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चम्बा ! सीटू जिला कमेटी ने मंगलवार को कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारत के मजदूरों की आर्थिक व सामाजिक तौर पर बदतर होते हालात में सुधार लाने के बारे में जिला उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर महासचिव सुदेश कुमारी ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारतवर्ष में उत्पन्न मजदूरों की दयनीय स्थिति की ओर ध्यान दिया जाए। महामारी व लॉकडाउन के चलते मजदूर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। विभिन्न प्रदेशों में लॉक डाउन के कारण उद्योगों में उत्पादन कार्य ठप्प हो गया है। हालांकि भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने 20 मार्च को दो अधिसूचनाएं जारी करके सरकारी विभागों, उद्योगों व अन्य संस्थानों को इस दौरान मजदूरों की छंटनी न करने व उनका वेतन न काटने का आदेश दिया था। परन्तु इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश के बहुत सारे उद्योगों में ठेका मजदूरों को 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। यही स्थिति पूरे देश में भी है। पूरे देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की ही तरह इस परिस्थितिवश हिमाचल प्रदेश में भी इन मजदूरों की स्थिति दयनीय है। स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य मजदूरों के लिए पीपीई किट का प्रबंध किया जाए। आयकर मुक्त सभी मजदूरों के लिए 7500 रु प्रतिमाह की आर्थिक सहायता का प्रबंध किया जाए। जरूरतमंदों व प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन व बुनियादी चीजों का प्रबंध किया जाए। कल्याण बोर्ड से जुड़े सभी मजदूरों को चार हज़ार रुपये की दो महीने की राशि का तुरन्त एकमुश्त भुगतान किया जाए। आउटसोर्स, ठेका मजदूरों व योजनाकर्मियों के वेतन में कटौती पर रोक लगाई जाए। केंद्र सरकार द्वारा कार्य दिवस को बिना ओवरटाइम वेतन के 8 से 12 घंटे बढ़ाने की नीति पर रोक लगाई जाए। उद्योगों में कार्यरत मजदूरों को समय से वेतन व भोजन का प्रबंध किया जाए। मनरेगा व अन्य निर्माण कार्य को सुचारू रूप से चलाया जाए।
चम्बा ! सीटू जिला कमेटी ने मंगलवार को कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारत के मजदूरों की आर्थिक व सामाजिक तौर पर बदतर होते हालात में सुधार लाने के बारे में जिला उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
इस मौके पर महासचिव सुदेश कुमारी ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारतवर्ष में उत्पन्न मजदूरों की दयनीय स्थिति की ओर ध्यान दिया जाए। महामारी व लॉकडाउन के चलते मजदूर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। विभिन्न प्रदेशों में लॉक डाउन के कारण उद्योगों में उत्पादन कार्य ठप्प हो गया है।
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हालांकि भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने 20 मार्च को दो अधिसूचनाएं जारी करके सरकारी विभागों, उद्योगों व अन्य संस्थानों को इस दौरान मजदूरों की छंटनी न करने व उनका वेतन न काटने का आदेश दिया था। परन्तु इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश के बहुत सारे उद्योगों में ठेका मजदूरों को 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।
यही स्थिति पूरे देश में भी है। पूरे देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की ही तरह इस परिस्थितिवश हिमाचल प्रदेश में भी इन मजदूरों की स्थिति दयनीय है। स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य मजदूरों के लिए पीपीई किट का प्रबंध किया जाए।
आयकर मुक्त सभी मजदूरों के लिए 7500 रु प्रतिमाह की आर्थिक सहायता का प्रबंध किया जाए। जरूरतमंदों व प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन व बुनियादी चीजों का प्रबंध किया जाए। कल्याण बोर्ड से जुड़े सभी मजदूरों को चार हज़ार रुपये की दो महीने की राशि का तुरन्त एकमुश्त भुगतान किया जाए।
आउटसोर्स, ठेका मजदूरों व योजनाकर्मियों के वेतन में कटौती पर रोक लगाई जाए। केंद्र सरकार द्वारा कार्य दिवस को बिना ओवरटाइम वेतन के 8 से 12 घंटे बढ़ाने की नीति पर रोक लगाई जाए। उद्योगों में कार्यरत मजदूरों को समय से वेतन व भोजन का प्रबंध किया जाए। मनरेगा व अन्य निर्माण कार्य को सुचारू रूप से चलाया जाए।
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