गलत नीतियों से आज घाटे में हैं बीएसएनएल बीएसएनएल कर्मचारियों के द्वारा की गयी एक दिवसीय हड़ताल
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कुल्लू , 09 जुलाई [ विशाल सूद ] ! देशभर में बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल रखी गई है। तो वही हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के मुख्यालय ढालपुर में भी बीएसएनएल के कर्मचारियों के द्वारा एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया गया। इस दौरान केंद्र सरकार से मांग रखी गई कि जो भी कर्मचारियों की मांगे लंबित है। उन्हें जल्द पूरा किया जाए। हड़ताल को संबोधित करते हुए बीएसएनल एम्पलाइज यूनियन के परिमंडल सचिव ताराचंद ने बताया कि कर्मचारियों का वेतन साल 2017 के बाद संशोधित नहीं हो पाया है। ऐसे में बीएसएनएल की ग्राहक सेवा भी दिन प्रतिदिन गुणवत्ताहीन होती जा रही है और लोग भी बीएसएनएल की सेवाओं से मुंह मोड़ रहे हैं। ताराचंद का कहना है कि केंद्र सरकार का तर्क है कि बीएसएनएल आज घाटे में चल रहा है। लेकिन उसके लिए केंद्र सरकार तथा उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा गलत नीतियों को लाया गया और आज उसका परिणाम लाखों कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। ताराचंद का कहना है कि आज बीएसएनएल की ग्राहक सेवा की गुणवत्ता इतनी नीचे गिर गई है कि तीसरे महीने में ही ग्राहक बीएसएनएल की सेवा लेने से मना कर रहा है। वहीं अब साल 2027 में दोबारा से कर्मचारियों के वेतन को फिर से संशोधित किया जाना है। लेकिन जब साल 2017 में ही वेतन संशोधित नहीं हुआ तो आगे किस तरह से यह पॉलिसी लागू की जाएगी। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कर्मचारियों के बातों को ध्यान से सुने और उनकी जो भी मांगे लंबित है। उन्हें जल्द से जल्द पूरा करें।
कुल्लू , 09 जुलाई [ विशाल सूद ] ! देशभर में बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल रखी गई है। तो वही हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के मुख्यालय ढालपुर में भी बीएसएनएल के कर्मचारियों के द्वारा एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया गया।
इस दौरान केंद्र सरकार से मांग रखी गई कि जो भी कर्मचारियों की मांगे लंबित है। उन्हें जल्द पूरा किया जाए। हड़ताल को संबोधित करते हुए बीएसएनल एम्पलाइज यूनियन के परिमंडल सचिव ताराचंद ने बताया कि कर्मचारियों का वेतन साल 2017 के बाद संशोधित नहीं हो पाया है। ऐसे में बीएसएनएल की ग्राहक सेवा भी दिन प्रतिदिन गुणवत्ताहीन होती जा रही है और लोग भी बीएसएनएल की सेवाओं से मुंह मोड़ रहे हैं।
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ताराचंद का कहना है कि केंद्र सरकार का तर्क है कि बीएसएनएल आज घाटे में चल रहा है। लेकिन उसके लिए केंद्र सरकार तथा उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा गलत नीतियों को लाया गया और आज उसका परिणाम लाखों कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। ताराचंद का कहना है कि आज बीएसएनएल की ग्राहक सेवा की गुणवत्ता इतनी नीचे गिर गई है कि तीसरे महीने में ही ग्राहक बीएसएनएल की सेवा लेने से मना कर रहा है।
वहीं अब साल 2027 में दोबारा से कर्मचारियों के वेतन को फिर से संशोधित किया जाना है। लेकिन जब साल 2017 में ही वेतन संशोधित नहीं हुआ तो आगे किस तरह से यह पॉलिसी लागू की जाएगी। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कर्मचारियों के बातों को ध्यान से सुने और उनकी जो भी मांगे लंबित है। उन्हें जल्द से जल्द पूरा करें।
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