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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी हाल ही में डी डी यू रिपन अस्पताल में इलाज करा रही एक महिला कोरोना मरीज़ के द्वारा की गई आत्महत्या पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती है और इस घटना ने सरकार कोविड के लिए बनाए गये डेडिकेटेड अस्पतालों में की गई तैयारियों व व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी है। इस घटना से स्पष्ट हो गया है कि सरकार की कोविड19 को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं है और लगभग 6 माह से अधिक समय बीतने के पश्चात भी कोई उचित व्यवस्था नहीं बना पाई है। पार्टी मांग करती है कि सरकार द्वारा इस घटना की निष्पक्ष जांच करवाई जाए व जो भी उच्चतम स्तर पर इसके लिए जिम्मेवार है उनके विरुद्ध कार्यवाही करें। क्योंकि अब जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण प्रदेश में बढ़ रहा है इससे निपटने के लिए सरकार संजीदगी से ठोस कदम उठाए और एक युद्धस्तर की रणनीति बनाकर इससे कुशल नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन करे। इस घटना ने सरकार की कोरोना से निपटने के लिए बनाए गए डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में की गई व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। प्रदेश की राजधानी में स्थित डी डी यू रिपन अस्पताल में ही डॉक्टरों, नर्सो व अन्य पारा मेडिकल स्टाफ की बड़ी कमी है। करीब इसमे इनके 30 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं और डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के पश्चात जो अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए थी वह भी नहीं की गई। सरकार केवल ये गुणगान करने में मस्त है कि 500 वेंटिलेटर प्रदेश में लाए गए हैं परन्तु इनको चलाने के लिए जो एनेस्थेसिया विभाग में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए थी वह नहीं की गई। आज कोविड अस्पतालों की दशा दयनीय है जिसका जिक्र आम मरीज़ के साथ साथ सरकार के मंत्री व सत्ता पक्ष के नेतृत्व भी कर रहें हैं और सरकार से इसको दरुस्त करने के लिए लिख भी रहे हैं परन्तु सरकार इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रही हैं। सरकार इससे निपटने के लिये उचित रणनीति बनाने के बजाए हवन यज्ञ जैसे अवैज्ञानिक तौर तरीको पर बल दे रही हैं। इससे सरकार की पिछड़ी व अवैज्ञानिक सोच स्पष्ट होती है। सीपीएम सरकार से मांग करती है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर एक युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करे और एक कुशल नेतृत्व के तहत टास्क फोर्स का गठन किया जाए। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री तुरन्त एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबका सहयोग हासिल कर इससे निपटने का कार्य करे। ताकि कोरोना के चर्म पर पहुंचने से पहले इससे निपटने के लिए उचित व्यवस्था हो व इससे कम से कम नुकसान हो। क्योंकि मौजूदा हालात में सरकार की व्यवस्था इससे निपटने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हो रही हैं। पार्टी सरकार द्वारा उठाए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी भी सकारात्मक कदम में पूर्ण सहयोग करेगी।
शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी हाल ही में डी डी यू रिपन अस्पताल में इलाज करा रही एक महिला कोरोना मरीज़ के द्वारा की गई आत्महत्या पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती है और इस घटना ने सरकार कोविड के लिए बनाए गये डेडिकेटेड अस्पतालों में की गई तैयारियों व व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी है। इस घटना से स्पष्ट हो गया है कि सरकार की कोविड19 को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं है और लगभग 6 माह से अधिक समय बीतने के पश्चात भी कोई उचित व्यवस्था नहीं बना पाई है। पार्टी मांग करती है कि सरकार द्वारा इस घटना की निष्पक्ष जांच करवाई जाए व जो भी उच्चतम स्तर पर इसके लिए जिम्मेवार है उनके विरुद्ध कार्यवाही करें। क्योंकि अब जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण प्रदेश में बढ़ रहा है इससे निपटने के लिए सरकार संजीदगी से ठोस कदम उठाए और एक युद्धस्तर की रणनीति बनाकर इससे कुशल नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन करे।
इस घटना ने सरकार की कोरोना से निपटने के लिए बनाए गए डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में की गई व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। प्रदेश की राजधानी में स्थित डी डी यू रिपन अस्पताल में ही डॉक्टरों, नर्सो व अन्य पारा मेडिकल स्टाफ की बड़ी कमी है। करीब इसमे इनके 30 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं और डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के पश्चात जो अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए थी वह भी नहीं की गई। सरकार केवल ये गुणगान करने में मस्त है कि 500 वेंटिलेटर प्रदेश में लाए गए हैं परन्तु इनको चलाने के लिए जो एनेस्थेसिया विभाग में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए थी वह नहीं की गई।
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आज कोविड अस्पतालों की दशा दयनीय है जिसका जिक्र आम मरीज़ के साथ साथ सरकार के मंत्री व सत्ता पक्ष के नेतृत्व भी कर रहें हैं और सरकार से इसको दरुस्त करने के लिए लिख भी रहे हैं परन्तु सरकार इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रही हैं। सरकार इससे निपटने के लिये उचित रणनीति बनाने के बजाए हवन यज्ञ जैसे अवैज्ञानिक तौर तरीको पर बल दे रही हैं। इससे सरकार की पिछड़ी व अवैज्ञानिक सोच स्पष्ट होती है।
सीपीएम सरकार से मांग करती है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर एक युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करे और एक कुशल नेतृत्व के तहत टास्क फोर्स का गठन किया जाए। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री तुरन्त एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबका सहयोग हासिल कर इससे निपटने का कार्य करे। ताकि कोरोना के चर्म पर पहुंचने से पहले इससे निपटने के लिए उचित व्यवस्था हो व इससे कम से कम नुकसान हो। क्योंकि मौजूदा हालात में सरकार की व्यवस्था इससे निपटने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हो रही हैं। पार्टी सरकार द्वारा उठाए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी भी सकारात्मक कदम में पूर्ण सहयोग करेगी।
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