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शिमला , 22 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण (VB G RAM G) करने के फैसले के विरोध में कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है. हिमाचल में भी योजना का नाम बदलने का कांग्रेस विरोध कर रही है. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार की अध्यक्षता में शिमला की CTO चौक पर कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने पर विरोध ज़ाहिर किया. विनय कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ग़लत तरीक़े से योजना का नाम बदल रही है. कांग्रेस सत्ता वापसी करते ही इस योजना का नाम दोबारा महात्मा गांधी के नाम पर रखेगी और इसमें ज़रूरी बदलाव नहीं लाएगी. विनय कुमार ने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं बल्कि ग्रामीण गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों के लिए रोजगार की गारंटी का मजबूत आधार रही है. योजना के नाम में बदलाव को कांग्रेस ने महात्मा गांधी की विचारधारा और गरीबों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया है. उन्होंने कहा कि पहले मनरेगा में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी. अब इसे 60:40 के अनुपात में कर दिया गया है, जिससे राज्य सरकारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. इससे छोटे राज्यों के ग्रामीण मजदूरों, किसानों और मनरेगाकर्मियों को सीधा नुकसान होगा.
शिमला , 22 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण (VB G RAM G) करने के फैसले के विरोध में कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है. हिमाचल में भी योजना का नाम बदलने का कांग्रेस विरोध कर रही है.
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार की अध्यक्षता में शिमला की CTO चौक पर कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने पर विरोध ज़ाहिर किया. विनय कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ग़लत तरीक़े से योजना का नाम बदल रही है. कांग्रेस सत्ता वापसी करते ही इस योजना का नाम दोबारा महात्मा गांधी के नाम पर रखेगी और इसमें ज़रूरी बदलाव नहीं लाएगी.
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विनय कुमार ने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं बल्कि ग्रामीण गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों के लिए रोजगार की गारंटी का मजबूत आधार रही है. योजना के नाम में बदलाव को कांग्रेस ने महात्मा गांधी की विचारधारा और गरीबों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया है. उन्होंने कहा कि पहले मनरेगा में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी. अब इसे 60:40 के अनुपात में कर दिया गया है, जिससे राज्य सरकारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. इससे छोटे राज्यों के ग्रामीण मजदूरों, किसानों और मनरेगाकर्मियों को सीधा नुकसान होगा.
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