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चम्बा , 29 ऑक्टूबर [ शिवानी ] ! चम्बा मेडिकल कॉलेज में पर्ची शुल्क ₹10 तय किए जाने के बाद लोगों में भारी रोष देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे मरीजों पर अब अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना अनुचित है। लोगों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन जैसी जांचों के लिए तीन-तीन महीने बाद की तारीख दी जाती है। ऐसे में मजबूर होकर मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का रुख करना पड़ता है। इसके अलावा अस्पताल में दवाइयों की भी भारी कमी बताई जा रही है। लोगों ने कहा कि सरकार को कम से कम सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं और मुफ्त दवाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि अगर पर्ची शुल्क बढ़ा है, तो आने वाले समय में अन्य सेवाओं के दाम भी बढ़ सकते हैं।हम गरीब लोग हैं, पहले ही दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। अब ₹10 पर्ची शुल्क ने और परेशानी बढ़ा दी है। सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए और अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर बनाना चाहिए। वहीं मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि यह निर्णय रोगी कल्याण समिति की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया है। उन्होंने कहा कि ₹10 का पर्ची शुल्क अस्पताल के विकास और रोगियों की सुविधा के लिए ही लिया जा रहा है। यह राशि अस्पताल वेलफेयर फंड में जाएगी, जिससे स्ट्रेचर, व्हीलचेयर और अन्य उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव किया जाएगा। ऐसे में सभी को इस पहल का स्वागत करना चाहिए । लोगों की नाराजगी और प्रशासन की दलीलों के बीच अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है — क्या ₹10 पर्ची शुल्क वापस लिया जाएगा या फिर इसे अस्पताल सुधार की दिशा में एक जरूरी कदम माना जाएगा।
चम्बा , 29 ऑक्टूबर [ शिवानी ] ! चम्बा मेडिकल कॉलेज में पर्ची शुल्क ₹10 तय किए जाने के बाद लोगों में भारी रोष देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे मरीजों पर अब अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना अनुचित है।
लोगों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन जैसी जांचों के लिए तीन-तीन महीने बाद की तारीख दी जाती है। ऐसे में मजबूर होकर मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का रुख करना पड़ता है। इसके अलावा अस्पताल में दवाइयों की भी भारी कमी बताई जा रही है।
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लोगों ने कहा कि सरकार को कम से कम सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं और मुफ्त दवाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि अगर पर्ची शुल्क बढ़ा है, तो आने वाले समय में अन्य सेवाओं के दाम भी बढ़ सकते हैं।हम गरीब लोग हैं, पहले ही दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। अब ₹10 पर्ची शुल्क ने और परेशानी बढ़ा दी है। सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए और अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर बनाना चाहिए।
वहीं मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि यह निर्णय रोगी कल्याण समिति की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया है। उन्होंने कहा कि ₹10 का पर्ची शुल्क अस्पताल के विकास और रोगियों की सुविधा के लिए ही लिया जा रहा है। यह राशि अस्पताल वेलफेयर फंड में जाएगी, जिससे स्ट्रेचर, व्हीलचेयर और अन्य उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव किया जाएगा। ऐसे में सभी को इस पहल का स्वागत करना चाहिए ।
लोगों की नाराजगी और प्रशासन की दलीलों के बीच अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है — क्या ₹10 पर्ची शुल्क वापस लिया जाएगा या फिर इसे अस्पताल सुधार की दिशा में एक जरूरी कदम माना जाएगा।
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