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चम्बा ! मिलेनियम बी. एड कॉलेज चंबा की छात्रा हिमालया ठाकुर (स्नेहा ठाकुर) निवासी गांव मंजीर तहसील सलूणी जिला चंबा द्वारा कोरोना वैश्विक महामारी के चलते इसी संदर्भ में एक कविता की रचना की गई है जिसमें इन्होंने करोना से बचने के लिए महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए साथ ही इस कोरोना विषाणु से उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति के बारे में बताया है। उसके साथ साथ इन्होंने उन देशों पर भी एक हास्य टिप्पणी की गई है जो देश बड़े-बड़े परमाणु बमों से भी ना डरने का दंभ भरते थे परंतु आज और उन्होंने उन्हें उनकी औकात दिखा दी है। इसके साथ साथ हिमालया जी ने मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ किए जा रहे खिलवाड़ पर भी कटाक्ष किया है और यह संदेश दिया है कि हमें देव प्रदत प्राकृतिक वन्य जीव जंतुओं व पालतू पशुओं सहित अमूल्य प्राकृतिक वनस्पति और वन्य संपदाओं का आदर करते हुए उनका संरक्षण करना चाहिए। विज्ञान में स्नातक हिमालया जी के विचारों को सुनकर यह आभास होता है कि सृष्टि के विनाश के लिए आज मानव सभ्यता ही सबसे अधिक जिम्मेदार है। हिमालय जी इससे पूर्व में भी विद्यालय व महाविद्यालय स्तर इस प्रकार की विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रही है और हमेशा अव्वल आती रही हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की उन्होंने जब भी कभी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तो केवल स्वयं द्वारा लिखित विषय वस्तु को ही उन्होंने श्रोताओं के आगे प्रस्तुत किया। हिमालय के पिता भारतीय सेना में कार्यरत हैं व माता गृहिणी हैं। सौम्या स्वभाव की हिमालया ठाकुर बचपन से ही अपने जीवन में कुछ नया करने का ठान चुकी हैं। उन्होंने निर्णय लिया है कि वह एक आदर्श अध्यापिका बनेंगी तथा अन्य समाज सेवाओं में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेंगी। उनका मुख्य लक्ष्य गरीब व असहाय बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना रहेगा। ताकि वह भी पिता के पदचिन्हों पर चलकर देश सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। सभी इस कविता को अवश्य सुने, इसको पसंद करें और अधिक से अधिक शेयर करें ताकि अन्य लोग भी इनका अनुसरण कर सकें और अपनी प्रतिभा को समाज के सामने लाकर समाज के लिए बेहतर संदेश प्रस्तुत कर सकें और साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियो को निभा सकें। कोरोना से हमें घबराना नहीं है बल्कि हमें कुछ नियमों का पालन करते हुए इसे भगाना है।
चम्बा ! मिलेनियम बी. एड कॉलेज चंबा की छात्रा हिमालया ठाकुर (स्नेहा ठाकुर) निवासी गांव मंजीर तहसील सलूणी जिला चंबा द्वारा कोरोना वैश्विक महामारी के चलते इसी संदर्भ में एक कविता की रचना की गई है जिसमें इन्होंने करोना से बचने के लिए महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए साथ ही इस कोरोना विषाणु से उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति के बारे में बताया है। उसके साथ साथ इन्होंने उन देशों पर भी एक हास्य टिप्पणी की गई है जो देश बड़े-बड़े परमाणु बमों से भी ना डरने का दंभ भरते थे परंतु आज और उन्होंने उन्हें उनकी औकात दिखा दी है।
इसके साथ साथ हिमालया जी ने मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ किए जा रहे खिलवाड़ पर भी कटाक्ष किया है और यह संदेश दिया है कि हमें देव प्रदत प्राकृतिक वन्य जीव जंतुओं व पालतू पशुओं सहित अमूल्य प्राकृतिक वनस्पति और वन्य संपदाओं का आदर करते हुए उनका संरक्षण करना चाहिए। विज्ञान में स्नातक हिमालया जी के विचारों को सुनकर यह आभास होता है कि सृष्टि के विनाश के लिए आज मानव सभ्यता ही सबसे अधिक जिम्मेदार है। हिमालय जी इससे पूर्व में भी विद्यालय व महाविद्यालय स्तर इस प्रकार की विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रही है और हमेशा अव्वल आती रही हैं।
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बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की उन्होंने जब भी कभी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तो केवल स्वयं द्वारा लिखित विषय वस्तु को ही उन्होंने श्रोताओं के आगे प्रस्तुत किया। हिमालय के पिता भारतीय सेना में कार्यरत हैं व माता गृहिणी हैं। सौम्या स्वभाव की हिमालया ठाकुर बचपन से ही अपने जीवन में कुछ नया करने का ठान चुकी हैं।
उन्होंने निर्णय लिया है कि वह एक आदर्श अध्यापिका बनेंगी तथा अन्य समाज सेवाओं में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेंगी। उनका मुख्य लक्ष्य गरीब व असहाय बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना रहेगा। ताकि वह भी पिता के पदचिन्हों पर चलकर देश सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
सभी इस कविता को अवश्य सुने, इसको पसंद करें और अधिक से अधिक शेयर करें ताकि अन्य लोग भी इनका अनुसरण कर सकें और अपनी प्रतिभा को समाज के सामने लाकर समाज के लिए बेहतर संदेश प्रस्तुत कर सकें और साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियो को निभा सकें। कोरोना से हमें घबराना नहीं है बल्कि हमें कुछ नियमों का पालन करते हुए इसे भगाना है।
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