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धर्मशाला , 03 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! विधानसभा सत्र के छठे दिन ओबीसी संघर्ष समिति फिर से अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतर आई। जोराबर स्टेडियम में समिति ने जोरदार प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि सरकार उनकी 21 प्रमुख मांगों पर चर्चा से बच रही है। समिति ने कहा कि सितंबर में 20 हजार लोगों की रैली के बाद भी सरकार ने संवाद नहीं किया। अब चेतावनी है कि अगर शीतकालीन सत्र में ओबीसी की मांगों पर चर्चा नहीं हुई, तो आंदोलन बड़े स्तर पर किया जाएगा। विधानसभा के दौरान धर्मशाला आज छठे दिन जरोबार स्टेडियम ओबीसी संघर्ष समिति के नारों से गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया। समिति का कहना है कि 20 सितंबर को कांगड़ा से धर्मशाला तक 20 हजार लोग सड़कों पर उतरे थे, लेकिन इतनी बड़ी रैली के बाद भी सरकार ने ओबीसी समाज से बातचीत तक करना उचित नहीं समझा। उनका कहना है कि सत्र को छे दिन बीत चुके हैं, लेकिन ओबीसी वर्ग की एक भी मांग पर सदन में चर्चा नहीं हुई। समिति ने यह भी कहा कि ओबीसी वर्ग से आए विधायक सुखराम चौधरी, पवन काजल और चंद्र कुमार—ने भी अब तक ओबीसी मुद्दों का जिक्र नहीं किया। वहीं ओबीसी बहुल क्षेत्रों से चुने गए रघुवीर सिंह बाली, केवल पठानिया और सुधीर शर्मा पर भी समुदाय से पीछे हटने का आरोप लगाया गया है। लेकिन फिलहाल शांतिपूर्ण आंदोलन को प्राथमिकता दी गई है। “जरोबार स्टेडियम में हम सरकार को आखिरी बार संदेश दे रहे हैं। हमारी 21 मांगें वर्षों से लंबित हैं। सत्र में एक दिन चर्चा तक नहीं हुई। सरकार अगर इसे हमारी कमजोरी समझ रही है तो बहुत बड़ा भ्रम है।” ओबीसी संघर्ष समिति की 21 मांगों में शामिल हैं—• उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी आरक्षण• सरकारी सेवाओं में 27% आरक्षण• विश्वविद्यालयों में ओबीसी छात्रावास• हिमाचल में ओबीसी जनगणना• रोस्टर प्रणाली लागू• बैकलॉग पद भरने• SC/ST की तर्ज पर ओबीसी के लिए पृथक बजट• ओबीसी प्रमाणपत्र को लाइफटाइम करना आदि समिति का कहना है कि ये अधिकार संविधान व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर आधारित हैं लेकिन हिमाचल में लागू नहीं किए गए।“अगर 3 दिसंबर तक सरकार ने बात नहीं की और सत्र में हमारी मांगें नहीं उठीं, तो आंदोलन अब और बड़ा होगा। जवाब चुनावों में भी दिया जाएगा।”
धर्मशाला , 03 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! विधानसभा सत्र के छठे दिन ओबीसी संघर्ष समिति फिर से अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतर आई। जोराबर स्टेडियम में समिति ने जोरदार प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि सरकार उनकी 21 प्रमुख मांगों पर चर्चा से बच रही है। समिति ने कहा कि सितंबर में 20 हजार लोगों की रैली के बाद भी सरकार ने संवाद नहीं किया। अब चेतावनी है कि अगर शीतकालीन सत्र में ओबीसी की मांगों पर चर्चा नहीं हुई, तो आंदोलन बड़े स्तर पर किया जाएगा।
विधानसभा के दौरान धर्मशाला आज छठे दिन जरोबार स्टेडियम ओबीसी संघर्ष समिति के नारों से गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया। समिति का कहना है कि 20 सितंबर को कांगड़ा से धर्मशाला तक 20 हजार लोग सड़कों पर उतरे थे, लेकिन इतनी बड़ी रैली के बाद भी सरकार ने ओबीसी समाज से बातचीत तक करना उचित नहीं समझा। उनका कहना है कि सत्र को छे दिन बीत चुके हैं, लेकिन ओबीसी वर्ग की एक भी मांग पर सदन में चर्चा नहीं हुई।
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समिति ने यह भी कहा कि ओबीसी वर्ग से आए विधायक सुखराम चौधरी, पवन काजल और चंद्र कुमार—ने भी अब तक ओबीसी मुद्दों का जिक्र नहीं किया। वहीं ओबीसी बहुल क्षेत्रों से चुने गए रघुवीर सिंह बाली, केवल पठानिया और सुधीर शर्मा पर भी समुदाय से पीछे हटने का आरोप लगाया गया है। लेकिन फिलहाल शांतिपूर्ण आंदोलन को प्राथमिकता दी गई है।
“जरोबार स्टेडियम में हम सरकार को आखिरी बार संदेश दे रहे हैं। हमारी 21 मांगें वर्षों से लंबित हैं। सत्र में एक दिन चर्चा तक नहीं हुई। सरकार अगर इसे हमारी कमजोरी समझ रही है तो बहुत बड़ा भ्रम है।”
ओबीसी संघर्ष समिति की 21 मांगों में शामिल हैं—
• उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी आरक्षण
• सरकारी सेवाओं में 27% आरक्षण
• विश्वविद्यालयों में ओबीसी छात्रावास
• हिमाचल में ओबीसी जनगणना
• रोस्टर प्रणाली लागू
• बैकलॉग पद भरने
• SC/ST की तर्ज पर ओबीसी के लिए पृथक बजट
• ओबीसी प्रमाणपत्र को लाइफटाइम करना आदि
समिति का कहना है कि ये अधिकार संविधान व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर आधारित हैं लेकिन हिमाचल में लागू नहीं किए गए।“अगर 3 दिसंबर तक सरकार ने बात नहीं की और सत्र में हमारी मांगें नहीं उठीं, तो आंदोलन अब और बड़ा होगा। जवाब चुनावों में भी दिया जाएगा।”
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