भूरी सिंह संग्रहालय और नॉट ऑन मैप संस्था की ओर से किया जा रहा आयोजन हिमालयी विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर केंद्रित
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चम्बा , 03 नवम्बर [ के एस प्रेमी ] तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “हिमालयन लेगेसीज़: एक्सप्लोरिंग हिस्ट्रीज़, हेरिटेज प्रैक्टिसेज़ एंड कल्चरल फ्यूचर्स का शुभारंभ सोमवार को चंबा में हुआ। इस अवसर पर देशभर से विद्वान, शोधकर्ता और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल हुए। यह आयोजन भूरी सिंह संग्रहालय चंबा तथा नॉट ऑन मैप के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। सम्मेलन का आयोजन संग्रहालय की स्थापना के 117वें वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र के बहुआयामी इतिहास, विरासत और सांस्कृतिक रूपांतरणों की पड़ताल करना है। इसमें नौ राज्यों से आए 20 प्रख्यात विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. हरी चौहान क्यूरेटर, हिमाचल प्रदेश राज्य संग्रहालय शिमला द्वारा किया गया। विशेष अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, डॉ. विद्या सागर शर्मा, डॉ. मोहिंदर कुमार स्लारिया, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, सलूणी, तथा कंवर दिनेश सिंह, प्राचार्य, राजकीय डिग्री कॉलेज, धामी उपस्थित रहे। नॉट ऑन मैप के सह-संस्थापक मनुज शर्मा भी इस अवसर पर मौजूद रहे। मनुज शर्मा ने चलो चंबा अभियान के बारे में भी बताया। मुख्य अतिथि डॉ. हरी चौहान ने अपने प्रेरणादायक उद्घाटन संबोधन में कहा कि यह सम्मेलन मूर्त और अमूर्त दोनों प्रकार की विरासत के संरक्षण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चुनौतियों के बीच सेतु का कार्य करेगा तथा हिमालयी क्षेत्र की बदलती सांस्कृतिक पहचान को समझने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय सदियों से समृद्ध परंपराओं, गहन आध्यात्मिक साधनाओं और अद्वितीय शिल्पकला का केंद्र रहा है। परंतु तेज़ी से हो रहे विकास कार्यों ने न केवल हिमालय की नाज़ुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को प्रभावित किया है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत को भी क्षति पहुँचाई है। डॉ. चौहान ने कहा कि यह सम्मेलन हमारी सांस्कृतिक पहचान को पुनः परिभाषित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने नॉट ऑन मैप की चलो चंबा मुहिम की भी सराहना की, जो चंबा की संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का कार्य कर रही है। भूरी सिंह संग्रहालय के क्यूरेटर सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि यह सम्मेलन केवल विचारों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। उन्होंने बताया कि तीन दिनों तक सम्मेलन में ऐतिहासिक आख्यानों, स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण, लोक परंपराओं और सतत सांस्कृतिक प्रथाओं पर चर्चा की जाएगी। प्रतिभागी जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और आर्थिक दबावों के बीच हिमालय के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर विचार करेंगे और सांस्कृतिक पुनरुद्धार तथा सामुदायिक सशक्तिकरण के उपाय तलाशेंगे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का एक प्रमुख उद्देश्य विद्वानों, स्थानीय सांस्कृतिक कर्मियों और नीति-निर्माताओं के लिए एक साझा मंच उपलब्ध कराना है, ताकि हिमालय की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखते हुए क्षेत्रीय ज्ञान प्रणालियों को वैश्विक संवाद से जोड़ा जा सके। सम्मेलन का पहला सत्र रीडिंग हिमालयन हिस्ट्रीज़ सोर्सेज़, साइलेंसेज़ एंड रिप्रेज़ेंटेशंस डॉ. मोहिंदर कुमार स्लारिया की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। वहीं दूसरा सत्र मैपिंग द माउंटेन्स जियोग्राफीज़, बाउंड्रीज़ एंड विज़ुअल हिस्ट्रीज़ की अध्यक्षता डॉ. किशोरी चंदेल, सहायक प्रोफेसर (इतिहास), राजकीय डिग्री कॉलेज चौड़ा मैदान, शिमला ने की।
चम्बा , 03 नवम्बर [ के एस प्रेमी ]
तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “हिमालयन लेगेसीज़: एक्सप्लोरिंग हिस्ट्रीज़, हेरिटेज प्रैक्टिसेज़ एंड कल्चरल फ्यूचर्स का शुभारंभ सोमवार को चंबा में हुआ। इस अवसर पर देशभर से विद्वान, शोधकर्ता और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल हुए। यह आयोजन भूरी सिंह संग्रहालय चंबा तथा नॉट ऑन मैप के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
सम्मेलन का आयोजन संग्रहालय की स्थापना के 117वें वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र के बहुआयामी इतिहास, विरासत और सांस्कृतिक रूपांतरणों की पड़ताल करना है। इसमें नौ राज्यों से आए 20 प्रख्यात विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. हरी चौहान क्यूरेटर, हिमाचल प्रदेश राज्य संग्रहालय शिमला द्वारा किया गया।
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विशेष अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, डॉ. विद्या सागर शर्मा, डॉ. मोहिंदर कुमार स्लारिया, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, सलूणी, तथा कंवर दिनेश सिंह, प्राचार्य, राजकीय डिग्री कॉलेज, धामी उपस्थित रहे। नॉट ऑन मैप के सह-संस्थापक मनुज शर्मा भी इस अवसर पर मौजूद रहे। मनुज शर्मा ने चलो चंबा अभियान के बारे में भी बताया।
मुख्य अतिथि डॉ. हरी चौहान ने अपने प्रेरणादायक उद्घाटन संबोधन में कहा कि यह सम्मेलन मूर्त और अमूर्त दोनों प्रकार की विरासत के संरक्षण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चुनौतियों के बीच सेतु का कार्य करेगा तथा हिमालयी क्षेत्र की बदलती सांस्कृतिक पहचान को समझने में सहायक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि हिमालय सदियों से समृद्ध परंपराओं, गहन आध्यात्मिक साधनाओं और अद्वितीय शिल्पकला का केंद्र रहा है। परंतु तेज़ी से हो रहे विकास कार्यों ने न केवल हिमालय की नाज़ुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को प्रभावित किया है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत को भी क्षति पहुँचाई है।
डॉ. चौहान ने कहा कि यह सम्मेलन हमारी सांस्कृतिक पहचान को पुनः परिभाषित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने नॉट ऑन मैप की चलो चंबा मुहिम की भी सराहना की, जो चंबा की संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का कार्य कर रही है।
भूरी सिंह संग्रहालय के क्यूरेटर सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि यह सम्मेलन केवल विचारों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। उन्होंने बताया कि तीन दिनों तक सम्मेलन में ऐतिहासिक आख्यानों, स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण, लोक परंपराओं और सतत सांस्कृतिक प्रथाओं पर चर्चा की जाएगी। प्रतिभागी जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और आर्थिक दबावों के बीच हिमालय के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर विचार करेंगे और सांस्कृतिक पुनरुद्धार तथा सामुदायिक सशक्तिकरण के उपाय तलाशेंगे।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन का एक प्रमुख उद्देश्य विद्वानों, स्थानीय सांस्कृतिक कर्मियों और नीति-निर्माताओं के लिए एक साझा मंच उपलब्ध कराना है, ताकि हिमालय की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखते हुए क्षेत्रीय ज्ञान प्रणालियों को वैश्विक संवाद से जोड़ा जा सके।
सम्मेलन का पहला सत्र रीडिंग हिमालयन हिस्ट्रीज़ सोर्सेज़, साइलेंसेज़ एंड रिप्रेज़ेंटेशंस डॉ. मोहिंदर कुमार स्लारिया की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। वहीं दूसरा सत्र मैपिंग द माउंटेन्स जियोग्राफीज़, बाउंड्रीज़ एंड विज़ुअल हिस्ट्रीज़ की अध्यक्षता डॉ. किशोरी चंदेल, सहायक प्रोफेसर (इतिहास), राजकीय डिग्री कॉलेज चौड़ा मैदान, शिमला ने की।
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