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शिमला/नेरवा , 14 दिसम्बर [ विशाल सूद ] : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से परमात्मा मुझे मिला है और यह सभी का मिल सकता है। जिज्ञासा और समपर्ण हो तो यह उसी क्षण मिल सकता है। रविवार को जिला शिमला के नेरवा में आयोजित संयोजक स्तरीय निरंकारी संत समागम में केंद्रीय प्रचारक विवेकानंद नौटियाल ने अपने दिव्य वचनों में परमात्मा का गुणगान किया। इस दौरान उन्होंने इसके कई उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा है कि सद्गुरु की मुझ पर कृपा हुई, उन्होंने मुझे अपने चरणों में स्थान दिया, तो मैं परमात्मा को पा सका और यह सभी को मिल सकता है, इसके लिए जिज्ञासा की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि हम इसके प्रत्यक्षदर्शी है, तो इसकी गवाही दे रहे हैं। उन्होंने एक छोटे बच्चे का उदाहरण देते हुए कहा है कि बच्चे को स्कूल में टीचर ने कहा कि बेटा कल तुम्हें पहाड़े याद करके आना। बच्चा कुछ तैयारी करके आया, लेकिन खेलकूद में भी ध्यान था, तो फोकस नहीं कर पाया। अब बच्चे की बारी आई तो बच्चा पहाड़ा तो भूल गया, लेकिन उसे इसकी धुन याद रही है। इसका भाव बताते हुए उन्होंने कहा है कि हमें विधि तो याद है, लेकिन वह विधि किस हेतु है, वह नही पता। उन्होंने और उदाहरण देते हुए कहा है कि अक्सर हम परमात्मा के नाम पर धोखे खाते हैं, लेकिन अब नहीं खाएंगे। अब परमात्मा मिले तो बात बने। पहले इसको जान ले और फिर इसे पा लो। उन्होंने कहा कि बिना सतगुरु के भव सागर को पार करना असंभव है यदि यह भवसागर पार करना चाहता है तो सतगुरु की शरण में जाना पड़ेगा। इस समागम में शिमला, चंबी, चौपाल, गुम्मा, दुर्गापूर, जुन्गा, सुन्नी, आनी, ठियोग, त्यूणी, नेरवा के अलावा आसपास की कई साध संगत शामिल हुई। जिसमें संगतों ने भजनों और विचारों से प्रभु परमात्मा का गुणगान किया। इस मौके पर उत्तराखंड से ओमप्रकाश, सुमित, जितेंद्र के अलावा शिमला के संयोजक हेमराज भारद्वाज व चौपाल के मुख्य महात्मा अतर सिंह शामिल रहे।
शिमला/नेरवा , 14 दिसम्बर [ विशाल सूद ] : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से परमात्मा मुझे मिला है और यह सभी का मिल सकता है। जिज्ञासा और समपर्ण हो तो यह उसी क्षण मिल सकता है। रविवार को जिला शिमला के नेरवा में आयोजित संयोजक स्तरीय निरंकारी संत समागम में केंद्रीय प्रचारक विवेकानंद नौटियाल ने अपने दिव्य वचनों में परमात्मा का गुणगान किया।
इस दौरान उन्होंने इसके कई उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा है कि सद्गुरु की मुझ पर कृपा हुई, उन्होंने मुझे अपने चरणों में स्थान दिया, तो मैं परमात्मा को पा सका और यह सभी को मिल सकता है, इसके लिए जिज्ञासा की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि हम इसके प्रत्यक्षदर्शी है, तो इसकी गवाही दे रहे हैं। उन्होंने एक छोटे बच्चे का उदाहरण देते हुए कहा है कि बच्चे को स्कूल में टीचर ने कहा कि बेटा कल तुम्हें पहाड़े याद करके आना।
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बच्चा कुछ तैयारी करके आया, लेकिन खेलकूद में भी ध्यान था, तो फोकस नहीं कर पाया। अब बच्चे की बारी आई तो बच्चा पहाड़ा तो भूल गया, लेकिन उसे इसकी धुन याद रही है। इसका भाव बताते हुए उन्होंने कहा है कि हमें विधि तो याद है, लेकिन वह विधि किस हेतु है, वह नही पता। उन्होंने और उदाहरण देते हुए कहा है कि अक्सर हम परमात्मा के नाम पर धोखे खाते हैं, लेकिन अब नहीं खाएंगे।
अब परमात्मा मिले तो बात बने। पहले इसको जान ले और फिर इसे पा लो। उन्होंने कहा कि बिना सतगुरु के भव सागर को पार करना असंभव है यदि यह भवसागर पार करना चाहता है तो सतगुरु की शरण में जाना पड़ेगा। इस समागम में शिमला, चंबी, चौपाल, गुम्मा, दुर्गापूर, जुन्गा, सुन्नी, आनी, ठियोग, त्यूणी, नेरवा के अलावा आसपास की कई साध संगत शामिल हुई।
जिसमें संगतों ने भजनों और विचारों से प्रभु परमात्मा का गुणगान किया। इस मौके पर उत्तराखंड से ओमप्रकाश, सुमित, जितेंद्र के अलावा शिमला के संयोजक हेमराज भारद्वाज व चौपाल के मुख्य महात्मा अतर सिंह शामिल रहे।
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