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शिमला , 09 जुलाई [ शिवानी ] ! मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों की समस्याओं की सुनवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के सेब बहुल क्षेत्रों में तेजी से फैल रही रहस्यमयी बीमारी के सम्बंध में एक प्रतिनिधिमंडल ने जब मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को इस समस्या से अवगत करवाया तब बागवानों की चिंता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, जिला सोलन के कुलपति से फोन पर बात की। उन्होंने विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीमों को प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने इस बीमारी की वैज्ञानिक जांच कर उपयुक्त दवाई के बारे में बागवानों को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए कहा है। कुलपति को सात दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, ताकि यथाशीघ्र उचित कदम उठाए जा सकें। नरेश चौहान ने कहा कि सेब उत्पादन राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। सेब बहुल क्षेत्रों में नौणी विश्वविद्यालय की 5 से 6 कृषि विशेषज्ञ टीमें फील्ड में जाकर कार्य कर रही है और बागवानों से इस बीमारी के बारे में जानकारी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है और लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की दृष्टि से कार्य किए जा रहे हैं। इसके दृष्टिगत शिमला में स्थित अटल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशलिएटी चमियाणा से रोबोटिक सर्जरी का नया अध्याय शुरू हो रहा है। इसी प्रकार टांडा, आईजीएमसी शिमला और चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर के साथ-साथ अन्य चिकित्सा महाविद्यालय में भी चरणबद्ध तरीके से रोबोटिक सर्जरी मशीने स्थापित की जाएगी। इस सुविधा से मरीजों को मंहगी सर्जरी के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा जिससे उनके समय के साथ-साथ धन की भी बचत होगी। लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सकों के साथ-साथ पेरामेडिकल स्टाफ की भी भर्ती की जा रही है। प्रदेश सरकार ने लगभग 23 वर्षों के अंतराल के बाद चिकित्सा क्षेत्र में तकनीशियन पाठयक्रमों के लिए सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय को आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए 1730 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। स्वास्थ्य संस्थानों में चरणबद्ध तरीके से पुरानी मशीनों को बदला जा रहा है। केंद्र सरकार की कूटनीतिक विफलता पर तंज कसते हुए नरेश चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागवानों के हितों के लिए जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया है। प्रदेश सरकार बार-बार विदेशी सेब पर सौ फीसदी आयात शुल्क की मांग कर रही है, लेकिन आयात शुल्क को मौजूदा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यह सरासर प्रदेश के बागवानों के हितों के साथ खिलवाड़ है जबकि इसके विपरित राज्य सरकार प्रदेश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए कार्य कर रही है। उन्होेंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में लिए गए निर्णयों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल फिसलकर 21वें पायदान पर पहुंच गया था लेकिन प्रदेश सरकार की राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल, क्लस्टर विद्यालय जैसी शिक्षा हितैषी नीतियों के परिणामस्वरूप गुणात्मक शिक्षा में हिमाचल पांचवे स्थान पर पहुंच गया है। प्रदेश की यह उपलब्धि सरकार की नीतियों पर सफलता की मुहर लगा रही है।
शिमला , 09 जुलाई [ शिवानी ] ! मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों की समस्याओं की सुनवाई कर रही है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के सेब बहुल क्षेत्रों में तेजी से फैल रही रहस्यमयी बीमारी के सम्बंध में एक प्रतिनिधिमंडल ने जब मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को इस समस्या से अवगत करवाया तब बागवानों की चिंता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, जिला सोलन के कुलपति से फोन पर बात की।
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उन्होंने विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीमों को प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने इस बीमारी की वैज्ञानिक जांच कर उपयुक्त दवाई के बारे में बागवानों को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए कहा है। कुलपति को सात दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, ताकि यथाशीघ्र उचित कदम उठाए जा सकें।
नरेश चौहान ने कहा कि सेब उत्पादन राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। सेब बहुल क्षेत्रों में नौणी विश्वविद्यालय की 5 से 6 कृषि विशेषज्ञ टीमें फील्ड में जाकर कार्य कर रही है और बागवानों से इस बीमारी के बारे में जानकारी ली जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है और लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की दृष्टि से कार्य किए जा रहे हैं। इसके दृष्टिगत शिमला में स्थित अटल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशलिएटी चमियाणा से रोबोटिक सर्जरी का नया अध्याय शुरू हो रहा है।
इसी प्रकार टांडा, आईजीएमसी शिमला और चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर के साथ-साथ अन्य चिकित्सा महाविद्यालय में भी चरणबद्ध तरीके से रोबोटिक सर्जरी मशीने स्थापित की जाएगी। इस सुविधा से मरीजों को मंहगी सर्जरी के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा जिससे उनके समय के साथ-साथ धन की भी बचत होगी।
लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सकों के साथ-साथ पेरामेडिकल स्टाफ की भी भर्ती की जा रही है। प्रदेश सरकार ने लगभग 23 वर्षों के अंतराल के बाद चिकित्सा क्षेत्र में तकनीशियन पाठयक्रमों के लिए सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय को आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए 1730 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। स्वास्थ्य संस्थानों में चरणबद्ध तरीके से पुरानी मशीनों को बदला जा रहा है।
केंद्र सरकार की कूटनीतिक विफलता पर तंज कसते हुए नरेश चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागवानों के हितों के लिए जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया है। प्रदेश सरकार बार-बार विदेशी सेब पर सौ फीसदी आयात शुल्क की मांग कर रही है, लेकिन आयात शुल्क को मौजूदा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यह सरासर प्रदेश के बागवानों के हितों के साथ खिलवाड़ है जबकि इसके विपरित राज्य सरकार प्रदेश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए कार्य कर रही है।
उन्होेंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में लिए गए निर्णयों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल फिसलकर 21वें पायदान पर पहुंच गया था लेकिन प्रदेश सरकार की राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल, क्लस्टर विद्यालय जैसी शिक्षा हितैषी नीतियों के परिणामस्वरूप गुणात्मक शिक्षा में हिमाचल पांचवे स्थान पर पहुंच गया है। प्रदेश की यह उपलब्धि सरकार की नीतियों पर सफलता की मुहर लगा रही है।
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