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शिमला ! हिमाचल प्रदेश में हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि और इनके कारणों की जांच के लिए गठित एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम ने आज यहां मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से भेंट की।मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सलाहकार कर्नल के.पी. सिंह के नेतृत्व में आई टीम को बताया कि राज्य में बादल फटने, अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड), भूस्खलन और मूसलाधार बारिश की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इन आपदाओं से जन-जीवन, बुनियादी ढांचे को नुकसान के साथ-साथ आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति हो रही है और इनकी तीव्रता व प्रभाव में भी वृद्धि हुई है। आपदा प्रभावितों का जनजीवन प्रभावित होता है। सामाजिक ढांचे और राज्य के समग्र विकास पर दीर्घकालिक असर पड़ता है।मुख्य सचिव ने कहा कि पहाड़ी राज्यों के सामने आपदाओं, राहत कार्यों और पुनर्वास को लेकर अलग और गंभीर चुनौतियां होती हैं, इसलिए यह जरूरी है कि इन आपदाओं के कारणों की गहराई से जांच हो ताकि जान-माल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और भविष्य के लिए बेहतर तैयारियां की जा सकें। राज्य और केंद्र सरकार को वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर समाधान सुझाने के लिए गठित इस केंद्रीय टीम में सीएसआईआर-सीबीआरआई (रुड़की) के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस. के. नेगी, मणिपुर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त भू वैज्ञानिक प्रो. अरुण कुमार, आईआईटीएम (पुणे) की रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सुस्मिता जोसफ और आईआईटी इंदौर की सिविल इंजीनियरिंग प्रो. डॉ. नीलिमा सत्यम शामिल हैं। स्थिति की गंभीरता के दृष्टिगत केंद्रीय दल आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा। यह दल एक सप्ताह के भीतर गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
शिमला ! हिमाचल प्रदेश में हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि और इनके कारणों की जांच के लिए गठित एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम ने आज यहां मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से भेंट की।
मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सलाहकार कर्नल के.पी. सिंह के नेतृत्व में आई टीम को बताया कि राज्य में बादल फटने, अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड), भूस्खलन और मूसलाधार बारिश की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इन आपदाओं से जन-जीवन, बुनियादी ढांचे को नुकसान के साथ-साथ आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हाल ही के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति हो रही है और इनकी तीव्रता व प्रभाव में भी वृद्धि हुई है। आपदा प्रभावितों का जनजीवन प्रभावित होता है। सामाजिक ढांचे और राज्य के समग्र विकास पर दीर्घकालिक असर पड़ता है।मुख्य सचिव ने कहा कि पहाड़ी राज्यों के सामने आपदाओं, राहत कार्यों और पुनर्वास को लेकर अलग और गंभीर चुनौतियां होती हैं, इसलिए यह जरूरी है कि इन आपदाओं के कारणों की गहराई से जांच हो ताकि जान-माल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और भविष्य के लिए बेहतर तैयारियां की जा सकें।
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राज्य और केंद्र सरकार को वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर समाधान सुझाने के लिए गठित इस केंद्रीय टीम में सीएसआईआर-सीबीआरआई (रुड़की) के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस. के. नेगी, मणिपुर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त भू वैज्ञानिक प्रो. अरुण कुमार, आईआईटीएम (पुणे) की रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सुस्मिता जोसफ और आईआईटी इंदौर की सिविल इंजीनियरिंग प्रो. डॉ. नीलिमा सत्यम शामिल हैं।
स्थिति की गंभीरता के दृष्टिगत केंद्रीय दल आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा। यह दल एक सप्ताह के भीतर गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
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