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शिमला , 09 जुलाई [ शिवानी ] ! जन सुरक्षा और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करने के उददेश्य से अब लिफ्ट सुरक्षा मापदंडों को सख्ती से लागू किया जाएगा जिसके अंतर्गत सार्वजनिक और निजी दोनों परिसरों में लिफ्ट स्थापित करने के लिए स्वीकृति और लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। सचिव, लोक निर्माण विभाग डॉ. अभिषेक जैन ने आज यहां बताया कि हिमाचल प्रदेश लिफ्ट अधिनियम, 2009 के तहत कोई भी व्यक्ति जो अपने परिसर में लिफ्ट लगाना चाहता है, उसे लिफ्ट स्थापित होने के एक महीने के भीतर अनुमति और लाइसेंस के लिए आवेदन करना जरूरी है। इस अधिनियम के बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। 31 अगस्त 2024 तक पूरे प्रदेश में केवल 1000 लिफ्टें ही पंजीकृत थीं, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 1900 हो गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार, लिफ्टों की स्वीकृति और लाइसेंस से जुड़े सभी कार्यों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे लोगों में लिफ्टों की सुरक्षा को लेकर विश्वास पैदा हो और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। श्री जैन ने बताया कि जो लोग लिफ्ट लगाना चाहते हैं, वे edistrict.hp.gov.in वेबसाइट पर जाकर नागरिक पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अब पंजीकरण, अनुमति और नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है और शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन गेटवे के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा जन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश के दृष्टिगत लिया गया है। लिफ्टों का समय-समय पर निरीक्षण भी किया जा रहा है। पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और लिफ्ट सुरक्षा नियमों का पालन करने से पर्यटकों की सुाक्षा सुनिशिचत होगी और उनमें विश्वास भी बढ़ेगा। डॅा. जैन ने बताया कि जून 2025 तक 3500 लिफ्ट निरीक्षण किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल अगस्त तक केवल 750 निरीक्षण हुए थे। अधिनियम के अनुसार, हर लिफ्ट के भीतर उसका पंजीकरण और लाइसेंस की प्रति लगाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश के होटलों, सरकारी कार्यालयों तथा अन्य सार्वजनिक और निजी इमारतों में लगभग 3500 लिफ्टें संचालित की जा रही हैं। अगस्त 2024 तक लगभग 2500 लिफ्टें बिना पंजीकरण के थीं, जिनमें से अब केवल 1500 लिफ्टों का पंजीकरण बाकी है। इन मामलों में नोटिस भी जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इससे राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अधिनियम लागू होने के बाद 16 वर्षों में मात्र 7.5 लाख रुपये का राजस्व मिला था, जबकि फरवरी 2025 से जून 2025 तक 5.58 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा जांच और स्वतः नवीनीकरण की सुविधा के कारण लिफ्ट दुर्घटनाओं में कमी आई है और लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास भी बढ़ा है। साथ ही इस प्रणाली ने डिजीटल रिकार्ड कीपिंग को व्यापक रूप से लागू किया है जिसे पारदर्शी ऑडिट ट्रेलस तैयार हुए हैं जो अनाधिकृत इंस्टॉलेशन को रोकते हैं और कानूनी मानदण्डों का पालन सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शुल्क संग्रह की प्रक्रिया में वित्तीय हानियों को कम किया है जिससे अनुमोदन, नवीनीकरण और निरीक्षण के लिए समय पर भुगतान सम्भव हो पाया है और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने इस पूरी सफलता का श्रेय लोक निर्माण विभाग की विद्युत शाखा की पांच सदस्यीय टीम को दिया, जिन्होंने ऑनलाईन पोर्टल का विकास किया तथा नियमों के अनुपालन, राजस्व कुशलता, सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास जैसे व्यापक लाभों को बढ़ावा देने में ठोस सुधार सुनिश्चित किया। डॉ. जैन ने सभी नागरिकों से अपील की कि जो लोग अपने परिसर में लिफ्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं या बिना पंजीकरण अथवा वैध लाईसेंस के लिफ्ट का संचालन कर रहे हैं, वह सम्बंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वयं को पंजीकृत करें और लाईसेंस प्राप्त करें। साथ ही इस प्रणाली ने डिजीटल रिकार्ड कीपिंग को व्यापक रूप से लागू किया है जिसे पारदर्शी ऑडिट ट्रेलस तैयार हुए हैं जो अनाधिकृत इंस्टॉलेशन को रोकते हैं और कानूनी मानदण्डों का पालन सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शुल्क संग्रह की प्रक्रिया में वित्तीय हानियों को कम किया है जिससे अनुमोदन, नवीनीकरण और निरीक्षण के लिए समय पर भुगतान सम्भव हो पाया है और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने इस पूरी सफलता का श्रेय लोक निर्माण विभाग की विद्युत शाखा की पांच सदस्यीय टीम को दिया, जिन्होंने ऑनलाईन पोर्टल का विकास किया तथा नियमों के अनुपालन, राजस्व कुशलता, सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास जैसे व्यापक लाभों को बढ़ावा देने में ठोस सुधार सुनिश्चित किया। डॉ. जैन ने सभी नागरिकों से अपील की कि जो लोग अपने परिसर में लिफ्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं या बिना पंजीकरण अथवा वैध लाईसेंस के लिफ्ट का संचालन कर रहे हैं, वह सम्बंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वयं को पंजीकृत करें और लाईसेंस प्राप्त करें।
शिमला , 09 जुलाई [ शिवानी ] ! जन सुरक्षा और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करने के उददेश्य से अब लिफ्ट सुरक्षा मापदंडों को सख्ती से लागू किया जाएगा जिसके अंतर्गत सार्वजनिक और निजी दोनों परिसरों में लिफ्ट स्थापित करने के लिए स्वीकृति और लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
सचिव, लोक निर्माण विभाग डॉ. अभिषेक जैन ने आज यहां बताया कि हिमाचल प्रदेश लिफ्ट अधिनियम, 2009 के तहत कोई भी व्यक्ति जो अपने परिसर में लिफ्ट लगाना चाहता है, उसे लिफ्ट स्थापित होने के एक महीने के भीतर अनुमति और लाइसेंस के लिए आवेदन करना जरूरी है। इस अधिनियम के बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। 31 अगस्त 2024 तक पूरे प्रदेश में केवल 1000 लिफ्टें ही पंजीकृत थीं, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 1900 हो गई है।
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उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार, लिफ्टों की स्वीकृति और लाइसेंस से जुड़े सभी कार्यों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे लोगों में लिफ्टों की सुरक्षा को लेकर विश्वास पैदा हो और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
श्री जैन ने बताया कि जो लोग लिफ्ट लगाना चाहते हैं, वे edistrict.hp.gov.in वेबसाइट पर जाकर नागरिक पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अब पंजीकरण, अनुमति और नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है और शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन गेटवे के माध्यम से किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा जन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश के दृष्टिगत लिया गया है। लिफ्टों का समय-समय पर निरीक्षण भी किया जा रहा है। पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और लिफ्ट सुरक्षा नियमों का पालन करने से पर्यटकों की सुाक्षा सुनिशिचत होगी और उनमें विश्वास भी बढ़ेगा।
डॅा. जैन ने बताया कि जून 2025 तक 3500 लिफ्ट निरीक्षण किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल अगस्त तक केवल 750 निरीक्षण हुए थे। अधिनियम के अनुसार, हर लिफ्ट के भीतर उसका पंजीकरण और लाइसेंस की प्रति लगाना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश के होटलों, सरकारी कार्यालयों तथा अन्य सार्वजनिक और निजी इमारतों में लगभग 3500 लिफ्टें संचालित की जा रही हैं। अगस्त 2024 तक लगभग 2500 लिफ्टें बिना पंजीकरण के थीं, जिनमें से अब केवल 1500 लिफ्टों का पंजीकरण बाकी है। इन मामलों में नोटिस भी जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि इससे राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अधिनियम लागू होने के बाद 16 वर्षों में मात्र 7.5 लाख रुपये का राजस्व मिला था, जबकि फरवरी 2025 से जून 2025 तक 5.58 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा जांच और स्वतः नवीनीकरण की सुविधा के कारण लिफ्ट दुर्घटनाओं में कमी आई है और लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास भी बढ़ा है।
साथ ही इस प्रणाली ने डिजीटल रिकार्ड कीपिंग को व्यापक रूप से लागू किया है जिसे पारदर्शी ऑडिट ट्रेलस तैयार हुए हैं जो अनाधिकृत इंस्टॉलेशन को रोकते हैं और कानूनी मानदण्डों का पालन सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शुल्क संग्रह की प्रक्रिया में वित्तीय हानियों को कम किया है जिससे अनुमोदन, नवीनीकरण और निरीक्षण के लिए समय पर भुगतान सम्भव हो पाया है और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हुई है।
उन्होंने इस पूरी सफलता का श्रेय लोक निर्माण विभाग की विद्युत शाखा की पांच सदस्यीय टीम को दिया, जिन्होंने ऑनलाईन पोर्टल का विकास किया तथा नियमों के अनुपालन, राजस्व कुशलता, सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास जैसे व्यापक लाभों को बढ़ावा देने में ठोस सुधार सुनिश्चित किया।
डॉ. जैन ने सभी नागरिकों से अपील की कि जो लोग अपने परिसर में लिफ्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं या बिना पंजीकरण अथवा वैध लाईसेंस के लिफ्ट का संचालन कर रहे हैं, वह सम्बंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वयं को पंजीकृत करें और लाईसेंस प्राप्त करें।
साथ ही इस प्रणाली ने डिजीटल रिकार्ड कीपिंग को व्यापक रूप से लागू किया है जिसे पारदर्शी ऑडिट ट्रेलस तैयार हुए हैं जो अनाधिकृत इंस्टॉलेशन को रोकते हैं और कानूनी मानदण्डों का पालन सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शुल्क संग्रह की प्रक्रिया में वित्तीय हानियों को कम किया है जिससे अनुमोदन, नवीनीकरण और निरीक्षण के लिए समय पर भुगतान सम्भव हो पाया है और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हुई है।
उन्होंने इस पूरी सफलता का श्रेय लोक निर्माण विभाग की विद्युत शाखा की पांच सदस्यीय टीम को दिया, जिन्होंने ऑनलाईन पोर्टल का विकास किया तथा नियमों के अनुपालन, राजस्व कुशलता, सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास जैसे व्यापक लाभों को बढ़ावा देने में ठोस सुधार सुनिश्चित किया।
डॉ. जैन ने सभी नागरिकों से अपील की कि जो लोग अपने परिसर में लिफ्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं या बिना पंजीकरण अथवा वैध लाईसेंस के लिफ्ट का संचालन कर रहे हैं, वह सम्बंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वयं को पंजीकृत करें और लाईसेंस प्राप्त करें।
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