
सरकार आबकारी मामले में प्रदेश को घाटा और माफिया को फ़ायदा देने का काम कर रही है अवैध शराब की फैक्ट्रियों पर रहम दिखाने के बजाय वाले निगमों पर रहम दिखाए सरकार
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शिमला : 27 जून ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते प्रदेश के निगमों का नुकसान कर रही है। प्रदेश सरकार नीलामी में रह गए शराब के ठेकों को जबरिया प्रदेश के विभिन्न निगमों के द्वारा संचालित करवा रही है इसकी वजह से पहले से ही आर्थिक संकटों का सामना कर रहे निगम और घाटे में जा रहे हैं। एक तरफ बाकी सारे काम रोककर शराब बेचने से जहां निगमों द्वारा किया जाने वाला जनहित का कार्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हर दिन निगमों को लाखों रुपए की आर्थिक चपत लग रही है। अगर नगर निगम शिमला और हिमफेड की ही बात करें तो मात्र 65 दिन में ही यह दोनों 10 करोड रुपए के कर्जदार बन गए हैं। मई और जून महीने की लाइसेंस फीस के ही उनके ऊपर 9.99 करोड रुपए की देनदारियां हो गई हैं। आबकारी विभाग ने इन दोनों को लाइसेंस फीस नहीं देने के कारण रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इन्हें नोटिस भी जारी कर दिया है। अगर समय पर निगमों ने लाइसेंस फीस नहीं चुकाई तो उन्हें ब्याज के साथ यह फीस चुकानी पड़ेगी। जिसका सीधा असर इनकी कार्यप्रणाली पर होगा। सरकार नगर निगम समेत अन्य निगमों के ऊपर अपना फैसला थोप कर न सिर्फ उन्हें घाटे में डाल रही है बल्कि आम आदमियों के हित से जुड़े काम भी रोक रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि जब सरकार ने नीलामी से रह गए ठेकों के संचालन की जिम्मेदारी विभिन्न निगमों को दी तो सभी निगमों की तरफ से इसका पुरजोर विरोध किया गया। लेकिन सरकार की जिद के आगे किसी की एक भी न चली और तमाम विरोध के बावजूद निगमों को शराब के ठेकों का संचालन करना पड़ा। आज सरकार की जिद के चलते शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में एचपीएमसी हिमफैड और वन निगम को शराब के ठेके चलाने पड़ रहे हैं। जिसकी वजह से उनके अपने काम प्रभावित हो रहे हैं। सरकार ने सामान्य उद्योग निगम को भी शराब बेचने के काम में लगा दिया है जिनका काम फर्नीचर कपड़े का उत्पादन था। इसके साथ ही सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर नई शराब के ठेके खोले हैं जिनका स्थानीय लोगों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है लेकिन सरकार ठेके की जगह बदलने की बजाय विरोध करने वाले लोगों पर मुकदमा दर्ज करवा रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार आबकारी मामले में प्रदेश का घाटा और माफियाओं का फायदा करवा रही है। प्रदेश में जगह-जगह शराब की अवैध फैक्ट्रियां चलने के मामले सामने आए हैं। प्रदेश के मंत्री रहते हैं कि इन्हें रोका नहीं जा सकता। स्थानीय लोगों के दबाव के कारण परवाणू और काला अम्ब में अवैध शराब बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा तो पड़ा लेकिन उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। उसका कारण था उन्हें सत्ता के शीर्ष से संरक्षण मिल रहा है। इस तरीके का कृत्य करने वाले लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए, उनकी संपत्तियों जप्त की जानी चाहिए लेकिन ऐसे लोगों कार्रवाई के बजाय संरक्षण पा रहे हैं। इसलिए सरकार से निवेदन है कि शराब माफियाओं पर रहम दिखाने की बजाय प्रदेश के निगमों पर रहम दिखाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की आबकारी से आय के मामले में किए गए सारे दावे धराशायी हो गए हैं। उनका एक-एक झूठ बेनकाब हो गया है। सुक्खू सरकार की नीतियों की वजह से आबकारी के राजस्व के अर्जन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। सुक्खू के सत्ता में आने के बाद से ही हर साल आबकारी के राजस्व में चालीस फीसदी वृद्धि का दावा करते रहे। सदन से लेकर प्रदेश के चौक चौराहे पर झूठ बोलते रहे। अगर सरकार के दावे में जरा भी सच्चाई होती इस बार सरकार आबकारी से राजस्व अर्जित करने के लिए 4 हज़ार करोड़ का लक्ष्य रखती 2800 करोड़ का नहीं। सचाई यह है कि सुक्खू सरकार हर साल आबकारी राजस्व के वृद्धि में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है। जबकि पूर्व की भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में आबकारी के राजस्व में 22 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। सुक्खू सरकार की वजह प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शिमला : 27 जून ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते प्रदेश के निगमों का नुकसान कर रही है। प्रदेश सरकार नीलामी में रह गए शराब के ठेकों को जबरिया प्रदेश के विभिन्न निगमों के द्वारा संचालित करवा रही है इसकी वजह से पहले से ही आर्थिक संकटों का सामना कर रहे निगम और घाटे में जा रहे हैं। एक तरफ बाकी सारे काम रोककर शराब बेचने से जहां निगमों द्वारा किया जाने वाला जनहित का कार्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हर दिन निगमों को लाखों रुपए की आर्थिक चपत लग रही है।
अगर नगर निगम शिमला और हिमफेड की ही बात करें तो मात्र 65 दिन में ही यह दोनों 10 करोड रुपए के कर्जदार बन गए हैं। मई और जून महीने की लाइसेंस फीस के ही उनके ऊपर 9.99 करोड रुपए की देनदारियां हो गई हैं। आबकारी विभाग ने इन दोनों को लाइसेंस फीस नहीं देने के कारण रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इन्हें नोटिस भी जारी कर दिया है।
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अगर समय पर निगमों ने लाइसेंस फीस नहीं चुकाई तो उन्हें ब्याज के साथ यह फीस चुकानी पड़ेगी। जिसका सीधा असर इनकी कार्यप्रणाली पर होगा। सरकार नगर निगम समेत अन्य निगमों के ऊपर अपना फैसला थोप कर न सिर्फ उन्हें घाटे में डाल रही है बल्कि आम आदमियों के हित से जुड़े काम भी रोक रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जब सरकार ने नीलामी से रह गए ठेकों के संचालन की जिम्मेदारी विभिन्न निगमों को दी तो सभी निगमों की तरफ से इसका पुरजोर विरोध किया गया। लेकिन सरकार की जिद के आगे किसी की एक भी न चली और तमाम विरोध के बावजूद निगमों को शराब के ठेकों का संचालन करना पड़ा। आज सरकार की जिद के चलते शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में एचपीएमसी हिमफैड और वन निगम को शराब के ठेके चलाने पड़ रहे हैं। जिसकी वजह से उनके अपने काम प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार ने सामान्य उद्योग निगम को भी शराब बेचने के काम में लगा दिया है जिनका काम फर्नीचर कपड़े का उत्पादन था। इसके साथ ही सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर नई शराब के ठेके खोले हैं जिनका स्थानीय लोगों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है लेकिन सरकार ठेके की जगह बदलने की बजाय विरोध करने वाले लोगों पर मुकदमा दर्ज करवा रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार आबकारी मामले में प्रदेश का घाटा और माफियाओं का फायदा करवा रही है। प्रदेश में जगह-जगह शराब की अवैध फैक्ट्रियां चलने के मामले सामने आए हैं। प्रदेश के मंत्री रहते हैं कि इन्हें रोका नहीं जा सकता। स्थानीय लोगों के दबाव के कारण परवाणू और काला अम्ब में अवैध शराब बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा तो पड़ा लेकिन उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।
उसका कारण था उन्हें सत्ता के शीर्ष से संरक्षण मिल रहा है। इस तरीके का कृत्य करने वाले लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए, उनकी संपत्तियों जप्त की जानी चाहिए लेकिन ऐसे लोगों कार्रवाई के बजाय संरक्षण पा रहे हैं। इसलिए सरकार से निवेदन है कि शराब माफियाओं पर रहम दिखाने की बजाय प्रदेश के निगमों पर रहम दिखाए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की आबकारी से आय के मामले में किए गए सारे दावे धराशायी हो गए हैं। उनका एक-एक झूठ बेनकाब हो गया है। सुक्खू सरकार की नीतियों की वजह से आबकारी के राजस्व के अर्जन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। सुक्खू के सत्ता में आने के बाद से ही हर साल आबकारी के राजस्व में चालीस फीसदी वृद्धि का दावा करते रहे।
सदन से लेकर प्रदेश के चौक चौराहे पर झूठ बोलते रहे। अगर सरकार के दावे में जरा भी सच्चाई होती इस बार सरकार आबकारी से राजस्व अर्जित करने के लिए 4 हज़ार करोड़ का लक्ष्य रखती 2800 करोड़ का नहीं। सचाई यह है कि सुक्खू सरकार हर साल आबकारी राजस्व के वृद्धि में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है। जबकि पूर्व की भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में आबकारी के राजस्व में 22 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। सुक्खू सरकार की वजह प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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