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शिमला ! वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने यहां वन विभाग की ‘वन समृद्धि जन समृद्धि’ योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश जल्द ही देशभर में औषधीय जड़ी-बूटी उत्पादक राज्य बन कर उभरेगा। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 34.12 लाख रुपये की लागत से 12 नर्सरियां तैयार की गई और 64 सामुदायिक समूह गठित किए गए। गोविन्द ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2019-20 में 67.67 लाख रुपये की लागत से 14 नर्सरियां तैयार की और 46 समुदायिक समूह गठित किए गए। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य बहुमूल्य जड़ी-बूटियों को संरक्षित करना है और इलाज के लिए उपयोग आने वाले इन औषधीय पौधों को बाजार तक पहुंचाना है। इस योजना माध्यम से सरकार उन ग्रामीण परिवारों, जो औषधीय पौधों के संरक्षण में जुटे हुए हैं की आर्थिक आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है। वन मंत्री ने अधिकारियों को प्रदेश को जड़ी बूटी उत्पादक राज्य बनाने की दिशा में इस योजना में विस्तार और परिवर्तन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि युवाओं जड़ी-बूटी के प्रसंस्करण का प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ उनके उत्पाद के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस अवसर पर प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार और प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी डाॅ. सविता सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
शिमला ! वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने यहां वन विभाग की ‘वन समृद्धि जन समृद्धि’ योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश जल्द ही देशभर में औषधीय जड़ी-बूटी उत्पादक राज्य बन कर उभरेगा। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 34.12 लाख रुपये की लागत से 12 नर्सरियां तैयार की गई और 64 सामुदायिक समूह गठित किए गए।
गोविन्द ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2019-20 में 67.67 लाख रुपये की लागत से 14 नर्सरियां तैयार की और 46 समुदायिक समूह गठित किए गए। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य बहुमूल्य जड़ी-बूटियों को संरक्षित करना है और इलाज के लिए उपयोग आने वाले इन औषधीय पौधों को बाजार तक पहुंचाना है। इस योजना माध्यम से सरकार उन ग्रामीण परिवारों, जो औषधीय पौधों के संरक्षण में जुटे हुए हैं की आर्थिक आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
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वन मंत्री ने अधिकारियों को प्रदेश को जड़ी बूटी उत्पादक राज्य बनाने की दिशा में इस योजना में विस्तार और परिवर्तन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि युवाओं जड़ी-बूटी के प्रसंस्करण का प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ उनके उत्पाद के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस अवसर पर प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार और प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी डाॅ. सविता सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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