
➤ होटल डील का पूरा वित्तीय ब्यौरा सार्वजनिक किया ➤ मानहानि को लेकर अदालत जाने का एलान किया ➤ होटल खरीद और बैंक लोन (OTS) को लेकर लगाए गए आरोपों का विस्तृत खंडन ➤ पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए पत्रकारों से तह तक जाने का आह्वान
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धर्मशाला , 29 सितंबर [ विशाल सूद ] ! धर्मशाला में सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कैबिनेट मंत्री रैंक एवं हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व नगरोटा बगवां के विधायक आरएस बाली ने पालमपुर के एक होटल की खरीद को लेकर उठे विवाद पर तथ्यों सहित स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह सौदा पूरी तरह नियमों के अनुरूप और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुआ है। इसके बावजूद बेबुनियाद और मनगढ़ंत आरोप लगाकर न केवल उनकी बल्कि पूरे परिवार की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। वे जानते हैं कि इसके पीछे कौन-कौन से नेता हैं और कौन से अधिकारी,सब पर पैनी निगाह है। आरएस बाली ने इस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा— “काला अक्षर भैंस बराबर… तथ्यों के सामने होने के बावजूद बिना जांच-पड़ताल के विपक्ष की चालबाजी में आकर इसे मीडिया पर उछालना सरासर गलत है।” उन्होंने साफ किया कि इस झूठी मुहिम से उनकी मानहानि हुई है और अब वह इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और मानहानी का दावा करेंगे। आरएस बाली ने प्रेस वार्ता में अपने परिवार और निजी जीवन पर लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप की परंपरा रही है, लेकिन जब किसी के परिवार पर व्यक्तिगत हमले किए जाते हैं, तो सच सामने रखना आवश्यक हो जाता है। बाली ने कहा कि पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया और कुछ अखबारों में उनकी धर्मपत्नी और बहन को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक मकसद से प्रेरित है और 2-3 लोग लगातार झूठ की राजनीति कर रहे हैं। खास बात यह है कि वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने भी इस विषय पर कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे तथ्य से परिचित थे। होटल से जुड़े मामले पर स्पष्ट करते हुए बाली ने बताया कि 6 अगस्त को The Tribune अखबार में होटल की बिक्री/जॉइंट वेंचर का विज्ञापन आया था। उनकी धर्मपत्नी ने औपचारिक रूप से ईमेल के जरिए होटल मालिक केशव चंद चौहान से संपर्क किया। इसके बाद 9 अगस्त को पहली बातचीत हुई और सौदे की राशि ₹24 करोड़ तय की गई। बाली ने विस्तार से बताया कि इस राशि में से ₹18 करोड़ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेकर दिए गए, जबकि ₹6 करोड़ उनके निजी खाते से भुगतान किया गया। पूरी डील चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए हुई। इसके बाद चौहान परिवार ने अपने बैंक लोन की अदायगी की और शेष राशि उनके खाते में गई। उन्होंने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह कहना कि सौदा ₹21 करोड़ में हुआ या इसमें बैंक की कोई गड़बड़ी हुई, सरासर झूठ है। उन्होंने दावा किया कि इस लेन-देन में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं हुई है। कानूनी कदमों की घोषणा करते हुए बाली ने कहा कि अब वह इस मामले को अदालत में ले जाएंगे। पहले आरोप लगाने वालों को सार्वजनिक माफी मांगने का समय दिया जाएगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। बाली ने कहा कि वे नगरोटा, कांगड़ा और हिमाचल के बेटे हैं और हमेशा पारदर्शिता से काम करते आए हैं। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि खबर प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की पुष्टि अवश्य करें। सच और झूठ का फैसला अब न्यायपालिका करेगी। होटल खरीद और लोन की सच्चाई आरएस बाली ने सराओर पोर्टिको (Saroar Portico) होटल की खरीद को लेकर सत्य सामने रखा। उन्होंने बताया कि यह होटल ट्रिब्यून अखबार में छपे एक विज्ञापन (ADVERTISEMENT) के माध्यम से उनके संज्ञान में आया था, जिसमें ज्वाइंट वेंचर, पार्टनरशिप या सेल की बात थी। उनकी धर्मपत्नी ने ईमेल के माध्यम से प्रॉपर्टी की डिटेल्स, कीमत और निरीक्षण के लिए समय मांगा। उन्होंने केशव चंद चौहान और रूमा चौहान (होटल के मालिक) को नेक लोग बताया जो व्यावसायिक उतार-चढ़ाव से गुजर रहे थे। बाली ने बताया कि यह संपत्ति ₹24 करोड़ में खरीदी गई, न कि ₹21 करोड़ में, जैसा कि झूठ फैलाया गया। इस खरीद के लिए उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से ₹18 करोड़ का लोन लिया और ₹6 करोड़ अपने बैंक खाते से दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता इसी बात से सिद्ध होती है कि एक व्यक्ति जो सालाना ₹1.75 करोड़ का इनकम टैक्स जमा करता हो और जिसका मासिक रेंट ₹50 लाख से अधिक हो, वह ₹24 करोड़ की संपत्ति खरीद कर ₹18 करोड़ का लोन ले सकता है। OTS (One Time Settlement) पर विस्तृत जानकारीउन्होंने कहा कि सबसे भ्रामक आरोप केसीसी बैंक के लोन माफी को लेकर था। वक्ता ने बैंक के जनरल मैनेजर से प्राप्त आधिकारिक डेटा के आधार पर सच्चाई सामने रखी। लोन राशि: होटल मालिकों ने 2013-2016 के बीच ₹18.55 करोड़ का लोन और ₹5 करोड़ की सीसी (Cash Credit) यानी कुल ₹23.55 करोड़ का लोन लिया था। वापसी: होटल मालिकों ने बैंक को ₹33 करोड़ 63 लाख वापस कर दिए थे, जो कि ली गई राशि से ₹10 करोड़ 8 लाख अधिक है। दंडात्मक ब्याज (Penal Interest): बैंक का खाता एनपीए (Non-Performing Account) होने के बाद उस पर दंडात्मक ब्याज लगा, जिसे वे चुका नहीं पाए। OTS: वन टाइम सेटलमेंट (OTS) की यह सुविधा किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि आरबीआई के दिशानिर्देशों के तहत 2022 में पिछली बीजेपी सरकार के समय 5461 लोगों के लिए आई थी। इसमें कोई डिस्क्रीशन (Discretion) नहीं था, बल्कि यह सभी के लिए एक समान सुविधा थी। उन्होंने कहा कि सरोवर पोर्टिको ने 16 नवंबर 2022 (पिछली सरकार के समय) को इस OTS स्कीम में ₹2 करोड़ 20 लाख जमा कराए थे। बाद में 2024 में भी यह स्कीम चली, जिसमें 1800 से अधिक लोगों ने लाभ उठाया। आरएस बाली ने कहा कि कि वह जानते हैं कि इस झूठ के प्रचार के पीछे कौन है, चाहे वह सियासत से जुड़ा हो या कोई अफ़सर। उन्होंने भ्रमक प्रचार करने वालों को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि वह इन्हें माफ़ी मांगने का सार्वजनिक अवसर देंगे, और यदि वे ऐसा नहीं करते तो वह कोर्ट में जाकर मुकदमा दर्ज कराएंगे। उनका अंतिम निर्णय है कि हिमाचल प्रदेश में न्यायपालिका ही सच और झूठ का फैसला करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि उनका व्यवसाय 500 से अधिक परिवारों को रोजगार देता है, जिन्हें वे अपना परिवार मानते हैं, और वे हर महीने ₹1.5 करोड़ से अधिक वेतन देते हैं।
धर्मशाला , 29 सितंबर [ विशाल सूद ] ! धर्मशाला में सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कैबिनेट मंत्री रैंक एवं हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व नगरोटा बगवां के विधायक आरएस बाली ने पालमपुर के एक होटल की खरीद को लेकर उठे विवाद पर तथ्यों सहित स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह सौदा पूरी तरह नियमों के अनुरूप और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुआ है। इसके बावजूद बेबुनियाद और मनगढ़ंत आरोप लगाकर न केवल उनकी बल्कि पूरे परिवार की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। वे जानते हैं कि इसके पीछे कौन-कौन से नेता हैं और कौन से अधिकारी,सब पर पैनी निगाह है।
आरएस बाली ने इस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा— “काला अक्षर भैंस बराबर… तथ्यों के सामने होने के बावजूद बिना जांच-पड़ताल के विपक्ष की चालबाजी में आकर इसे मीडिया पर उछालना सरासर गलत है।” उन्होंने साफ किया कि इस झूठी मुहिम से उनकी मानहानि हुई है और अब वह इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और मानहानी का दावा करेंगे।
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आरएस बाली ने प्रेस वार्ता में अपने परिवार और निजी जीवन पर लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप की परंपरा रही है, लेकिन जब किसी के परिवार पर व्यक्तिगत हमले किए जाते हैं, तो सच सामने रखना आवश्यक हो जाता है।
बाली ने कहा कि पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया और कुछ अखबारों में उनकी धर्मपत्नी और बहन को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक मकसद से प्रेरित है और 2-3 लोग लगातार झूठ की राजनीति कर रहे हैं। खास बात यह है कि वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने भी इस विषय पर कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे तथ्य से परिचित थे।
होटल से जुड़े मामले पर स्पष्ट करते हुए बाली ने बताया कि 6 अगस्त को The Tribune अखबार में होटल की बिक्री/जॉइंट वेंचर का विज्ञापन आया था। उनकी धर्मपत्नी ने औपचारिक रूप से ईमेल के जरिए होटल मालिक केशव चंद चौहान से संपर्क किया। इसके बाद 9 अगस्त को पहली बातचीत हुई और सौदे की राशि ₹24 करोड़ तय की गई।
बाली ने विस्तार से बताया कि इस राशि में से ₹18 करोड़ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेकर दिए गए, जबकि ₹6 करोड़ उनके निजी खाते से भुगतान किया गया। पूरी डील चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए हुई। इसके बाद चौहान परिवार ने अपने बैंक लोन की अदायगी की और शेष राशि उनके खाते में गई।
उन्होंने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह कहना कि सौदा ₹21 करोड़ में हुआ या इसमें बैंक की कोई गड़बड़ी हुई, सरासर झूठ है। उन्होंने दावा किया कि इस लेन-देन में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं हुई है।
कानूनी कदमों की घोषणा करते हुए बाली ने कहा कि अब वह इस मामले को अदालत में ले जाएंगे। पहले आरोप लगाने वालों को सार्वजनिक माफी मांगने का समय दिया जाएगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
बाली ने कहा कि वे नगरोटा, कांगड़ा और हिमाचल के बेटे हैं और हमेशा पारदर्शिता से काम करते आए हैं। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि खबर प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की पुष्टि अवश्य करें। सच और झूठ का फैसला अब न्यायपालिका करेगी।
होटल खरीद और लोन की सच्चाई आरएस बाली ने सराओर पोर्टिको (Saroar Portico) होटल की खरीद को लेकर सत्य सामने रखा। उन्होंने बताया कि यह होटल ट्रिब्यून अखबार में छपे एक विज्ञापन (ADVERTISEMENT) के माध्यम से उनके संज्ञान में आया था, जिसमें ज्वाइंट वेंचर, पार्टनरशिप या सेल की बात थी। उनकी धर्मपत्नी ने ईमेल के माध्यम से प्रॉपर्टी की डिटेल्स, कीमत और निरीक्षण के लिए समय मांगा। उन्होंने केशव चंद चौहान और रूमा चौहान (होटल के मालिक) को नेक लोग बताया जो व्यावसायिक उतार-चढ़ाव से गुजर रहे थे।
बाली ने बताया कि यह संपत्ति ₹24 करोड़ में खरीदी गई, न कि ₹21 करोड़ में, जैसा कि झूठ फैलाया गया। इस खरीद के लिए उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से ₹18 करोड़ का लोन लिया और ₹6 करोड़ अपने बैंक खाते से दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता इसी बात से सिद्ध होती है कि एक व्यक्ति जो सालाना ₹1.75 करोड़ का इनकम टैक्स जमा करता हो और जिसका मासिक रेंट ₹50 लाख से अधिक हो, वह ₹24 करोड़ की संपत्ति खरीद कर ₹18 करोड़ का लोन ले सकता है।
OTS (One Time Settlement) पर विस्तृत जानकारी
उन्होंने कहा कि सबसे भ्रामक आरोप केसीसी बैंक के लोन माफी को लेकर था। वक्ता ने बैंक के जनरल मैनेजर से प्राप्त आधिकारिक डेटा के आधार पर सच्चाई सामने रखी।
लोन राशि: होटल मालिकों ने 2013-2016 के बीच ₹18.55 करोड़ का लोन और ₹5 करोड़ की सीसी (Cash Credit) यानी कुल ₹23.55 करोड़ का लोन लिया था।
वापसी: होटल मालिकों ने बैंक को ₹33 करोड़ 63 लाख वापस कर दिए थे, जो कि ली गई राशि से ₹10 करोड़ 8 लाख अधिक है।
दंडात्मक ब्याज (Penal Interest): बैंक का खाता एनपीए (Non-Performing Account) होने के बाद उस पर दंडात्मक ब्याज लगा, जिसे वे चुका नहीं पाए।
OTS: वन टाइम सेटलमेंट (OTS) की यह सुविधा किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि आरबीआई के दिशानिर्देशों के तहत 2022 में पिछली बीजेपी सरकार के समय 5461 लोगों के लिए आई थी। इसमें कोई डिस्क्रीशन (Discretion) नहीं था, बल्कि यह सभी के लिए एक समान सुविधा थी।
उन्होंने कहा कि सरोवर पोर्टिको ने 16 नवंबर 2022 (पिछली सरकार के समय) को इस OTS स्कीम में ₹2 करोड़ 20 लाख जमा कराए थे। बाद में 2024 में भी यह स्कीम चली, जिसमें 1800 से अधिक लोगों ने लाभ उठाया। आरएस बाली ने कहा कि कि वह जानते हैं कि इस झूठ के प्रचार के पीछे कौन है, चाहे वह सियासत से जुड़ा हो या कोई अफ़सर। उन्होंने भ्रमक प्रचार करने वालों को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि वह इन्हें माफ़ी मांगने का सार्वजनिक अवसर देंगे, और यदि वे ऐसा नहीं करते तो वह कोर्ट में जाकर मुकदमा दर्ज कराएंगे।
उनका अंतिम निर्णय है कि हिमाचल प्रदेश में न्यायपालिका ही सच और झूठ का फैसला करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि उनका व्यवसाय 500 से अधिक परिवारों को रोजगार देता है, जिन्हें वे अपना परिवार मानते हैं, और वे हर महीने ₹1.5 करोड़ से अधिक वेतन देते हैं।
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