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बिलासपुर ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच एवं सशक्त नेतृत्व के कारण प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए दूध उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति लागू कर प्रदेश सरकार ने एकऐतिहासिक पहल की है। सरकार के इस कदम से न केवल प्रदेश के दूध उत्पादक किसान सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे है, बल्कि प्रदेश के शिक्षित युवा भी दुग्ध उत्पादन क्षेत्र से जुड़कर अपनी आर्थिकी को न केवल सशक्त बना रहे हैं बल्कि सफलता की नई-नई कहानियां भी लिख रहे हैं। जिला बिलासपुर के घुमारवीं क्षेत्र की ग्राम पंचायत घुमारवीं के गांव चुवाड़ी की सोनिका ने डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में प्रगति और आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। निजी मिनर्वा सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुमारवीं में टीजीटी साइंस के रूप में कार्यरत सोनिका न केवल शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही हंै, बल्कि पशुपालन के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन की एक नई कहानी भी लिख रही है। सोनिका ने वर्ष 2019 में डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक जर्सी गाय के साथ करते हुए आज उनके पास कुल छह गायें और एक हीफर है। सोनिका डेयरी फार्म को पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से संचालित कर रही हैं तथा दुधारू गायों का दुहन आधुनिक मिल्किंग मशीन से करती हैं। हरे चारे की कटाई के लिए चाफ कटर मशीन का उपयोग कर रही हैं। जरूरत पड़ने पर वह समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों एवं चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी प्राप्त करती हैं। जब इस संबंध में सोनिका से बातचीत की उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन सुबह 5ः30 बजे से गाय से जुड़े कार्यों को प्रारंभ करती है तथा प्रातः 7 बजे तक पूर्ण कर लेती हैं। इस दौरान पति भी उनका सहयोग करते हैं, जबकि दिन के समय परिवार के अन्य सदस्यों का पूरा सहयोग मिलता है। इसी तरह प्रतिदिन शाम को 5 बजे से गायों से जुड़े कार्यों को शुरू करते हुए इन्हे 6ः30 बजे तक पूरा कर लिया जाता है। प्रतिदिन 57 लीटर दूध का उत्पादन, एक माह में लगभग 74 हजार की शुद्ध आयसोनिका कहती है कि उनका डेयरी फार्म प्रतिदिन लगभग 57 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिसे 65 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचने पर प्रतिमाह लगभग एक लाख 10 हजार रूपये की आय होती है। उनका कहना है कि सभी खर्चों को निकालकर प्रतिमाह लगभग 74 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हो रहा है। ऐसे में सोनिका के लिए डेयरी फार्मिंग का कार्य एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो रहा है। डेयरी फार्मिंग से महिलाएं एवं युवा आर्थिक तौर पर बन सकते हैं सशक्तसोनिका का कहना है कि महिलाएं और युवा 1 या 2 गायों से भी डेयरी फार्मिंग की शुरुआत करते हैं तो भी वह आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं। यह कार्य सुबह और शाम सिर्फ एक-एक घंटे का है, जिसे नौकरी पेशा महिलाएं भी आसानी से कर सकती हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने गाय व भैंस का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमशः 51 तथा 61 रुपये निर्धारित किया है जिससे न केवल उनका दूध उच्च दामों पर बाजार में आसानी से बिक रहा है बल्कि अन्य पशुपालकों की आय में भी आशातीत वृद्धि हो रही है। सोनिका का प्रदेश व क्षेत्र के शिक्षित युवाओं एवं महिलाओं से कहना है कि “स्मार्ट वर्क करें, आत्मनिर्भर बनें और डेयरी फार्मिंग से परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करें।”क्या कहते हैं अधिकारीःसहायक निदेशक पशुपालन विभाग डाॅ. किशोरी लाल शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार डेयरी फार्मिंग के माध्यम से पशु पालकों को बढ़ावा दे रही है। पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों को दूध बेचने पर किसानों को सरकार प्रति लीटर की दर से से 3 रुपये प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक दूध खरीद केंद्र तक स्वयं दूध ले जाने वाले पशुपालकों और समितियों को 2 रुपये प्रति लीटर उपदान देने का भी प्रावधान किया है। जिला बिलासपुर में 15 नई दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन किया गया है तथा जिला में 40 अन्य दुग्ध उत्पादक समितियां पहले से ही कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि जो किसान डेयरी फाॅर्मिंग से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें प्रदेश सरकार उद्योग विभाग के माध्यम से उपदान की सुविधा प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि कांगड़ा जिला में स्थापित हो रहे ढगवार दूध प्रसंस्करण संयंत्र का लाभ जिला बिलासपुर के दूध उत्पादक किसानों को भी प्राप्त होगा। उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार का कहना है कि प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों के उत्थान व कल्याण को अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध उत्पादन समितियों का गठन कर किसानों एवं पशुपालकों को आर्थिक मदद भी प्रदान कर रही है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों से डेयरी फाॅर्मिंग गतिविधियों से जुड़कर आर्थिकी को सुदृढ़ करने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने का आह्वान किया है।
बिलासपुर ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच एवं सशक्त नेतृत्व के कारण प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए दूध उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति लागू कर प्रदेश सरकार ने एकऐतिहासिक पहल की है। सरकार के इस कदम से न केवल प्रदेश के दूध उत्पादक किसान सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे है, बल्कि प्रदेश के शिक्षित युवा भी दुग्ध उत्पादन क्षेत्र से जुड़कर अपनी आर्थिकी को न केवल सशक्त बना रहे हैं बल्कि सफलता की नई-नई कहानियां भी लिख रहे हैं।
जिला बिलासपुर के घुमारवीं क्षेत्र की ग्राम पंचायत घुमारवीं के गांव चुवाड़ी की सोनिका ने डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में प्रगति और आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। निजी मिनर्वा सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुमारवीं में टीजीटी साइंस के रूप में कार्यरत सोनिका न केवल शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही हंै, बल्कि पशुपालन के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन की एक नई कहानी भी लिख रही है।
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सोनिका ने वर्ष 2019 में डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक जर्सी गाय के साथ करते हुए आज उनके पास कुल छह गायें और एक हीफर है। सोनिका डेयरी फार्म को पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से संचालित कर रही हैं तथा दुधारू गायों का दुहन आधुनिक मिल्किंग मशीन से करती हैं। हरे चारे की कटाई के लिए चाफ कटर मशीन का उपयोग कर रही हैं। जरूरत पड़ने पर वह समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों एवं चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी प्राप्त करती हैं।
जब इस संबंध में सोनिका से बातचीत की उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन सुबह 5ः30 बजे से गाय से जुड़े कार्यों को प्रारंभ करती है तथा प्रातः 7 बजे तक पूर्ण कर लेती हैं। इस दौरान पति भी उनका सहयोग करते हैं, जबकि दिन के समय परिवार के अन्य सदस्यों का पूरा सहयोग मिलता है। इसी तरह प्रतिदिन शाम को 5 बजे से गायों से जुड़े कार्यों को शुरू करते हुए इन्हे 6ः30 बजे तक पूरा कर लिया जाता है।
प्रतिदिन 57 लीटर दूध का उत्पादन, एक माह में लगभग 74 हजार की शुद्ध आय
सोनिका कहती है कि उनका डेयरी फार्म प्रतिदिन लगभग 57 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिसे 65 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचने पर प्रतिमाह लगभग एक लाख 10 हजार रूपये की आय होती है। उनका कहना है कि सभी खर्चों को निकालकर प्रतिमाह लगभग 74 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हो रहा है। ऐसे में सोनिका के लिए डेयरी फार्मिंग का कार्य एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो रहा है।
डेयरी फार्मिंग से महिलाएं एवं युवा आर्थिक तौर पर बन सकते हैं सशक्त
सोनिका का कहना है कि महिलाएं और युवा 1 या 2 गायों से भी डेयरी फार्मिंग की शुरुआत करते हैं तो भी वह आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं। यह कार्य सुबह और शाम सिर्फ एक-एक घंटे का है, जिसे नौकरी पेशा महिलाएं भी आसानी से कर सकती हैं।
उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने गाय व भैंस का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमशः 51 तथा 61 रुपये निर्धारित किया है जिससे न केवल उनका दूध उच्च दामों पर बाजार में आसानी से बिक रहा है बल्कि अन्य पशुपालकों की आय में भी आशातीत वृद्धि हो रही है।
सोनिका का प्रदेश व क्षेत्र के शिक्षित युवाओं एवं महिलाओं से कहना है कि “स्मार्ट वर्क करें, आत्मनिर्भर बनें और डेयरी फार्मिंग से परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करें।”
क्या कहते हैं अधिकारीः
सहायक निदेशक पशुपालन विभाग डाॅ. किशोरी लाल शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार डेयरी फार्मिंग के माध्यम से पशु पालकों को बढ़ावा दे रही है। पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों को दूध बेचने पर किसानों को सरकार प्रति लीटर की दर से से 3 रुपये प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक दूध खरीद केंद्र तक स्वयं दूध ले जाने वाले पशुपालकों और समितियों को 2 रुपये प्रति लीटर उपदान देने का भी प्रावधान किया है। जिला बिलासपुर में 15 नई दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन किया गया है तथा जिला में 40 अन्य दुग्ध उत्पादक समितियां पहले से ही कार्यरत हैं।
उन्होंने बताया कि जो किसान डेयरी फाॅर्मिंग से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें प्रदेश सरकार उद्योग विभाग के माध्यम से उपदान की सुविधा प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि कांगड़ा जिला में स्थापित हो रहे ढगवार दूध प्रसंस्करण संयंत्र का लाभ जिला बिलासपुर के दूध उत्पादक किसानों को भी प्राप्त होगा।
उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार का कहना है कि प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों के उत्थान व कल्याण को अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध उत्पादन समितियों का गठन कर किसानों एवं पशुपालकों को आर्थिक मदद भी प्रदान कर रही है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों से डेयरी फाॅर्मिंग गतिविधियों से जुड़कर आर्थिकी को सुदृढ़ करने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने का आह्वान किया है।
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