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शिमला , 25 जून [ विशाल सूद ] ! अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला महानगर द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आर्यावर्त संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि श्री ललित ठाकुर प्रबंध निदेशक आर्यव्रत संस्थान व वशिष्ठ अतिथि अधिवक्ता अंकित चंदेल एडिशनल सेंट्रल गवर्नमेंट स्टैंडिंग काउंसिल रहे। अधिवक्ता अंकित चंदेल द्वारा 1975 के आपातकाल पर प्रकाश डाला गया व विस्तारपूर्वक बताया गया किस तरह उस समय की सरकार ने सत्ता में रहने के लिए लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई व आपातकाल की घोषणा करवाई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक अशांति का हलवा देकर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की । यह आपातकाल 21 महीनों (25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 ) तक चलता रहा जिस में 1 लाख से ज्यादा लोगों को कारगर के पीछे डाला व कई लोगों को गोलियां मार कर तानाशाही चलाई। आपातकाल भारत के लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है जिसके कारण एनेको लोगों को दर्द सहना पड़ा। एडवोकेट अंकित ने बताया कि राज नारायण द्वारा एक याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दर्ज करवाई गई जिसके बाद ( 12 जून 1975 ) उच्च न्यायालय ने उनका चुनाव 6 वर्षों तो रद्द करवाया व 6 वर्षों तक कोई भी पद पर संभालने से रोका । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि ललित ठाकुर ने बताया तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सविधान की धज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी व ( MISA) कानून के अंतर्गत अनेकों लोगों को बेबजह जेल मे डाला गया। आपातकाल के समय कई लोगों यातनाये सहनी पड़ी। जिला संयोजक दिवीज ठाकुर द्वारा बताया गया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर अनेको कार्यक्रम करेगी। संगोष्ठी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एनेको वरिष्ठ व वर्तमान कार्यकर्ता मौजूद रहे।
शिमला , 25 जून [ विशाल सूद ] ! अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला महानगर द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आर्यावर्त संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि श्री ललित ठाकुर प्रबंध निदेशक आर्यव्रत संस्थान व वशिष्ठ अतिथि अधिवक्ता अंकित चंदेल एडिशनल सेंट्रल गवर्नमेंट स्टैंडिंग काउंसिल रहे।
अधिवक्ता अंकित चंदेल द्वारा 1975 के आपातकाल पर प्रकाश डाला गया व विस्तारपूर्वक बताया गया किस तरह उस समय की सरकार ने सत्ता में रहने के लिए लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई व आपातकाल की घोषणा करवाई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक अशांति का हलवा देकर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की ।
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यह आपातकाल 21 महीनों (25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 ) तक चलता रहा जिस में 1 लाख से ज्यादा लोगों को कारगर के पीछे डाला व कई लोगों को गोलियां मार कर तानाशाही चलाई। आपातकाल भारत के लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है जिसके कारण एनेको लोगों को दर्द सहना पड़ा।
एडवोकेट अंकित ने बताया कि राज नारायण द्वारा एक याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दर्ज करवाई गई जिसके बाद ( 12 जून 1975 ) उच्च न्यायालय ने उनका चुनाव 6 वर्षों तो रद्द करवाया व 6 वर्षों तक कोई भी पद पर संभालने से रोका ।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि ललित ठाकुर ने बताया तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सविधान की धज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी व ( MISA) कानून के अंतर्गत अनेकों लोगों को बेबजह जेल मे डाला गया। आपातकाल के समय कई लोगों यातनाये सहनी पड़ी।
जिला संयोजक दिवीज ठाकुर द्वारा बताया गया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर अनेको कार्यक्रम करेगी। संगोष्ठी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एनेको वरिष्ठ व वर्तमान कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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