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चम्बा , 29 ऑक्टूबर [ के एस प्रेमी ] ! विकसित भारत कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, गरोला में विद्यार्थियों द्वारा दो नवीन और सृजनात्मक मॉडल तैयार किए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में नवाचार, सृजनशीलता तथा पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देना है। विद्यालय के टी.जी.टी. (मेडिकल) श्री प्रवीण कुमार के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने इको फ्रेंडली लोकल प्रॉडक्ट्स तो रिप्लेस प्लास्टिक आर्टिकल विषय पर एक उत्कृष्ट मॉडल तैयार किया, जिसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर प्लास्टिक की वस्तुओं के पर्यावरण-मित्र विकल्प प्रस्तुत किए गए। वहीं टी.जी.टी. (आर्ट्स) श्री केशव शर्मा के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने प्रिवेंशन ऑफ ट्रेडिशनल गद्दी हेरिटेज थीम के अंतर्गत पारंपरिक “शिवमाला” का निर्माण किया, जो गद्दी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उनकी धार्मिक परम्पराओं के संरक्षण का प्रतीक है। दोनों मॉडलों ने विद्यार्थियों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने इन नवाचारों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास विद्यार्थियों में अनुसंधान, परम्परा संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूकता को बढ़ाते हैं।
चम्बा , 29 ऑक्टूबर [ के एस प्रेमी ] ! विकसित भारत कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, गरोला में विद्यार्थियों द्वारा दो नवीन और सृजनात्मक मॉडल तैयार किए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में नवाचार, सृजनशीलता तथा पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देना है।
विद्यालय के टी.जी.टी. (मेडिकल) श्री प्रवीण कुमार के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने इको फ्रेंडली लोकल प्रॉडक्ट्स तो रिप्लेस प्लास्टिक आर्टिकल विषय पर एक उत्कृष्ट मॉडल तैयार किया, जिसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर प्लास्टिक की वस्तुओं के पर्यावरण-मित्र विकल्प प्रस्तुत किए गए।
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वहीं टी.जी.टी. (आर्ट्स) श्री केशव शर्मा के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने प्रिवेंशन ऑफ ट्रेडिशनल गद्दी हेरिटेज थीम के अंतर्गत पारंपरिक “शिवमाला” का निर्माण किया, जो गद्दी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उनकी धार्मिक परम्पराओं के संरक्षण का प्रतीक है।
दोनों मॉडलों ने विद्यार्थियों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने इन नवाचारों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास विद्यार्थियों में अनुसंधान, परम्परा संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूकता को बढ़ाते हैं।
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