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जिला मंडी की बल्ह और सुंदरनगर में कोरोना और लाकडाउन के चलते टमाटर किसानों के लिए मुसीबतें आ सकती है। बता दें कि टमाटर की खेती से पिछले कई वर्षों से बल्ह घाटी से करोड़ों रूपयों का टमाटर प्रदेश और अन्य राज्यों में बेचने के लिए भेजा जाता है। वहीं टमाटर की फसल को लेकर फरवरी से अगस्त माह तक कार्य चलता है और इसके लिए किसानों द्वारा किराए पर खेत और बैंकों से लोन भी लिया जाता है। लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते टमाटर की फसल मंडियों में न पहुंच पाई तो किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। ऐसे में टमाटर उत्पादकों को अंतिम उम्मीद अब सरकार से ही है। टमाटर उगाने वाले किसानों का कहना है कि जून माह के पहले हफ्ते में उनकी टमाटर की फसल तैयार होने वाली है। टमाटर उत्पादक किसान सतीश कुमार सैनी और अमित कुमार का कहना है कि वह पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में टमाटर का उत्पादन करते हैं और जून माह में उनकी टमाटर की फसल तैयार होने वाली है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि कृषि करने के लिए लेबर तो उनके पास है लेकिन फसल तैयार होने पर उनकी फसल को मंडियों में पहुंचाने और उसे बेचने को लेकर परेशानी आएगी। उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने टमाटर की खेती के लिए लोन और किराए पर खेत भी लिए गए हैं और इस आर्थिक नुकसान को लेकर संशय बरकरार है।
जिला मंडी की बल्ह और सुंदरनगर में कोरोना और लाकडाउन के चलते टमाटर किसानों के लिए मुसीबतें आ सकती है। बता दें कि टमाटर की खेती से पिछले कई वर्षों से बल्ह घाटी से करोड़ों रूपयों का टमाटर प्रदेश और अन्य राज्यों में बेचने के लिए भेजा जाता है। वहीं टमाटर की फसल को लेकर फरवरी से अगस्त माह तक कार्य चलता है और इसके लिए किसानों द्वारा किराए पर खेत और बैंकों से लोन भी लिया जाता है। लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते टमाटर की फसल मंडियों में न पहुंच पाई तो किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
ऐसे में टमाटर उत्पादकों को अंतिम उम्मीद अब सरकार से ही है। टमाटर उगाने वाले किसानों का कहना है कि जून माह के पहले हफ्ते में उनकी टमाटर की फसल तैयार होने वाली है। टमाटर उत्पादक किसान सतीश कुमार सैनी और अमित कुमार का कहना है कि वह पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में टमाटर का उत्पादन करते हैं और जून माह में उनकी टमाटर की फसल तैयार होने वाली है।
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उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि कृषि करने के लिए लेबर तो उनके पास है लेकिन फसल तैयार होने पर उनकी फसल को मंडियों में पहुंचाने और उसे बेचने को लेकर परेशानी आएगी। उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने टमाटर की खेती के लिए लोन और किराए पर खेत भी लिए गए हैं और इस आर्थिक नुकसान को लेकर संशय बरकरार है।
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