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चम्बा , 21 जून, [ रीना सहोत्रा ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्त्वावधान में कला सृजन पाठशाला द्वारा डायमंड सत्र-1 के तहत पुस्तक विमोचन के साथ कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जैसी राम स्वछता प्रेमी, तथा विशिष्ट अतिथि पद्म श्री विजय शर्मा ने सरस्वती वन्दन के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके इस सत्र का आग़ाज किया। पुस्तक विमोचन के इस सुनहरे अवसर पर लेखक तथा उनकी धर्म पत्नी द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ साथ चम्बा के विभिन्न स्वच्छता प्रेमियों को शाल और टोपी पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद समकालीन कवि भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' की चंब्याली लोक बोली में लिखित पुस्तक "चिक्कणी मुक्कणी गल्लां" का विमोचन स्वच्छता प्रेमी जैसी राम के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्म श्री विजय शर्मा तथा आयोजन के अध्यक्ष के रूप में शरत् शर्मा की विशेष उपस्थिति रही। तत्पश्चात भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' ने लोकार्पित पुस्तक चिक्कणी मुक्कणी गल्लां से एकल कविता पाठ किया। उसके शीघ्र बाद पुस्तक की समीक्षा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर सन्तोष कुमार, प्रोफेसर प्रशांत रमण रवि एवं शरत् शर्मा द्वारा की गई जिसमें रचनाओं में आए विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। ओंकार वर्मा ने स्थानीय बोली में लिखे इस कविता पुस्तक को आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होने की बात कही। वहीं सोमी प्रकाशन भूवेटा ने लेखक का रचनाओं के माध्यम से रचनाकार का खूबसूरत जीवन वृत्त पेश किया। इस अवसर पर कवयित्री बिमला देवी ने अपनी कविता का वाचन किया तथा पुस्तक की महत्ता के बारे में प्रकाश डाला। चिक्कणी मुक्कणी गल्लां पर चल रही बातचीत, समीक्षा, तथा टिप्पणी को सुनने के बाद परिवारिक सदस्य मंजीत जसरोटिया ने कहा कि परिवार वालों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा कि भूपेंद्र जसरोटिया जी कविता आदि लिखेंगे। उन्होंने लिखा और पुस्तक रूप में छपा और उसका कला सृजन पाठशाला से इसका विमोचन हुआ। यह जसरोटिया कुटुंब के लिए गौरव का क्षण है। विशिष्ट अतिथि पद्म श्री विजय शर्मा ने कविता के अनेक गुणों पर बातचीत करते हुए कहा कि भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' आशु कवि हैं। उन्होंनें अपने वक्तव्य में कला सृजन पाठशाला की गतिविधियों की प्रामाणिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि बड़े सालों बाद चम्बा में लेखन सक्रियता बढ़ी है। अध्यक्षीय वक्तव्य में शरत् शर्मा ने कहा कि भले ही कला सृजन पाठशाला ने इक्यवनवें सत्र के साथ डायमण्ड सत्र-एक में प्रवेश कर लिया हो पर सत्रों की संख्या कम ही है। इस सत्र के साथ इस मंच से यह पाँचवीं पुस्तक का लोकार्पण समारोह है। इस बेला पर मनजीत जसरोटिया, सुरेंद्र जसरोटिया, सुरेंद्र कम्पानी, विपिन महाजन, उर्मिला जसरोटिया, आशा देवी, बबिता, पारूल जसरोटिया, नीलेश, समृद्धि, मानसी, ललिता, साहिल ठाकुर, अंकुश, गुड्डी, मधू, कंचन आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का मंच संचालन डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा किया गया । भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त करते हुए आयोजन को विराम की ओर अग्रसर किया।
चम्बा , 21 जून, [ रीना सहोत्रा ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्त्वावधान में कला सृजन पाठशाला द्वारा डायमंड सत्र-1 के तहत पुस्तक विमोचन के साथ कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जैसी राम स्वछता प्रेमी, तथा विशिष्ट अतिथि पद्म श्री विजय शर्मा ने सरस्वती वन्दन के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके इस सत्र का आग़ाज किया। पुस्तक विमोचन के इस सुनहरे अवसर पर लेखक तथा उनकी धर्म पत्नी द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ साथ चम्बा के विभिन्न स्वच्छता प्रेमियों को शाल और टोपी पहनाकर सम्मानित किया।
इसके बाद समकालीन कवि भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' की चंब्याली लोक बोली में लिखित पुस्तक "चिक्कणी मुक्कणी गल्लां" का विमोचन स्वच्छता प्रेमी जैसी राम के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्म श्री विजय शर्मा तथा आयोजन के अध्यक्ष के रूप में शरत् शर्मा की विशेष उपस्थिति रही। तत्पश्चात भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' ने लोकार्पित पुस्तक चिक्कणी मुक्कणी गल्लां से एकल कविता पाठ किया।
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उसके शीघ्र बाद पुस्तक की समीक्षा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर सन्तोष कुमार, प्रोफेसर प्रशांत रमण रवि एवं शरत् शर्मा द्वारा की गई जिसमें रचनाओं में आए विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।
ओंकार वर्मा ने स्थानीय बोली में लिखे इस कविता पुस्तक को आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होने की बात कही। वहीं सोमी प्रकाशन भूवेटा ने लेखक का रचनाओं के माध्यम से रचनाकार का खूबसूरत जीवन वृत्त पेश किया। इस अवसर पर कवयित्री बिमला देवी ने अपनी कविता का वाचन किया तथा पुस्तक की महत्ता के बारे में प्रकाश डाला। चिक्कणी मुक्कणी गल्लां पर चल रही बातचीत, समीक्षा, तथा टिप्पणी को सुनने के बाद परिवारिक सदस्य मंजीत जसरोटिया ने कहा कि परिवार वालों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा कि भूपेंद्र जसरोटिया जी कविता आदि लिखेंगे। उन्होंने लिखा और पुस्तक रूप में छपा और उसका कला सृजन पाठशाला से इसका विमोचन हुआ। यह जसरोटिया कुटुंब के लिए गौरव का क्षण है।
विशिष्ट अतिथि पद्म श्री विजय शर्मा ने कविता के अनेक गुणों पर बातचीत करते हुए कहा कि भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' आशु कवि हैं। उन्होंनें अपने वक्तव्य में कला सृजन पाठशाला की गतिविधियों की प्रामाणिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि बड़े सालों बाद चम्बा में लेखन सक्रियता बढ़ी है। अध्यक्षीय वक्तव्य में शरत् शर्मा ने कहा कि भले ही कला सृजन पाठशाला ने इक्यवनवें सत्र के साथ डायमण्ड सत्र-एक में प्रवेश कर लिया हो पर सत्रों की संख्या कम ही है। इस सत्र के साथ इस मंच से यह पाँचवीं पुस्तक का लोकार्पण समारोह है।
इस बेला पर मनजीत जसरोटिया, सुरेंद्र जसरोटिया, सुरेंद्र कम्पानी, विपिन महाजन, उर्मिला जसरोटिया, आशा देवी, बबिता, पारूल जसरोटिया, नीलेश, समृद्धि, मानसी, ललिता, साहिल ठाकुर, अंकुश, गुड्डी, मधू, कंचन आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का मंच संचालन डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा किया गया । भूपेंद्र जसरोटिया 'अणजाण' ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त करते हुए आयोजन को विराम की ओर अग्रसर किया।
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