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धर्मशाला , 28 नवंबर [ विशाल सूद ] ! विधानसभा के तीसरे दिन भी सियासत का तापमान कम नहीं हुआ। विधानसभा गेट नंबर–1 पर कांग्रेस और भाजपा विधायक आज फिर आमने-सामने दिखे। और धरणा प्रदर्शन किया । कांग्रेस ने 1500 करोड़ की आपदा राहत का मुद्दा उठाया…तो भाजपा ने कर्मचारियों की देनदारियों और पेंशन भुगतान को लेकर सरकार पर तीखे वार किए। तनावपूर्ण माहौल के बीच दोनों तरफ से जमकर बयानबाज़ी हुई। विधानसभा के बाहर दिन की शुरुआत से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज़ थी। कांग्रेस केंद्र सरकार पर 1500 करोड़ की आपदा राहत राशि रोकने का आरोप लगाती नजर आई… वहीं भाजपा ने कर्मचारियों की ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन न मिलने को लेकर सरकार को घेरा। कांग्रेस के प्रदर्शन के हटते ही भाजपा विधायकों ने “भीख माँगकर भाग गए” जैसे नारे लगाए… जिसके बाद दोनों दलों के नेताओं की बयानबाज़ी और अधिक तेज़ हो गई। “आज विधानसभा के तीसरे दिन भी सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने में लगी है।हम शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे… लेकिन कांग्रेस विधायक तख्तियां लेकर हमारे बीच आकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। कांग्रेस अपनी गारंटियां केंद्र के पैसों से पूरी करना चाहती है—ऐसा छल एक दिन नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री ने पैसा देने का वादा किया है… लेकिन ये सरकार आपदा राहत को अपने ऐशो-आराम में उड़ाना चाहती है। हम इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।” “कर्मचारियों और पेंशनधारकों के हक को महीनों से रोका गया है। हम आज तीसरे दिन भी यही मांग दोहरा रहे हैं_सरकार सिर्फ भाषण न दे, भुगतान करे। ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन जैसे अधिकारों पर राजनीति बेहद शर्मनाक है। कर्मचारी सड़क पर हैं… और सरकार आंखें मूंदकर बैठी है।” “सरकार के पास न मुद्दा है, न जवाब। आपदा के पैसों का पूरा हिसाब गायब है।आज जो तख्तियां लेकर कांग्रेस के विधायक अंदर पहुंचे— वे मुख्यमंत्री की गाड़ी में भेजी गई थीं। यह पूरा ड्रामा मुख्यमंत्री की शह पर हुआ है। प्रदेश को गुमराह करके राजनीति करने की यह कोशिश अब उजागर हो चुकी है।”
धर्मशाला , 28 नवंबर [ विशाल सूद ] ! विधानसभा के तीसरे दिन भी सियासत का तापमान कम नहीं हुआ। विधानसभा गेट नंबर–1 पर कांग्रेस और भाजपा विधायक आज फिर आमने-सामने दिखे। और धरणा प्रदर्शन किया । कांग्रेस ने 1500 करोड़ की आपदा राहत का मुद्दा उठाया…तो भाजपा ने कर्मचारियों की देनदारियों और पेंशन भुगतान को लेकर सरकार पर तीखे वार किए। तनावपूर्ण माहौल के बीच दोनों तरफ से जमकर बयानबाज़ी हुई।
विधानसभा के बाहर दिन की शुरुआत से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज़ थी। कांग्रेस केंद्र सरकार पर 1500 करोड़ की आपदा राहत राशि रोकने का आरोप लगाती नजर आई… वहीं भाजपा ने कर्मचारियों की ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन न मिलने को लेकर सरकार को घेरा। कांग्रेस के प्रदर्शन के हटते ही भाजपा विधायकों ने “भीख माँगकर भाग गए” जैसे नारे लगाए… जिसके बाद दोनों दलों के नेताओं की बयानबाज़ी और अधिक तेज़ हो गई।
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“आज विधानसभा के तीसरे दिन भी सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने में लगी है।हम शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे… लेकिन कांग्रेस विधायक तख्तियां लेकर हमारे बीच आकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। कांग्रेस अपनी गारंटियां केंद्र के पैसों से पूरी करना चाहती है—ऐसा छल एक दिन नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री ने पैसा देने का वादा किया है… लेकिन ये सरकार आपदा राहत को अपने ऐशो-आराम में उड़ाना चाहती है। हम इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
“कर्मचारियों और पेंशनधारकों के हक को महीनों से रोका गया है। हम आज तीसरे दिन भी यही मांग दोहरा रहे हैं_सरकार सिर्फ भाषण न दे, भुगतान करे। ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन जैसे अधिकारों पर राजनीति बेहद शर्मनाक है। कर्मचारी सड़क पर हैं… और सरकार आंखें मूंदकर बैठी है।”
“सरकार के पास न मुद्दा है, न जवाब। आपदा के पैसों का पूरा हिसाब गायब है।आज जो तख्तियां लेकर कांग्रेस के विधायक अंदर पहुंचे— वे मुख्यमंत्री की गाड़ी में भेजी गई थीं। यह पूरा ड्रामा मुख्यमंत्री की शह पर हुआ है। प्रदेश को गुमराह करके राजनीति करने की यह कोशिश अब उजागर हो चुकी है।”
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