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शिमला , 16 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश ने पटवारी भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति वर्ग एवं गरीब तबके को परीक्षा शुल्क में कोई राहत न दिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। मंच का कहना है कि हर वर्ग के लिए 800 रुपये की समान फीस निर्धारण कर कमजोर तबकों को परीक्षा में बैठने से हतोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है, जो कि सामाजिक न्याय और आरक्षण की भावना के खिलाफ है। मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार एवं मिन्टा जिंटा, जगत राम, कर्मचंद भाटिया, प्रीत पाल मट्टू, गोपाल जिलटा, मनासा राम, नरेंद्र विरुद्ध, विवेक कश्यप,ने संयुक्त बयान में कहा कि यह कदम सुखु सरकार द्वारा आरक्षण व्यवस्था को धीरे–धीरे खत्म करने की दिशा में पहला संकेत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर, दलित और वंचित वर्ग पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में भारी फीस लगाना उनके संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। यह विचार एक बैठक में व्यक्त किए गए, जिसकी अध्यक्षता गोपाल जिलटा ने की। बैठक में जगत राम, प्रीत पाल मट्टू, कर्मचाँद भाटिया,सतपाल मान, नैन सिंह, संदीप भारती, कमल, राजबन नेगी, इन्दर सिंह,मथरादास ,उजागर, नेक राम,तिलक राज सहित कई साथियों ने भाग लिया और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि शोषण मुक्ति मंच का गठन पंचायत स्तर तक किया जाएगा, ताकि जमीनी स्तर पर सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूती मिल सके। मंच ने सरकार से मांग की कि सरकारी विभागों में होने वाली सभी भर्तियों—चाहे वे आउटसोर्स हों या वन मित्र, पशु मित्र, श्रमिक मित्र जैसी योजनाओं के तहत—में आरक्षण रोस्टर को सख्ती से लागू किया जाए और कमजोर वर्गों को परीक्षा शुल्क में समुचित राहत दी जाए। शोषण मुक्ति मंच ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस जनविरोधी फैसले को वापस नहीं लिया, तो प्रदेश भर में व्यापक जन आंदोलन किया जाएगा।
शिमला , 16 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश ने पटवारी भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति वर्ग एवं गरीब तबके को परीक्षा शुल्क में कोई राहत न दिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। मंच का कहना है कि हर वर्ग के लिए 800 रुपये की समान फीस निर्धारण कर कमजोर तबकों को परीक्षा में बैठने से हतोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है, जो कि सामाजिक न्याय और आरक्षण की भावना के खिलाफ है।
मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार एवं मिन्टा जिंटा, जगत राम, कर्मचंद भाटिया, प्रीत पाल मट्टू, गोपाल जिलटा, मनासा राम, नरेंद्र विरुद्ध, विवेक कश्यप,ने संयुक्त बयान में कहा कि यह कदम सुखु सरकार द्वारा आरक्षण व्यवस्था को धीरे–धीरे खत्म करने की दिशा में पहला संकेत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर, दलित और वंचित वर्ग पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में भारी फीस लगाना उनके संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
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यह विचार एक बैठक में व्यक्त किए गए, जिसकी अध्यक्षता गोपाल जिलटा ने की। बैठक में जगत राम, प्रीत पाल मट्टू, कर्मचाँद भाटिया,सतपाल मान, नैन सिंह, संदीप भारती, कमल, राजबन नेगी, इन्दर सिंह,मथरादास ,उजागर, नेक राम,तिलक राज सहित कई साथियों ने भाग लिया और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि शोषण मुक्ति मंच का गठन पंचायत स्तर तक किया जाएगा, ताकि जमीनी स्तर पर सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूती मिल सके। मंच ने सरकार से मांग की कि सरकारी विभागों में होने वाली सभी भर्तियों—चाहे वे आउटसोर्स हों या वन मित्र, पशु मित्र, श्रमिक मित्र जैसी योजनाओं के तहत—में आरक्षण रोस्टर को सख्ती से लागू किया जाए और कमजोर वर्गों को परीक्षा शुल्क में समुचित राहत दी जाए।
शोषण मुक्ति मंच ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस जनविरोधी फैसले को वापस नहीं लिया, तो प्रदेश भर में व्यापक जन आंदोलन किया जाएगा।
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