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धर्मशाला , 02 नवंबर [ विशाल सूद ] ! पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने विधानसभा व सरकार का ध्यान प्रागपुर और गरली को पुनः सक्रिय रूप से संरक्षित कर उन्हें ग्रामीण-हेरिटेज पर्यटन के मॉडल के रूप में विकसित करने की ओर आकर्षित किया है। ठाकुर ने बताया कि वर्ष 1997 में प्रागपुर को हेरिटेज विलेज का दर्जा प्राप्त हुआ था और प्रागपुर व गरली के बीच लगभग 3 किमी की दूरी होने के बावजूद दोनों ही गांवों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व अद्वितीय है। ये स्थल प्रदेश की लोक-परंपरा, प्राचीन हवेलियों, पुराने मंदिरों, संकरी गलियों और पारंपरिक शिल्पकला के कारण राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने योग्य हैं। बिक्रम ठाकुर ने सरकार से निवेदन किया कि प्रागपुर—गरली के संरक्षण हेतु एक विशेष विकास पैकेज स्वीकृत किया जाए। उनकी मुख्य माँगें इस प्रकार हैं: (1) धर्मशाला से उना तक सड़क एवं कनेक्टिविटी में सुधार, (2) पर्यावरण-अनुकूल स्ट्रीट-लाइटिंग व पार्किंग की व्यवस्थित व्यवस्था, (3) हेरिटेज थीम पर आधारित सार्वजनिक शौचालय व सॉलिड-वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स, (4) स्थानीय शिल्पकारों के लिए प्रशिक्षण व बाजार पहुँच, तथा (5) विरासत होम-स्टे और बुटीक होटल के रूप में पुरानी हवेलियों का संवर्धन। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रागपुर—गरली को वार्षिक हेरिटेज उत्सव के तहत प्रमोट किया जाए जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प, लोक-संगीत, नृत्य व परंपरागत व्यंजन प्रदर्शित किए जाएँ। साथ ही “वन डिस्ट्रिक्ट—वन प्रोडक्ट” योजना में इन ग्रामों की विशिष्ट कला और उत्पादों को शामिल कर स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा/कौशल योजनाओं के माध्यम से कारीगरों को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दी जाए तथा CSR और स्टार्टअप/विकास फंड के ज़रिये छोटे पर्यटन उद्यमों का समर्थन सुनिश्चित किया जाए। बिक्रम ठाकुर ने केंद्र के संस्कृति मंत्रालय, राज्य पर्यटन विभाग तथा संबंधित रक्षा/नगर विकास निकायों से अपील की कि वे प्रागपुर—गरली को ‘हेरिटेज रूरल क्लस्टर’ के रूप में मान्यता दें और सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य व केंद्रीय योजनाओं के अन्तर्गत यह क्षेत्र शामिल किया गया तो इससे न सिर्फ़ स्थानीय आजीविका बढ़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश का पर्यटन भी अधिक विविधता व स्थिरता प्राप्त करेगा। अंत में बिक्रम ठाकुर ने आशा व्यक्त की कि माननीय मुख्यमंत्री व संबंधित मंत्रलय इस प्रस्तुति को गंभीरता से लेकर शीघ्र आवश्यक निर्णय लेंगे ताकि प्रागपुर—गरली जैसी ऐतिहासिक विरासतें सुरक्षित रहें और उनके माध्यम से हमारा ग्रामीण-सांस्कृतिक पर्यटन सुदृढ़ बन सके।
धर्मशाला , 02 नवंबर [ विशाल सूद ] ! पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने विधानसभा व सरकार का ध्यान प्रागपुर और गरली को पुनः सक्रिय रूप से संरक्षित कर उन्हें ग्रामीण-हेरिटेज पर्यटन के मॉडल के रूप में विकसित करने की ओर आकर्षित किया है। ठाकुर ने बताया कि वर्ष 1997 में प्रागपुर को हेरिटेज विलेज का दर्जा प्राप्त हुआ था और प्रागपुर व गरली के बीच लगभग 3 किमी की दूरी होने के बावजूद दोनों ही गांवों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व अद्वितीय है। ये स्थल प्रदेश की लोक-परंपरा, प्राचीन हवेलियों, पुराने मंदिरों, संकरी गलियों और पारंपरिक शिल्पकला के कारण राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने योग्य हैं।
बिक्रम ठाकुर ने सरकार से निवेदन किया कि प्रागपुर—गरली के संरक्षण हेतु एक विशेष विकास पैकेज स्वीकृत किया जाए। उनकी मुख्य माँगें इस प्रकार हैं: (1) धर्मशाला से उना तक सड़क एवं कनेक्टिविटी में सुधार, (2) पर्यावरण-अनुकूल स्ट्रीट-लाइटिंग व पार्किंग की व्यवस्थित व्यवस्था, (3) हेरिटेज थीम पर आधारित सार्वजनिक शौचालय व सॉलिड-वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स, (4) स्थानीय शिल्पकारों के लिए प्रशिक्षण व बाजार पहुँच, तथा (5) विरासत होम-स्टे और बुटीक होटल के रूप में पुरानी हवेलियों का संवर्धन।
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उन्होंने सुझाव दिया कि प्रागपुर—गरली को वार्षिक हेरिटेज उत्सव के तहत प्रमोट किया जाए जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प, लोक-संगीत, नृत्य व परंपरागत व्यंजन प्रदर्शित किए जाएँ। साथ ही “वन डिस्ट्रिक्ट—वन प्रोडक्ट” योजना में इन ग्रामों की विशिष्ट कला और उत्पादों को शामिल कर स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा/कौशल योजनाओं के माध्यम से कारीगरों को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दी जाए तथा CSR और स्टार्टअप/विकास फंड के ज़रिये छोटे पर्यटन उद्यमों का समर्थन सुनिश्चित किया जाए।
बिक्रम ठाकुर ने केंद्र के संस्कृति मंत्रालय, राज्य पर्यटन विभाग तथा संबंधित रक्षा/नगर विकास निकायों से अपील की कि वे प्रागपुर—गरली को ‘हेरिटेज रूरल क्लस्टर’ के रूप में मान्यता दें और सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य व केंद्रीय योजनाओं के अन्तर्गत यह क्षेत्र शामिल किया गया तो इससे न सिर्फ़ स्थानीय आजीविका बढ़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश का पर्यटन भी अधिक विविधता व स्थिरता प्राप्त करेगा।
अंत में बिक्रम ठाकुर ने आशा व्यक्त की कि माननीय मुख्यमंत्री व संबंधित मंत्रलय इस प्रस्तुति को गंभीरता से लेकर शीघ्र आवश्यक निर्णय लेंगे ताकि प्रागपुर—गरली जैसी ऐतिहासिक विरासतें सुरक्षित रहें और उनके माध्यम से हमारा ग्रामीण-सांस्कृतिक पर्यटन सुदृढ़ बन सके।
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