी सरकार की अन्य योजनाओं से ओर अधिक सशक्त बनेगा। उन्होंने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी और कृषिमंत्री तोमर ने एमएसपी की व्यवस्था और निजी मंडियों सहित एपीएमसी की व्यवस्था को पूर्व की भांति बनाये रखने की बात को बार-बार दोहराया है।
प्रो धूमल ने बताया कि देश के भोलेवाले मेहनती किसानों को कांग्रेस, मार्क्सवादी और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल राजधर्म छोड़ सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को पुनः पाने के लिए भ्रमित कर आंदोलन की राह पर ले आए हैं। उन्होंने बताया कि वाजपेयी सरकार के समय से ही कृषि विपणन एवम व्यापार सुधार के आधुनिकरण के लिए शंकरलाल गुरु की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।उन्हीं सुधारों के चलते वर्ष 2006 में यूपीए सरकार ने भी एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि आयोग का गठन किया था।स्वामीनाथन की कृषक हितकर रिपोर्ट को उस वक़्त की मनमोहन सरकार इच्छा शक्ति के अभाव के कारण लागू नहीं कर पाई थी। यही नहीं कृषि सुधार बिल का विरोध कर रहे शरद पवार ने भी तत्कालीन कृषि राज्यमंत्री हर्षवर्धन पाटिल की अध्यक्षता में समिति का गठन कर संविदा खेती, विपणन सुधार, एपीएमसी व्यवस्था को समाप्त एवम बैरियर मुक्त राष्ट्रीय मार्किट की व्यवस्था को बनाने की बात कही थी।यही नहीं तात्कालीन 12 मुख्यमंत्रियों के समूह को भी नई व्यवस्था को लागू करने की बात कही थी। प्रो धूमल ने बताया कि सत्ता से बाहर जाते ही कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल अपने घोषणा पत्रों में कही बात से पीछे हटते हुए अब किसान के साथ खड़े होने का ढोंग कर रहें हैं।जोकि दुर्भाग्यपूर्ण एवम राजनीतिक दिवालियापन की निशानी है। प्रो धूमल ने बताया कि वर्ष-2014 से ही मोदी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर व नए अवसरों को सृजित करने का दृढ़ संकल्प किया था और उसी कड़ी में सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड और प्रधानमंत्री किसान सम्मान,नीम कोटेड यूरिया, लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर एमएसपी का निर्धारण करना,ई-नैम, प्राकृतिक खेती, जीरो बजट खेती, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना और प्रधानमंत्री किसान सम्पदा जैसी योजनाएं किसानों के हित में लागू कर किसान को क्रमबद्ध आर्थिक रूप से सम्बल करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है।
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प्रो धूमल ने बताया कि यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने गेंहू व धान की खरीद पर एमएसपी के आधार से 8 लाख करोड़ की राशि खर्च कर 2.25 गुणा से अधिक खरीद की है।यही नहीं मोदी सरकार ने दलहन (112.58 लाख मीट्रिक टन) व तिलहन (56.36लाख मीट्रिक टन) के भंडारण में भी क्रमशः 74 गुणा व 15 गुणा की अधिक खरीद कर सही मायने में किसान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। उन्होंने बताया कि इस कोविड-19 के दौरान भी कृषि व कृषि सम्बंधित आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए किसान को खेती के इलावा दुग्ध,मत्स्य,भेड़ पालन और पशुपालन उत्पाद के सम्वर्धन के लिए मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ की व्यवस्था की है। उन्होंने बताया कि इस बिल में ही किसान को संगठित कर गांव में ही फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ)के निर्माण करने से उपज का उचित भंडारण किसान को आर्थिक समृद्वत्ता प्रदान करेगा। इसके लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2023-24 तक 10,000 एफपीओ निर्माण के लिए 6865 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
प्रो धूमल ने बताया कि एफपीओ के निर्माण होने से किसान अपनी पैदावार को उचित मूल्य पर बेचने तक अपने भंडारण में रख पाएंगे और प्रभावी सौदेबाजी व मोलभाव करने में भी दक्षता हासिल कर पाएंगे।उन्होंने बताया कि जिस तरह कांग्रेस और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल किसानों के कंधे का प्रयोग कर नकारात्मक व विघटनकारी राजनीति कर रहें है देश की जनता सही समय पर इन राजनीतिक दलों को माकूल जवाब देगी।
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