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चम्बा , 14 दिसंबर [ शिवानी ] ! चम्बा जिला की बाट पंचायत इन दिनों गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। सर्दी का मौसम अपने चरम पर है और इसी बीच जंगली जानवरों, खासकर भालू के बढ़ते आतंक ने यहां के लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि रिहायशी इलाकों के आसपास भालुओं की मौजूदगी आम बात बन गई है। इसके साथ ही आपदा के दौरान हुई सड़क धंसने की घटना ने पूरे क्षेत्र के लिए आवाजाही की बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। बाट गांव को जोड़ने वाले दोनों मुख्य मार्ग—लुड्डू और पनेला रूट—पर बसें गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं। लुड्डू वाले रूट पर बस लगभग 3 किलोमीटर पहले ही लौट जाती है, जबकि पनेला रूट की बस भी गांव से करीब 1 किलोमीटर पीछे ही वापस हो जाती है। यह सड़क दोनों तरफ से बाट पंचायत को जोड़ने का एकमात्र महत्वपूर्ण मार्ग है, लेकिन भूस्खलन के बाद से इसे अभी तक बहाल नहीं किया गया है। बस सेवा बंद होने का सबसे ज्यादा असर यहां के स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है। उन्हें रोजाना 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। रास्ता पूरी तरह जंगलों से होकर गुजरता है, जिससे जंगली जानवरों का डर लगातार बना रहता है। सर्दियों में शाम जल्द अंधेरा हो जाता है, ऐसे में बच्चे खतरे के बीच घर लौटते हैं। थकान, ठंड और भय—इन सबके बीच वे अपनी पढ़ाई जारी रखने को मजबूर हैं। स्कूल जा रहे छात्रों ने बताया कि उनके गांव तक बस नहीं पहुंच रही है। आपदा के समय एक जगह डंगा खिसक गया था, जिसके कारण बस कई किलोमीटर पहले ही वापस चली जाती है। उन्होंने कहा कि सड़क का काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन फिर भी बस सेवा बहाल नहीं की गई है। छात्रों ने विभाग और सरकार से मांग की है कि बस को जल्द उनके स्कूल तक भेजा जाए, ताकि वे समय पर और सुरक्षित स्कूल पहुंच सकें। स्थानीय ग्रामीणों ने भी अपनी समस्याएं साझा करते हुए बताया कि आपदा के समय सड़क धँस गई थी और कई महीनों के बाद भी विभाग ने इसे ठीक नहीं किया है। बस सेवा प्रभावित होने से रोजमर्रा के कार्यों में भारी दिक्कतें हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और जंगली जानवरों के खतरे ने उन्हें हमेशा चिंता में रखा हुआ है। ग्रामीणों ने सरकार और विभाग से आग्रह किया है कि सड़क को तुरंत दुरुस्त किया जाए, ताकि बस सेवा अपने निर्धारित स्थान तक पहुंच सके और लोगों को राहत मिल सके।
चम्बा , 14 दिसंबर [ शिवानी ] ! चम्बा जिला की बाट पंचायत इन दिनों गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। सर्दी का मौसम अपने चरम पर है और इसी बीच जंगली जानवरों, खासकर भालू के बढ़ते आतंक ने यहां के लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि रिहायशी इलाकों के आसपास भालुओं की मौजूदगी आम बात बन गई है।
इसके साथ ही आपदा के दौरान हुई सड़क धंसने की घटना ने पूरे क्षेत्र के लिए आवाजाही की बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। बाट गांव को जोड़ने वाले दोनों मुख्य मार्ग—लुड्डू और पनेला रूट—पर बसें गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
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लुड्डू वाले रूट पर बस लगभग 3 किलोमीटर पहले ही लौट जाती है, जबकि पनेला रूट की बस भी गांव से करीब 1 किलोमीटर पीछे ही वापस हो जाती है। यह सड़क दोनों तरफ से बाट पंचायत को जोड़ने का एकमात्र महत्वपूर्ण मार्ग है, लेकिन भूस्खलन के बाद से इसे अभी तक बहाल नहीं किया गया है।
बस सेवा बंद होने का सबसे ज्यादा असर यहां के स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है। उन्हें रोजाना 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। रास्ता पूरी तरह जंगलों से होकर गुजरता है, जिससे जंगली जानवरों का डर लगातार बना रहता है।
सर्दियों में शाम जल्द अंधेरा हो जाता है, ऐसे में बच्चे खतरे के बीच घर लौटते हैं। थकान, ठंड और भय—इन सबके बीच वे अपनी पढ़ाई जारी रखने को मजबूर हैं।
स्कूल जा रहे छात्रों ने बताया कि उनके गांव तक बस नहीं पहुंच रही है। आपदा के समय एक जगह डंगा खिसक गया था, जिसके कारण बस कई किलोमीटर पहले ही वापस चली जाती है।
उन्होंने कहा कि सड़क का काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन फिर भी बस सेवा बहाल नहीं की गई है। छात्रों ने विभाग और सरकार से मांग की है कि बस को जल्द उनके स्कूल तक भेजा जाए, ताकि वे समय पर और सुरक्षित स्कूल पहुंच सकें।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी अपनी समस्याएं साझा करते हुए बताया कि आपदा के समय सड़क धँस गई थी और कई महीनों के बाद भी विभाग ने इसे ठीक नहीं किया है।
बस सेवा प्रभावित होने से रोजमर्रा के कार्यों में भारी दिक्कतें हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और जंगली जानवरों के खतरे ने उन्हें हमेशा चिंता में रखा हुआ है।
ग्रामीणों ने सरकार और विभाग से आग्रह किया है कि सड़क को तुरंत दुरुस्त किया जाए, ताकि बस सेवा अपने निर्धारित स्थान तक पहुंच सके और लोगों को राहत मिल सके।
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