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चम्बा ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा का दसवां सत्र संपन्न होते ही डलहौजी विधानसभा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनीष सारीन (INC एक्टिविस्ट, डलहौजी विधानसभा क्षेत्र) ने स्थानीय विधायक पर तीखा प्रहार किया है। मनीष सारीन ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक और सत्र में डलहौजी क्षेत्र के मुद्दे सदन में प्रभावी रूप से उठ नहीं पाए। उन्होंने कहा कि विधायक की चुप्पी और निष्क्रियता के कारण यह दसवां सत्र भी डलहौजी क्षेत्र के लिए ‘शून्य स्कोर’ पर समाप्त हुआ है।मनीष ने कहा कि जब विधानसभा सत्र जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया चल रही हो, तब जनता से जुड़े विषय—जैसे सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, किसानों की समस्याएँ, जनसुविधाएँ—उन्हें सदन में उठाया जाना चाहिए, न कि केवल सदन में उपस्थिति भर दर्ज करवाकर चले आना चाहिए। उन्होंने कहा कि डलहौजी क्षेत्र कई वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है, परंतु विधायक सदन में प्रश्न पूछने, बहस में हिस्सा लेने या सरकारी नीतियों पर सार्थक सुझाव देने से बचते रहे हैं। इसका सीधा नुकसान क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ रहा है। डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र की आर्थिकी का बहुत बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है। मई माह में ऑपरेशन सिन्दूर के शुरू होने से क्षेत्र में भीषण बरसात से हुई त्रासदी से अब तक क्षेत्र का पर्यटन उद्योग उभर नहीं पाया है। पर्यटन कारोबारियों को विशेष सहायता पैकेज की आवश्यकता है परन्तु विधायक को शायद इतना महत्वपूर्ण मुद्दा भी विधानसभा पटल के लायक नहीं लगा। मनीष ने कहा कि महत्वपूर्ण विषयों के बजाय विधायक का ध्यान अक्सर गैर-जरूरी मुद्दों पर केंद्रित रहता है, जबकि जनता उम्मीद करती है कि उनका प्रतिनिधि सदन में उन समस्याओं पर मुखरता से आवाज उठाए जिनका समाधान सिर्फ विधानमंडल ही कर सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि यदि विधायक वास्तव में डलहौजी के विकास के प्रति गंभीर हैं, तो उन्हें सदन में सक्रियता दिखानी चाहिए, न कि किसी भी नीति या सुझाव की सिर्फ नकल कर मीडिया में बयानबाजी करके खुद को सक्रिय दिखाना चाहिए। अंत में मनीष सारीन ने कहा कि डलहौजी क्षेत्र की जनता अब अपने जनप्रतिनिधि से जवाब मांगने लगी है, और यदि आने वाले सत्रों में भी विधायक की यही निष्क्रियता जारी रही तो जनता में गहरा असंतोष पैदा होगा।
चम्बा ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा का दसवां सत्र संपन्न होते ही डलहौजी विधानसभा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनीष सारीन (INC एक्टिविस्ट, डलहौजी विधानसभा क्षेत्र) ने स्थानीय विधायक पर तीखा प्रहार किया है।
मनीष सारीन ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक और सत्र में डलहौजी क्षेत्र के मुद्दे सदन में प्रभावी रूप से उठ नहीं पाए। उन्होंने कहा कि विधायक की चुप्पी और निष्क्रियता के कारण यह दसवां सत्र भी डलहौजी क्षेत्र के लिए ‘शून्य स्कोर’ पर समाप्त हुआ है।
मनीष ने कहा कि जब विधानसभा सत्र जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया चल रही हो, तब जनता से जुड़े विषय—जैसे सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, किसानों की समस्याएँ, जनसुविधाएँ—उन्हें सदन में उठाया जाना चाहिए, न कि केवल सदन में उपस्थिति भर दर्ज करवाकर चले आना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि डलहौजी क्षेत्र कई वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है, परंतु विधायक सदन में प्रश्न पूछने, बहस में हिस्सा लेने या सरकारी नीतियों पर सार्थक सुझाव देने से बचते रहे हैं। इसका सीधा नुकसान क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ रहा है।
डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र की आर्थिकी का बहुत बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है। मई माह में ऑपरेशन सिन्दूर के शुरू होने से क्षेत्र में भीषण बरसात से हुई त्रासदी से अब तक क्षेत्र का पर्यटन उद्योग उभर नहीं पाया है। पर्यटन कारोबारियों को विशेष सहायता पैकेज की आवश्यकता है परन्तु विधायक को शायद इतना महत्वपूर्ण मुद्दा भी विधानसभा पटल के लायक नहीं लगा।
मनीष ने कहा कि महत्वपूर्ण विषयों के बजाय विधायक का ध्यान अक्सर गैर-जरूरी मुद्दों पर केंद्रित रहता है, जबकि जनता उम्मीद करती है कि उनका प्रतिनिधि सदन में उन समस्याओं पर मुखरता से आवाज उठाए जिनका समाधान सिर्फ विधानमंडल ही कर सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि यदि विधायक वास्तव में डलहौजी के विकास के प्रति गंभीर हैं, तो उन्हें सदन में सक्रियता दिखानी चाहिए, न कि किसी भी नीति या सुझाव की सिर्फ नकल कर मीडिया में बयानबाजी करके खुद को सक्रिय दिखाना चाहिए।
अंत में मनीष सारीन ने कहा कि डलहौजी क्षेत्र की जनता अब अपने जनप्रतिनिधि से जवाब मांगने लगी है, और यदि आने वाले सत्रों में भी विधायक की यही निष्क्रियता जारी रही तो जनता में गहरा असंतोष पैदा होगा।
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