


*तानाशाही रवैये से देश के नागरिकों को किया गया था प्रताड़ित - हनी शर्मा* *1975 में लोकतंत्र की हत्या करने में नहीं छोड़ी गई थी कोई कसर - अभाविप*
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शिमला , 25 जून [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आज शाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा 1975 में कांग्रेस सरकार के द्वारा आपातकाल घोषित कर की गई तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मशाल यात्रा की गई।मशाल यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद के साथ साथ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले आम छात्र भी इसमें शामिल रहे। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हनी शर्मा ने बताया कि 25 जून 1975 की रात जब देश सो रहा था इंदिरा गांधी ने अपने सलाहकारों के साथ मिलकर एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक अशांति का हवाला देकर आपातकाल की घोषणा करवाई। यह भारत के लोकतंत्र पर एक सुनियोजित हमला था बिना किसी चेतावनी के देश को तानाशाही के हवाले कर दिया गया। आपातकाल की घोषणा के साथ ही देश एक खुली जेल बन गया जहां बोलने की आजादी, अभिव्यक्ति का अधिकार और राजनीतिक विरोध सबको कुचल दिया गया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर उसे अपने नियंत्रण में ले लिया यह दौर भारतीय प्रेम के इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाता है स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाया गया और सरकार विरोधी किसी भी आवाज को सेंसर या दंडित किया गया। समाचार छपने से पहले सरकारी मंचूरियन वाली थी और बड़े शहरों में सेंसर अधिकारी के नाते इंदिरा गांधी की आलोचना पर रोक थी और विरोध करने वाले अखबारों की सुविधा काट दी गई कई पत्रकार गिरफ्तार हुए और प्रेस काउंसिल जैसी संस्थाएं निष्क्रिय कर दी गई। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि यह मशाल यात्रा प्रदर्शन ऐसे कृत्यों के खिलाफ जताया जा रहा है। ताकि आने वाले समय में कोई भी नेता या पार्टी ऐसे काले कृत्यों अंजाम न दे। एवं जिस तरह से वर्ष 1975 में लोकतंत्र की हत्या की गई वह बुरा दौर वापिस कभी भारतीय जनता को देखने को न मिले।
शिमला , 25 जून [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आज शाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा 1975 में कांग्रेस सरकार के द्वारा आपातकाल घोषित कर की गई तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मशाल यात्रा की गई।मशाल यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद के साथ साथ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले आम छात्र भी इसमें शामिल रहे।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हनी शर्मा ने बताया कि 25 जून 1975 की रात जब देश सो रहा था इंदिरा गांधी ने अपने सलाहकारों के साथ मिलकर एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक अशांति का हवाला देकर आपातकाल की घोषणा करवाई।
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यह भारत के लोकतंत्र पर एक सुनियोजित हमला था बिना किसी चेतावनी के देश को तानाशाही के हवाले कर दिया गया। आपातकाल की घोषणा के साथ ही देश एक खुली जेल बन गया जहां बोलने की आजादी, अभिव्यक्ति का अधिकार और राजनीतिक विरोध सबको कुचल दिया गया।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर उसे अपने नियंत्रण में ले लिया यह दौर भारतीय प्रेम के इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाता है स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाया गया और सरकार विरोधी किसी भी आवाज को सेंसर या दंडित किया गया। समाचार छपने से पहले सरकारी मंचूरियन वाली थी और बड़े शहरों में सेंसर अधिकारी के नाते इंदिरा गांधी की आलोचना पर रोक थी और विरोध करने वाले अखबारों की सुविधा काट दी गई कई पत्रकार गिरफ्तार हुए और प्रेस काउंसिल जैसी संस्थाएं निष्क्रिय कर दी गई।
साथ ही साथ उन्होंने कहा कि यह मशाल यात्रा प्रदर्शन ऐसे कृत्यों के खिलाफ जताया जा रहा है। ताकि आने वाले समय में कोई भी नेता या पार्टी ऐसे काले कृत्यों अंजाम न दे। एवं जिस तरह से वर्ष 1975 में लोकतंत्र की हत्या की गई वह बुरा दौर वापिस कभी भारतीय जनता को देखने को न मिले।
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