
कहा इंदिरा गांधी ने आंतरिक आशांति की आड़ में अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया*
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धर्मशाला, 26 जून ! देश में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला हैं। वीरवार को धर्मशाला में पत्रतार सम्मेलन के दौरान राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने आरोप लगाया कि 25 जून 1975 की आधी रात को तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने‘ आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की थी। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्ध किए जाने और सता बचाने की हताशा में लिया गया था। उन्होंने कहा कि आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई। प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया। इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति की आड़ लेकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया, जबकि न उस समय कोई युद्ध की स्थिति थी, न विद्रोह और न ही कोई बाहरी आक्रमण हुआ, यह सिर्फ इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा की चुनावी सदस्यता रद्द करने के निर्णय को निष्क्रिय करने और अपनी कुर्सी को बचाने की जिद थी। जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गंाधी प्रधानमंत्री बनी थीं, उसी संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया और चुनाव में दोषी ठहराए जाने के बाद नैतिकता से इस्तीफा देनेकेब जाय पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रचा गया। राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालि का सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी जिन्हे न तो राजनीति की भाषा का ज्ञान था न ही उन्हे समाज के बारे में कोई समझ थी। अपातकाल में संजय गांधी ने हिटलर की भूमिका निभाई। दरअसल, उन्होंने देशभर में पुरुष नसबंदी का करवाने का आदेश दिया। इस निर्णय के पीछे सरकार की मंशा थी कि देश की आबादी को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन, देशभर में कई लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करवाई गई। एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि एक साल में 60 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी करवाई गई। बताया जाता है कि 16 साल के किशोर से लेकर 70 साल के बुजुर्गों की नसबंदी करा दी गई। जबरन नसबंदी के कारण कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने साल 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को ससंद में फाड़ डाला तथा देश की जनता से माफी तक नही मांगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इंदिरा गांधी की सरकार ने 38वेंसं शोधन के तहत आपातकाल की घोषणा को न्यायपालि का की जांच सेबाहर कर दिया, इन मनमानेसं शोधनों के तहत इंदिरा गांधी ने सीधे-सीधे तानाशाही के लिए रास्ता खोल दिया था। एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कंाग्रेस सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आपातकाल के दौरान यदि किसी नागरिक को गोली मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का अधिकार नहीं है। यह कांग्रेस का संविधान के प्रति सम्मान था और यही कंाग्रेस आज संविधान की झूठी दुहाई देती फिर रही है। उन्होंने कहा इस केस में जस्टिस एच.आर. खन्ना अकेले जज थे जिन्होंने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया और इसी कारण इंदिरा गांधी ने उन्हें सजा स्वरूप मुख्य न्यायाधीश नहीं बनने दिया था। गरीबों के लिए सामाजि क न्याय की लड़ाई लड़नेका नाटक रच रहे राहुल गंाधी यह कैसे भूल जाते हैं किउनकी दादी इंदिरा ने दिल्ली की तुर्कमान गेट पर अपने घरोें को बचाने के लिए गुहार लगो वाले गरीबों पर गोलियां चलवाई थी। कांगेस इस तरह गरीबी हटाओ के नारे को चरितार्थ कर रही थी। राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा आपातकाल की जंाच के लिए गठित शाह आयोग न 6 अगस्त 1978 को अपनी फाइनल रिपोर्ट में साफ लिखा था कि आपातकाल लगाने का कोई संवैधानि क औचित्य नहीं था और यह सिर्फ इंदिरा गांधी का व्यक्ति गत राजनीतिक षड्यंत्र था। उन्होंने कहा कि 1980 में दोबारा कांग्रेस सरकार बनने पर इंदिरा गांधी इस आयोग की रिपोर्ट को भी नष्ट करवा दिया था। राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक को भंग कर दिया, ताकि कोई सं स्थान उनकी सेंसरशिप और मीडिया पर हमले की आलोचना न कर सके। जो कंाग्रेस एक समय प्रेस पर सेंसरशिप थोपती थी, वही आज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें फैलाने वालों को खुला संरक्षण देती है और वैचारिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए मुकदमे दर्ज कराती है। एडीएम जबलपुर बनाम शि विकांत शुक्ला मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आपातकाल के दौरान यदि कि सी नागरिक को गोली मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का अधिकार नहीं है। यह कंाग्रेस का संविधान केप्रति सम्मान था और यही कांग्रेस आज संविधान की झूठी दुहाई देती फि र रही है। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर, हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक पवन काजल, पूर्व मंत्री व विधायक सुधीर शर्मा, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा, राकेश शर्मा, प्रदेश भाजपा सचिव विशाल चैहान, प्रदेश ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष विनय चैधरी, जिला कांगड़ा भाजपा अध्यक्ष सचिन शर्मा, हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी एडवोकेट विश्व चक्षु, पूर्व विधायक विशाल नेहरिया, धर्मशाला मंडल अध्यक्ष डॉ. विशाल नेहरिया, जिला कांगड़ा भाजपा महामंत्री देवेंद्र कोहली मौजूद रहे।
धर्मशाला, 26 जून ! देश में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला हैं। वीरवार को धर्मशाला में पत्रतार सम्मेलन के दौरान राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने आरोप लगाया कि 25 जून 1975 की आधी रात को तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने‘ आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की थी।
यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्ध किए जाने और सता बचाने की हताशा में लिया गया था। उन्होंने कहा कि आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई। प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया।
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इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति की आड़ लेकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया, जबकि न उस समय कोई युद्ध की स्थिति थी, न विद्रोह और न ही कोई बाहरी आक्रमण हुआ, यह सिर्फ इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा की चुनावी सदस्यता रद्द करने के निर्णय को निष्क्रिय करने और अपनी कुर्सी को बचाने की जिद थी। जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गंाधी प्रधानमंत्री बनी थीं, उसी संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया और चुनाव में दोषी ठहराए जाने के बाद नैतिकता से इस्तीफा देनेकेब जाय पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रचा गया।
राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालि का सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी जिन्हे न तो राजनीति की भाषा का ज्ञान था न ही उन्हे समाज के बारे में कोई समझ थी। अपातकाल में संजय गांधी ने हिटलर की भूमिका निभाई। दरअसल, उन्होंने देशभर में पुरुष नसबंदी का करवाने का आदेश दिया। इस निर्णय के पीछे सरकार की मंशा थी कि देश की आबादी को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन, देशभर में कई लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करवाई गई। एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि एक साल में 60 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी करवाई गई।
बताया जाता है कि 16 साल के किशोर से लेकर 70 साल के बुजुर्गों की नसबंदी करा दी गई। जबरन नसबंदी के कारण कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने साल 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को ससंद में फाड़ डाला तथा देश की जनता से माफी तक नही मांगी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा इंदिरा गांधी की सरकार ने 38वेंसं शोधन के तहत आपातकाल की घोषणा को न्यायपालि का की जांच सेबाहर कर दिया, इन मनमानेसं शोधनों के तहत इंदिरा गांधी ने सीधे-सीधे तानाशाही के लिए रास्ता खोल दिया था। एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कंाग्रेस सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आपातकाल के दौरान यदि किसी नागरिक को गोली मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का अधिकार नहीं है।
यह कांग्रेस का संविधान के प्रति सम्मान था और यही कंाग्रेस आज संविधान की झूठी दुहाई देती फिर रही है। उन्होंने कहा इस केस में जस्टिस एच.आर. खन्ना अकेले जज थे जिन्होंने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया और इसी कारण इंदिरा गांधी ने उन्हें सजा स्वरूप मुख्य न्यायाधीश नहीं बनने दिया था। गरीबों के लिए सामाजि क न्याय की लड़ाई लड़नेका नाटक रच रहे राहुल गंाधी यह कैसे भूल जाते हैं किउनकी दादी इंदिरा ने दिल्ली की तुर्कमान गेट पर अपने घरोें को बचाने के लिए गुहार लगो वाले गरीबों पर गोलियां चलवाई थी।
कांगेस इस तरह गरीबी हटाओ के नारे को चरितार्थ कर रही थी। राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा आपातकाल की जंाच के लिए गठित शाह आयोग न 6 अगस्त 1978 को अपनी फाइनल रिपोर्ट में साफ लिखा था कि आपातकाल लगाने का कोई संवैधानि क औचित्य नहीं था और यह सिर्फ इंदिरा गांधी का व्यक्ति गत राजनीतिक षड्यंत्र था। उन्होंने कहा कि 1980 में दोबारा कांग्रेस सरकार बनने पर इंदिरा गांधी इस आयोग की रिपोर्ट को भी नष्ट करवा दिया था।
राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक को भंग कर दिया, ताकि कोई सं स्थान उनकी सेंसरशिप और मीडिया पर हमले की आलोचना न कर सके। जो कंाग्रेस एक समय प्रेस पर सेंसरशिप थोपती थी, वही आज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें फैलाने वालों को खुला संरक्षण देती है और वैचारिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए मुकदमे दर्ज कराती है।
एडीएम जबलपुर बनाम शि विकांत शुक्ला मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आपातकाल के दौरान यदि कि सी नागरिक को गोली मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का अधिकार नहीं है। यह कंाग्रेस का संविधान केप्रति सम्मान था और यही कांग्रेस आज संविधान की झूठी दुहाई देती फि र रही है।
इस मौके पर हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर, हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक पवन काजल, पूर्व मंत्री व विधायक सुधीर शर्मा, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा, राकेश शर्मा, प्रदेश भाजपा सचिव विशाल चैहान, प्रदेश ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष विनय चैधरी, जिला कांगड़ा भाजपा अध्यक्ष सचिन शर्मा, हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी एडवोकेट विश्व चक्षु, पूर्व विधायक विशाल नेहरिया, धर्मशाला मंडल अध्यक्ष डॉ. विशाल नेहरिया, जिला कांगड़ा भाजपा महामंत्री देवेंद्र कोहली मौजूद रहे।
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