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शिमला , 15 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस साल भी गहरे जख्म दिए हैं प्रदेश में बादल फटने और भारी बरसात के चलते भारी नुकसान हुआ है प्रदेश में अब तक 1000 करोड़ के नुकसान का आकलन और प्रदेश सरकार ने किया है वहीं अब तक 61 लोगों की जान जा चुकी है। प्रदेश में हो रही बारिश के चलते सड़क संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं मंगलवार को भी प्रदेश में 220 सड़के यातायात के लिए पूरी तरह से अवरोध रही जिन्हें खोलने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा मशीनरी लगाई गई है इसके अलावा 153 पेयजल परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं और बिजली के ट्रांसफार्मर को भी काफी नुक्सान हो रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान मंडी जिला में हुआ है और वहां पर सड़कों को प्राथमिकता पर खोलने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है। राजस्व मंत्री जगत नेगी ने कहा कि मानसून में इस बार भारी नुकसान देखने को मिल रहा है प्रदेश में मंडी में बादल फटने से जान माल का नुकसान हुआ है लोगों के मकान और सड़के पूरी तरह से बह गई है राहत बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है और सड़कों को खोलने का काम किया जा रहा है मंडी में 170 मशीन है सड़कों खोलने के लिए लगाई गई है । वही जगत नेगी ने भांग की खेती को लीगल करने को लेकर कहा कि भांग की खेती को लीगल करने के लिए 1985 में कानून बना हुआ 1989 का नियम है लाइसेंस देने का प्रवधान था। इसके लिए कानून भी बनाया गया था लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया। इसको लेकर आज सभी विभागों के अधिकारी बैठकर चर्चा की गई और एक मसौदा तैयार किया है अब इसे कैबिनेट में भेजने का फैसला लिया है कैबिनेट की मजबूरी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती के लिए लाइसेंस देना शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भांग की खेती नशे को प्रोत्साहित करने के लिए नही की जाएगी। बल्कि मेडिसिन के लिए इसको प्रयोग किया जाएगा और जीने लाइसेंस दिए जाएंगे उन पर नजर रहेगी बाकायदा वहां पर कैमरे भी लगाए जाएंगे। भांग केवल नशे के लिए प्रयोग नहीं होती की बल्कि इससे दवाइयां बनाने के अलावा अन्य वस्तुएं बनाने के काम भी भांग के पौधे आते हैं और इससे लीगल करने से जहां किसानों की आई बड़ी की वहीं सरकार को भी आय होगी। शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में वन भूमि पर सेब के कटान पर जगत नेगी ने कहा कि यह प्रदेश सरकार का फैसला नहीं है बल्कि हाई कोर्ट के निर्देशों पर ही वन विभाग द्वारा सब के पेड़ काटे जा रहे हैं। हाई कोर्ट द्वारा जो भी निर्देश गए दिए गए हैं उन्हें ही सरकार लागू कर रही है।
शिमला , 15 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस साल भी गहरे जख्म दिए हैं प्रदेश में बादल फटने और भारी बरसात के चलते भारी नुकसान हुआ है प्रदेश में अब तक 1000 करोड़ के नुकसान का आकलन और प्रदेश सरकार ने किया है वहीं अब तक 61 लोगों की जान जा चुकी है।
प्रदेश में हो रही बारिश के चलते सड़क संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं मंगलवार को भी प्रदेश में 220 सड़के यातायात के लिए पूरी तरह से अवरोध रही जिन्हें खोलने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा मशीनरी लगाई गई है इसके अलावा 153 पेयजल परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं और बिजली के ट्रांसफार्मर को भी काफी नुक्सान हो रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान मंडी जिला में हुआ है और वहां पर सड़कों को प्राथमिकता पर खोलने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है।
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राजस्व मंत्री जगत नेगी ने कहा कि मानसून में इस बार भारी नुकसान देखने को मिल रहा है प्रदेश में मंडी में बादल फटने से जान माल का नुकसान हुआ है लोगों के मकान और सड़के पूरी तरह से बह गई है राहत बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है और सड़कों को खोलने का काम किया जा रहा है मंडी में 170 मशीन है सड़कों खोलने के लिए लगाई गई है ।
वही जगत नेगी ने भांग की खेती को लीगल करने को लेकर कहा कि भांग की खेती को लीगल करने के लिए 1985 में कानून बना हुआ 1989 का नियम है लाइसेंस देने का प्रवधान था। इसके लिए कानून भी बनाया गया था लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया।
इसको लेकर आज सभी विभागों के अधिकारी बैठकर चर्चा की गई और एक मसौदा तैयार किया है अब इसे कैबिनेट में भेजने का फैसला लिया है कैबिनेट की मजबूरी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती के लिए लाइसेंस देना शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भांग की खेती नशे को प्रोत्साहित करने के लिए नही की जाएगी।
बल्कि मेडिसिन के लिए इसको प्रयोग किया जाएगा और जीने लाइसेंस दिए जाएंगे उन पर नजर रहेगी बाकायदा वहां पर कैमरे भी लगाए जाएंगे। भांग केवल नशे के लिए प्रयोग नहीं होती की बल्कि इससे दवाइयां बनाने के अलावा अन्य वस्तुएं बनाने के काम भी भांग के पौधे आते हैं और इससे लीगल करने से जहां किसानों की आई बड़ी की वहीं सरकार को भी आय होगी।
शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में वन भूमि पर सेब के कटान पर जगत नेगी ने कहा कि यह प्रदेश सरकार का फैसला नहीं है बल्कि हाई कोर्ट के निर्देशों पर ही वन विभाग द्वारा सब के पेड़ काटे जा रहे हैं। हाई कोर्ट द्वारा जो भी निर्देश गए दिए गए हैं उन्हें ही सरकार लागू कर रही है।
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