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शिमला, 22 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला में आज सरकारी कामकाज में हिंदी के व्यावहारिक एवं प्रभावी प्रयोग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला संस्थान के संगोष्ठी कक्ष में अपराह्न आयोजित हुई, जिसमें संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सहभागिता की। कार्यशाला में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा प्रभाग से श्री अजय कुमार झा, उपनिदेशक (राजभाषा) ने ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में श्री झा ने सरकारी कार्यालयों में हिंदी के सहज, सरल एवं व्यावहारिक प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि हिंदी में मूल टिप्पणी, प्रारूप लेखन तथा पत्राचार न केवल राजभाषा नीति की अपेक्षा है, बल्कि प्रशासनिक कार्य की स्पष्टता एवं प्रभावशीलता भी बढ़ाता है। उन्होंने हिंदी में अनुवाद को सरल और बोधगम्य बनाए रखने, तकनीकी शब्दावली के विवेकपूर्ण प्रयोग तथा सरकारी हिंदी और सामाजिक हिंदी के अंतर को कम करने की आवश्यकता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से हिंदी प्रयोग से जुड़ी शंकाओं का समाधान किया। इस अवसर पर यह भी उल्लेख किया गया कि ऐसी कार्यशालाएं संस्थान में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने तथा राजभाषा संबंधी दायित्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती हैं। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा सचिव एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अखिलेश पाठक द्वारा किया गया। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण को उपयोगी एवं व्यावहारिक बताते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।
शिमला, 22 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला में आज सरकारी कामकाज में हिंदी के व्यावहारिक एवं प्रभावी प्रयोग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला संस्थान के संगोष्ठी कक्ष में अपराह्न आयोजित हुई, जिसमें संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सहभागिता की।
कार्यशाला में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा प्रभाग से श्री अजय कुमार झा, उपनिदेशक (राजभाषा) ने ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में श्री झा ने सरकारी कार्यालयों में हिंदी के सहज, सरल एवं व्यावहारिक प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि हिंदी में मूल टिप्पणी, प्रारूप लेखन तथा पत्राचार न केवल राजभाषा नीति की अपेक्षा है, बल्कि प्रशासनिक कार्य की स्पष्टता एवं प्रभावशीलता भी बढ़ाता है।
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उन्होंने हिंदी में अनुवाद को सरल और बोधगम्य बनाए रखने, तकनीकी शब्दावली के विवेकपूर्ण प्रयोग तथा सरकारी हिंदी और सामाजिक हिंदी के अंतर को कम करने की आवश्यकता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से हिंदी प्रयोग से जुड़ी शंकाओं का समाधान किया।
इस अवसर पर यह भी उल्लेख किया गया कि ऐसी कार्यशालाएं संस्थान में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने तथा राजभाषा संबंधी दायित्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती हैं। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा सचिव एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अखिलेश पाठक द्वारा किया गया। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण को उपयोगी एवं व्यावहारिक बताते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।
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