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शिमला ,14 जनवरी ! समाज के समावेशी विकास में मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका है। छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए मजबूत शैक्षणिक अधोसंरचना का निर्माण भी बेहद आवश्यक है। इसी उद्देश्य के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए निरंतर अभिनव पहल की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने जन प्रतिनिधियों व कुशल पेशेवरों की साझेदारी से सरकारी स्कूलों में सुधार लाने के उद्देश्य से ‘अपना विद्यालयः द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन’ कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके तहत प्रदेशवासियों को राजकीय पाठशालाओं को गोद लेने का अवसर प्रदान किया जाएगा, जिससे वह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में अपना योगदान दे पाएंगे। कार्यक्रम के तहत ‘मेरा स्कूल-मेरा गौरव’ अभियान प्रदेशवासियों एवं संस्थाओं को अपनी पसंद का स्कूल गोद लेने को प्रेरित करेगा। इन स्कूलों में वे छात्रों को सामाजिक सहायता कार्यों से जोड़ने और उनके लिए कैरियर परामर्श, विभिन्न परीक्षाओं के लिए अतिरिक्त या विशेष कक्षाएं लेने, योग प्रशिक्षण सहित विभिन्न स्तर पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकेंगे। ‘समाज को लौटाने’ की इस पहल के माध्यम से राजकीय पाठशालाओं के लिए शैक्षिक सहायता टीम और गैर-शैक्षिक सहायता टीम स्थापित की जाएंगी। यह टीम भावी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव स्थापित करने में बिना किसी वित्तीय या अन्य लाभ के सरकार का सहयोग करेगी। सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारियों, पेशेवरों, गृहणियों और समाज के अन्य व्यक्तियों को इन टीमों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। शैक्षिक सहायता टीम में शामिल लोग पाठशालाओं में शिक्षकों की कमी या अध्यापकों के अवकाश पर होने के चलते छात्रों को पढ़ाएंगे। साथ ही उनका कैरियर परामर्श और मार्गदर्शन भी करेंगे। वहीं गैर-शैक्षिक टीम छात्रों को खेल, कौशल, कला, चित्रकारी, संगीत, नाट्य और नृत्य आदि में रूचि अनुसार प्रशिक्षण देंगे। इसके अलावा वह स्कूलों में अधोसंरचना निर्माण के लिए वित्तीय सहयोग, उत्कृष्ट छात्रों को छात्रवृत्ति, विभिन्न कार्यक्रमों के प्रायोजन और मिड-डे मील कार्यक्रम में भी योगदान दे सकते हैं। इस तरह की प्रणाली के लिए स्कूलों में उपयुक्त निरीक्षण व्यवस्था स्थापित की जाएगी, जिसमें सम्बंधित स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा गणमान्य व्यक्तियों से भी प्रदेश में कहीं भी उनकी पसंद का कम से कम एक सरकारी स्कूल गोद लेकर उसका संरक्षक (पैट्रन) बनने का अनुरोध किया जाएगा। इनमें प्रदेश से चुने गए लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद, सभी विधायक, श्रेणी-एक व दो के राजपत्रित अधिकारी, जैसे उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, वन मण्डलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपमण्डलाधिकारी (ना.), खण्ड विकास अधिकारी, खण्ड चिकित्सा अधिकारी व पुलिस उपाधीक्षक इत्यादि शामिल हैं। यह कम से कम एक स्कूल गोद लेकर उसके संरक्षक बनेंगे। यह संरक्षक अध्यापकों और स्कूल प्रबंधन समिति को स्कूलों में वांछित सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
शिमला ,14 जनवरी ! समाज के समावेशी विकास में मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका है। छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए मजबूत शैक्षणिक अधोसंरचना का निर्माण भी बेहद आवश्यक है। इसी उद्देश्य के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए निरंतर अभिनव पहल की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने जन प्रतिनिधियों व कुशल पेशेवरों की साझेदारी से सरकारी स्कूलों में सुधार लाने के उद्देश्य से ‘अपना विद्यालयः द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन’ कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके तहत प्रदेशवासियों को राजकीय पाठशालाओं को गोद लेने का अवसर प्रदान किया जाएगा, जिससे वह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में अपना योगदान दे पाएंगे।
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कार्यक्रम के तहत ‘मेरा स्कूल-मेरा गौरव’ अभियान प्रदेशवासियों एवं संस्थाओं को अपनी पसंद का स्कूल गोद लेने को प्रेरित करेगा। इन स्कूलों में वे छात्रों को सामाजिक सहायता कार्यों से जोड़ने और उनके लिए कैरियर परामर्श, विभिन्न परीक्षाओं के लिए अतिरिक्त या विशेष कक्षाएं लेने, योग प्रशिक्षण सहित विभिन्न स्तर पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकेंगे।
‘समाज को लौटाने’ की इस पहल के माध्यम से राजकीय पाठशालाओं के लिए शैक्षिक सहायता टीम और गैर-शैक्षिक सहायता टीम स्थापित की जाएंगी। यह टीम भावी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव स्थापित करने में बिना किसी वित्तीय या अन्य लाभ के सरकार का सहयोग करेगी। सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारियों, पेशेवरों, गृहणियों और समाज के अन्य व्यक्तियों को इन टीमों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। शैक्षिक सहायता टीम में शामिल लोग पाठशालाओं में शिक्षकों की कमी या अध्यापकों के अवकाश पर होने के चलते छात्रों को पढ़ाएंगे। साथ ही उनका कैरियर परामर्श और मार्गदर्शन भी करेंगे।
वहीं गैर-शैक्षिक टीम छात्रों को खेल, कौशल, कला, चित्रकारी, संगीत, नाट्य और नृत्य आदि में रूचि अनुसार प्रशिक्षण देंगे। इसके अलावा वह स्कूलों में अधोसंरचना निर्माण के लिए वित्तीय सहयोग, उत्कृष्ट छात्रों को छात्रवृत्ति, विभिन्न कार्यक्रमों के प्रायोजन और मिड-डे मील कार्यक्रम में भी योगदान दे सकते हैं। इस तरह की प्रणाली के लिए स्कूलों में उपयुक्त निरीक्षण व्यवस्था स्थापित की जाएगी, जिसमें सम्बंधित स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा गणमान्य व्यक्तियों से भी प्रदेश में कहीं भी उनकी पसंद का कम से कम एक सरकारी स्कूल गोद लेकर उसका संरक्षक (पैट्रन) बनने का अनुरोध किया जाएगा। इनमें प्रदेश से चुने गए लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद, सभी विधायक, श्रेणी-एक व दो के राजपत्रित अधिकारी, जैसे उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, वन मण्डलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपमण्डलाधिकारी (ना.), खण्ड विकास अधिकारी, खण्ड चिकित्सा अधिकारी व पुलिस उपाधीक्षक इत्यादि शामिल हैं। यह कम से कम एक स्कूल गोद लेकर उसके संरक्षक बनेंगे। यह संरक्षक अध्यापकों और स्कूल प्रबंधन समिति को स्कूलों में वांछित सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
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