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चम्बा , 11 दिसंबर [ शिवानी ] ! चम्बा नगर अपनी 1000 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन आज यही नगर गंभीर भूस्खलन संकट से जूझ रहा है। नगर के किनारे बसे कई वार्ड—विशेषकर कश्मीरी मोहल्ला और चौगान क्षेत्र पिछले कई वर्षों से भूमि धंसाव (जमीन दोष) की मार झेल रहे हैं। लगातार सक्रिय भूस्खलन से यहां के दर्जनों घर खतरे की जद में आ चुके हैं। बताते चले कि जैसे ही बरसात का मौसम आता है इन वार्डों में भूस्खलन की स्थिति और बिगड़ जाती है। हर साल प्रशासन एहतियातन घर खाली करवाकर लोगों को अस्थायी ठिकानों पर भेज देता है, लेकिन बारिश थमने के बाद न तो स्थायी सुरक्षा दीवार का निर्माण होता है और न ही भूमि स्थिरीकरण का कोई ठोस कार्य। इसी कारण मजबूर लोग फिर से उसी खतरे वाले इलाकों में परिवार सहित रहने को विवश हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बीते दिनों नगर परिषद द्वारा सुरक्षा दीवार बनाने का काम शुरू तो किया गया, लेकिन बीच में ही रोक दिया गया। इससे लोगों के आने-जाने में और बड़े हादसों की आशंका बढ़ गई है। बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर लोग बेहद चिंतित हैं। भूस्खलन की चपेट में सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि चंबा की अनमोल धरोहरें भी हैं। इनमें शामिल हैं राजा शाम सिंह हॉस्पिटल,भूरी सिंह संग्रहालय,स्नो व्यू.ऐतिहासिक जामा मस्जिद,गांधी गेट,,हरि राय मंदिर,बाबा श्रीचंद मंदिर,1904 में बना फायर ब्रिगेड ऑफिस ,ये सभी धरोहरें उन्हीं प्रभावित वार्डों में स्थित हैं। यदि भूस्खलन तेज हुआ, तो ये ऐतिहासिक इमारतें भी कभी भी जमींदोज हो सकती हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे कई वर्षों से भूस्खलन के डर में दिन-रात गुज़ार रहे हैं। उनका कहना है कि बरसात के समय प्रशासन उन्हें कुछ दिनों के लिए सुरक्षित जगह भेज देता है, लेकिन बाद में कोई पूछने वाला नहीं होता। सुरक्षा दीवार बनाने का काम बीच में बंद कर देने से खतरा और अधिक बढ़ गया है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन और सरकार जल्द से जल्द इन वार्डों के लिए स्थायी सुरक्षा योजना बनाकर लागू करे, ताकि भविष्य में किसी बड़े हादसे को रोका जा सके। हम वर्षों से खतरे के साए में जी रहे हैं। बरसात में तो हमें हटाया जाता है, लेकिन बाद में कोई हालचाल नहीं लेता। सुरक्षा दीवार का काम बंद होने से परेशानी और बढ़ गई है। सरकार को इस इलाके के लिए तत्काल स्थायी समाधान करना चाहिए।
चम्बा , 11 दिसंबर [ शिवानी ] ! चम्बा नगर अपनी 1000 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन आज यही नगर गंभीर भूस्खलन संकट से जूझ रहा है। नगर के किनारे बसे कई वार्ड—विशेषकर कश्मीरी मोहल्ला और चौगान क्षेत्र पिछले कई वर्षों से भूमि धंसाव (जमीन दोष) की मार झेल रहे हैं। लगातार सक्रिय भूस्खलन से यहां के दर्जनों घर खतरे की जद में आ चुके हैं।
बताते चले कि जैसे ही बरसात का मौसम आता है इन वार्डों में भूस्खलन की स्थिति और बिगड़ जाती है। हर साल प्रशासन एहतियातन घर खाली करवाकर लोगों को अस्थायी ठिकानों पर भेज देता है, लेकिन बारिश थमने के बाद न तो स्थायी सुरक्षा दीवार का निर्माण होता है और न ही भूमि स्थिरीकरण का कोई ठोस कार्य। इसी कारण मजबूर लोग फिर से उसी खतरे वाले इलाकों में परिवार सहित रहने को विवश हैं।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि बीते दिनों नगर परिषद द्वारा सुरक्षा दीवार बनाने का काम शुरू तो किया गया, लेकिन बीच में ही रोक दिया गया। इससे लोगों के आने-जाने में और बड़े हादसों की आशंका बढ़ गई है। बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर लोग बेहद चिंतित हैं।
भूस्खलन की चपेट में सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि चंबा की अनमोल धरोहरें भी हैं। इनमें शामिल हैं राजा शाम सिंह हॉस्पिटल,भूरी सिंह संग्रहालय,स्नो व्यू.ऐतिहासिक जामा मस्जिद,गांधी गेट,,हरि राय मंदिर,बाबा श्रीचंद मंदिर,1904 में बना फायर ब्रिगेड ऑफिस ,ये सभी धरोहरें उन्हीं प्रभावित वार्डों में स्थित हैं। यदि भूस्खलन तेज हुआ, तो ये ऐतिहासिक इमारतें भी कभी भी जमींदोज हो सकती हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि वे कई वर्षों से भूस्खलन के डर में दिन-रात गुज़ार रहे हैं। उनका कहना है कि बरसात के समय प्रशासन उन्हें कुछ दिनों के लिए सुरक्षित जगह भेज देता है, लेकिन बाद में कोई पूछने वाला नहीं होता। सुरक्षा दीवार बनाने का काम बीच में बंद कर देने से खतरा और अधिक बढ़ गया है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन और सरकार जल्द से जल्द इन वार्डों के लिए स्थायी सुरक्षा योजना बनाकर लागू करे, ताकि भविष्य में किसी बड़े हादसे को रोका जा सके।
हम वर्षों से खतरे के साए में जी रहे हैं। बरसात में तो हमें हटाया जाता है, लेकिन बाद में कोई हालचाल नहीं लेता। सुरक्षा दीवार का काम बंद होने से परेशानी और बढ़ गई है। सरकार को इस इलाके के लिए तत्काल स्थायी समाधान करना चाहिए।
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