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शिमला , 13 अगस्त [ विशाल सूद ] ! भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। मंदिरों के साथ बाजारों में रौनक है। इस साल जन्माष्टमी की सही तारीख को लेकर भक्तों में भ्रम बना हुआ है। शिमला के श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी उमेश प्रसाद नौटियाल ने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह पर्व इस साल दो दिन मनाया जाएगा। इनमें गृहस्थों और वैष्णवजनों के लिए दो अलग तिथियों का उल्लेख है। गृहस्थ 15 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं। इसी तरह वैष्णव जन 16 अगस्त की रात को कान्हा के जन्म का उत्सव मनाएंगे। पंडित उमेश प्रसाद नौटियाल ने बताया कि स्मार्त परंपरा से जुड़े लोग 16 अगस्त के दिन निशीथ काल की पूजा को 12:05 से 12:47 बजे तक कर सकेंगे। राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए तन-मन से पवित्र होकर उनकी पूजा के लिए दूध, दही, घी, शहद, तुलसी, पंचामृत, पंजीरी, शक्कर रखें। सबसे पहले भगवान कृष्ण की पूजा के लिए एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाएं। इसके बाद एक थाली में अपने बाल गोपाल को रखकर दूध, दही, घी और शहद से स्नान करवाएं। इसके बाद उन्हें गंगाजल से एक बार फिर नहलाएं और सुंदर श्रृंगार करें। उमेश नौटियाल के अनुसार, 15 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग व्रत का पारण 16 अगस्त को सुबह करेंगे और वैष्णवजन 16 अगस्त को व्रत कर 17 अगस्त को व्रत का पारण करेंगे।
शिमला , 13 अगस्त [ विशाल सूद ] ! भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। मंदिरों के साथ बाजारों में रौनक है। इस साल जन्माष्टमी की सही तारीख को लेकर भक्तों में भ्रम बना हुआ है। शिमला के श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी उमेश प्रसाद नौटियाल ने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह पर्व इस साल दो दिन मनाया जाएगा।
इनमें गृहस्थों और वैष्णवजनों के लिए दो अलग तिथियों का उल्लेख है। गृहस्थ 15 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं। इसी तरह वैष्णव जन 16 अगस्त की रात को कान्हा के जन्म का उत्सव मनाएंगे। पंडित उमेश प्रसाद नौटियाल ने बताया कि स्मार्त परंपरा से जुड़े लोग 16 अगस्त के दिन निशीथ काल की पूजा को 12:05 से 12:47 बजे तक कर सकेंगे।
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राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए तन-मन से पवित्र होकर उनकी पूजा के लिए दूध, दही, घी, शहद, तुलसी, पंचामृत, पंजीरी, शक्कर रखें। सबसे पहले भगवान कृष्ण की पूजा के लिए एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाएं। इसके बाद एक थाली में अपने बाल गोपाल को रखकर दूध, दही, घी और शहद से स्नान करवाएं।
इसके बाद उन्हें गंगाजल से एक बार फिर नहलाएं और सुंदर श्रृंगार करें। उमेश नौटियाल के अनुसार, 15 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग व्रत का पारण 16 अगस्त को सुबह करेंगे और वैष्णवजन 16 अगस्त को व्रत कर 17 अगस्त को व्रत का पारण करेंगे।
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