
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री,शिक्षा सचिव व निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की 2020-21 के सत्र में की गयी फीस बढ़ोतरी अबिलम्ब वापिस ली जाए। मंच ने इस विषय पर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। मंच ने चेताया है कि अगर इस फीस बढ़ोतरी को वापिस न लिया तो आंदोलन होगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सह संयोजक बिंदु जोशी,सदस्य फालमा चौहान,विवेक कश्यप,प्रकाश रावत,विनोद लवली व नीलम भारद्वाज ने प्रदेश सरकार से फीस बढ़ोतरी के विषय पर तुरन्त हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते यह फीस बढ़ोतरी वापिस लेना अनिवार्य हो गया है क्योंकि अभिभावक इस संकट की स्थिति में भारी आर्थिक परेशानी में हैं। प्रदेश के 2712 निजी स्कूलों में इस समय पांच लाख तेरह हज़ार तिहत्तर छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह प्रदेश के कुल विद्यार्थियों का छत्तीस प्रतिशत है। इस तरह इस विकट परिस्थिति में निजी स्कूलों में की गयी आठ से बीस प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी असहनीय हो गयी है क्योंकि इन पांच लाख से ज़्यादा अभिभावकों में से लगभग सत्तर प्रतिशत अभिभावक मजदूर,आउटसोर्स कर्मचारी,छोटे दुकानदार,टैक्सी संचालक, कारोबारी,होटल संचालक आदि के रूप में कार्यरत हैं जिनके आय के साधन लॉक डाउन व कर्फ्यू से बिल्कुल तबाह हो गये हैं। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों व अभिभावकों की संख्या लगभग दस लाख बनती है जोकि हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत है व भारी फीस बढ़ोतरी से यह भारी संख्या प्रभावित हो रही है। विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उच्चतर शिक्षा निदेशक ने 5 दिसम्बर 2019,18 जनवरी व 12 मार्च 2020 को तीन पत्र अधिसूचनाएं जारी करके निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाई थी। उन्होंने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि बिना अभिभावकों के जनरल हाउस के कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। किसी भी निजी स्कूल ने जान बूझकर कोई भी जनरल हाउस नहीं किया व जनरल हाउस की इजाज़त के बगैर ही शिक्षा निदेशक के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए आठ से बीस प्रतिशत फीस बढ़ोतरी कर दी। ऐसे समय में जब सबके आय के साधन या तो खत्म हो गए हैं या फिर उनमें कटौती हो गयी है तब इस हज़ारों रुपये की फीस बढ़ोतरी का कोई तुक नहीं बनता है। शिमला शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी से ही निजी स्कूल एक वर्ष में पैंतालीस लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये की ज़्यादा आमदनी करेंगे। जहाँ यह फीस बढ़ोतरी आठ प्रतिशत से अधिक है वहां पर मुनाफे की दर और ज़्यादा है। निजी स्कूलों द्वारा पिछले वर्ष 18 मार्च,8 अप्रैल व 4 मई को शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए गए तीन पत्रों के अनुसार वसूली गयी ज़्यादा फीस का एक हिस्सा अभिभावकों को वापिस देना था या फिर अगली किश्त में उसे सम्माहित करना था परन्तु वह प्रति अभिभावक हज़ारों रुपये की राशि भी किसी अभिभावक को लौटाई नहीं गयी। उन्होंने कहा कि एक तरफ लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण लोगों के आय के साधन बिल्कुल खत्म हो गए हैं और दूसरी ओर निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में भी भारी फीस वृद्धि करके भारी फीसें वसूलने पर अड़े हुए हैं व चांदी कूट रहे हैं। इन पर सरकार की खामोशी से कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। उच्चतर शिक्षा निदेशक केवल अधिसूचना जारी कर सकते थे जो उन्होंने कर दिया। उसको लागू करवाने व उसकी अवमानना करने वालों पर कार्रवाई की जिम्मेवारी सरकार की बनती है परन्तु सरकार की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।
शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री,शिक्षा सचिव व निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की 2020-21 के सत्र में की गयी फीस बढ़ोतरी अबिलम्ब वापिस ली जाए। मंच ने इस विषय पर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। मंच ने चेताया है कि अगर इस फीस बढ़ोतरी को वापिस न लिया तो आंदोलन होगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सह संयोजक बिंदु जोशी,सदस्य फालमा चौहान,विवेक कश्यप,प्रकाश रावत,विनोद लवली व नीलम भारद्वाज ने प्रदेश सरकार से फीस बढ़ोतरी के विषय पर तुरन्त हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते यह फीस बढ़ोतरी वापिस लेना अनिवार्य हो गया है क्योंकि अभिभावक इस संकट की स्थिति में भारी आर्थिक परेशानी में हैं। प्रदेश के 2712 निजी स्कूलों में इस समय पांच लाख तेरह हज़ार तिहत्तर छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह प्रदेश के कुल विद्यार्थियों का छत्तीस प्रतिशत है। इस तरह इस विकट परिस्थिति में निजी स्कूलों में की गयी आठ से बीस प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी असहनीय हो गयी है क्योंकि इन पांच लाख से ज़्यादा अभिभावकों में से लगभग सत्तर प्रतिशत अभिभावक मजदूर,आउटसोर्स कर्मचारी,छोटे दुकानदार,टैक्सी संचालक, कारोबारी,होटल संचालक आदि के रूप में कार्यरत हैं जिनके आय के साधन लॉक डाउन व कर्फ्यू से बिल्कुल तबाह हो गये हैं। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों व अभिभावकों की संख्या लगभग दस लाख बनती है जोकि हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत है व भारी फीस बढ़ोतरी से यह भारी संख्या प्रभावित हो रही है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उच्चतर शिक्षा निदेशक ने 5 दिसम्बर 2019,18 जनवरी व 12 मार्च 2020 को तीन पत्र अधिसूचनाएं जारी करके निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाई थी। उन्होंने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि बिना अभिभावकों के जनरल हाउस के कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। किसी भी निजी स्कूल ने जान बूझकर कोई भी जनरल हाउस नहीं किया व जनरल हाउस की इजाज़त के बगैर ही शिक्षा निदेशक के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए आठ से बीस प्रतिशत फीस बढ़ोतरी कर दी। ऐसे समय में जब सबके आय के साधन या तो खत्म हो गए हैं या फिर उनमें कटौती हो गयी है तब इस हज़ारों रुपये की फीस बढ़ोतरी का कोई तुक नहीं बनता है। शिमला शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी से ही निजी स्कूल एक वर्ष में पैंतालीस लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये की ज़्यादा आमदनी करेंगे। जहाँ यह फीस बढ़ोतरी आठ प्रतिशत से अधिक है वहां पर मुनाफे की दर और ज़्यादा है। निजी स्कूलों द्वारा पिछले वर्ष 18 मार्च,8 अप्रैल व 4 मई को शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए गए तीन पत्रों के अनुसार वसूली गयी ज़्यादा फीस का एक हिस्सा अभिभावकों को वापिस देना था या फिर अगली किश्त में उसे सम्माहित करना था परन्तु वह प्रति अभिभावक हज़ारों रुपये की राशि भी किसी अभिभावक को लौटाई नहीं गयी।
उन्होंने कहा कि एक तरफ लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण लोगों के आय के साधन बिल्कुल खत्म हो गए हैं और दूसरी ओर निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में भी भारी फीस वृद्धि करके भारी फीसें वसूलने पर अड़े हुए हैं व चांदी कूट रहे हैं। इन पर सरकार की खामोशी से कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। उच्चतर शिक्षा निदेशक केवल अधिसूचना जारी कर सकते थे जो उन्होंने कर दिया। उसको लागू करवाने व उसकी अवमानना करने वालों पर कार्रवाई की जिम्मेवारी सरकार की बनती है परन्तु सरकार की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -