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चम्बा , 26 जुलाई [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा में राष्ट्रीय सेवा योजना और नेहरू युवा केंद्र के सयुंक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त जानकारी देते हुए एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मदन गुलेरिया जी मुख्यतिथि के रूप में तथा जिला युवा अधिकारी श्री विवेक कुमार विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रोफेसर अविनाश द्वारा सभी का स्वागत किया व उक्त दिवस के उपलक्षय पर सभी को सम्बोधित किया। इसके उपरांत जिला युवा अधिकारी श्री विवेक कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत करते हुए अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस समस्त देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई 1999 को भारत ने *ऑपरेशन विजय* को फतह और टाइगर हिल पर कब्ज़ा किया व भारत विजयी हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान एवं उन्हें कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे। इस कार्यक्रम के दौरान राजकीय महाविद्यालय चम्बा के एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर नीता राम भारद्वाज और एन एस एस स्वयंसेवियों के इलावा अन्य विद्यार्थी भी उपस्थित रहें।
चम्बा , 26 जुलाई [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा में राष्ट्रीय सेवा योजना और नेहरू युवा केंद्र के सयुंक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त जानकारी देते हुए एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मदन गुलेरिया जी मुख्यतिथि के रूप में तथा जिला युवा अधिकारी श्री विवेक कुमार विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम प्रोफेसर अविनाश द्वारा सभी का स्वागत किया व उक्त दिवस के उपलक्षय पर सभी को सम्बोधित किया। इसके उपरांत जिला युवा अधिकारी श्री विवेक कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत करते हुए अपने विचार रखे।
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उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस समस्त देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई 1999 को भारत ने *ऑपरेशन विजय* को फतह और टाइगर हिल पर कब्ज़ा किया व भारत विजयी हुआ।
कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान एवं उन्हें कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।
जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।
प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे।
इस कार्यक्रम के दौरान राजकीय महाविद्यालय चम्बा के एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर नीता राम भारद्वाज और एन एस एस स्वयंसेवियों के इलावा अन्य विद्यार्थी भी उपस्थित रहें।
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