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शिमला ! शिमला धरोहर चलती रेल में पांचवीं भलकू स्मृति साहित्यिक यात्रा का आयोजन 8 और 9 जुलाई, २०२३ को: 35 लेखक देश के विभिन्न कोनों से लेंगे भाग. स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर (कर्नल) धनीराम शाण्डिल यात्रा को देंगे हरी झंडी। विश्व धरोहर के रूप में विख्यात शिमला-कालका चलती रेल में हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा 8 और 9 जुलाई, 2023 को पांचवीं बाबा भलखू स्मृति साहित्यिक रेल यात्रा का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जायेगा जिसमें हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.(कर्नल) धनीराम शांडिल मुख्य अतिथि के रूप में शिमला रेलवे स्टेशन से यात्रा को फ्लैग ऑफ करेंगे। इस यात्रा में देश और प्रदेश के विभिन्न भागों से स्थानीय लेखकों सहित 35 लेखक, पत्रकार, रंगकर्मी और लोक गायक शामिल रहेंगे। पहले दिन की रेल यात्रा शिमला स्टेशन से बड़ोग रेलवे स्टेशन तक और वहां से वापिस शिमला रेलवे स्टेशन आएगी। सभी लेखक दूसरे दिन बस से झाझा{चायल} बाबा भलकू के पुश्तैनी गाँव और घर जायेंगे। चलती रेल में कहानी, संस्मरण, कविता, गजल, संगीत के कई सत्र रेलवे स्टेशनों के नाम से सम्पन्न होंगे। इस यात्रा में पूर्ण मार्गदर्शन और सहयोग शिमला रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक संजय गेरा और जोगिन्द्र वोहरा का रहेगा। यह जानकारी आज मीडिया को हिमालय मंच के अध्यक्ष और प्रख्यात लेखक एस.आर.हरनोट ने दी। हरनोट ने बताया कि पहले दिन अतिथि लेखकों का स्वागत सम्मान किया जायेगा और साथ रेलवे स्टेशनों के नाम से कविता, कहानी, संस्मरण, गीत, लोकगीतों के सत्र आयोजित किये जायेंगे। हिमालय साहित्य मंच की सदस्य लेखिका दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ के कहानी संग्रह ‘प्याली भर जुगुप्सा‘ का भी विमोचन होगा जिसकी अध्यक्षता कानपुर से आईं वरिष्ठ पत्रकार रोमी अरोड़ा करेंगी और मुख्य वक्ता में कानपुर से पधारे वरिष्ठ लेखक और रंगकर्मी राजेश अरोड़ा और दिल्ली से आईं वरिष्ठ साहित्यकार ज्योत्स्ना मिश्रा शामिल रहेगी। मंच संचालन युवा लेखिका व फिल्म निर्माता डॉ.देवकन्या द्वारा किया जायेगा. इसी दौरान बरेली से आई उपन्यासकार सीमा असीम का नया उपन्यास जाग मुसाफिर का लोकार्पण भी होगा। हरनोट ने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य आपसी प्रेमभाव और साहित्यिक आदान प्रदान के साथ अपनी धरोहर को स्मरण करना भी है। यह यात्रा कालका शिमला और हिंदुस्तान तिब्बत रोड़ के सर्वेक्षण और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले निरक्षर इंजिनियर बाबा भलकू और अन्य कामगारों को समर्पित होती है। यात्रा के दूसरे दिन लेखक भलकू के पुश्तैनी गाँव झाझा जाते हैं और उनके परिजनों तथा ग्रामीणों से मिलते हैं। इस यात्रा में इस बार जो लेखक भाग ले रहे हैं उनमें डॉ.किरण सूद(देहरादून), डॉ.प्ररेणा ठाकरे (नीमच मध्य प्रदेश), राजेश अरोड़ा और रोमी अरोड़ा(कानपुर), ई.एस.पी.सिंह(पटना विहार), सीमा असीम(बरैली), ज्योत्स्ना मिश्र, ज्योति बक्सी और गायत्री मनचंदा (नई दिल्ली), संदीप वैद्य(मुम्बई), रवि कुमार और अनिल शर्मा(बिलासपुर), रौशन जसवाल और विनोद रोहतकी(सोलन), जगदीश बाली और हितेन्द्र शर्मा(कुमार सैन) सहित डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी, डॉ. अनिता शर्मा, डॉ.कर्मसिंह, डॉ.देव कन्या ठाकुर, लेखराज चौहान, डॉ.मधु शर्मा कात्यायनी, जगदीश कश्यप, सुमन धनंजय, वीरेन्द्र शर्मा, जगदीश गौतम, शांति स्वरूप शर्मा, यादव चंद शिमला से शामिल हैं।
शिमला ! शिमला धरोहर चलती रेल में पांचवीं भलकू स्मृति साहित्यिक यात्रा का आयोजन 8 और 9 जुलाई, २०२३ को: 35 लेखक देश के विभिन्न कोनों से लेंगे भाग. स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर (कर्नल) धनीराम शाण्डिल यात्रा को देंगे हरी झंडी।
विश्व धरोहर के रूप में विख्यात शिमला-कालका चलती रेल में हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा 8 और 9 जुलाई, 2023 को पांचवीं बाबा भलखू स्मृति साहित्यिक रेल यात्रा का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जायेगा जिसमें हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.(कर्नल) धनीराम शांडिल मुख्य अतिथि के रूप में शिमला रेलवे स्टेशन से यात्रा को फ्लैग ऑफ करेंगे।
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इस यात्रा में देश और प्रदेश के विभिन्न भागों से स्थानीय लेखकों सहित 35 लेखक, पत्रकार, रंगकर्मी और लोक गायक शामिल रहेंगे। पहले दिन की रेल यात्रा शिमला स्टेशन से बड़ोग रेलवे स्टेशन तक और वहां से वापिस शिमला रेलवे स्टेशन आएगी।
सभी लेखक दूसरे दिन बस से झाझा{चायल} बाबा भलकू के पुश्तैनी गाँव और घर जायेंगे। चलती रेल में कहानी, संस्मरण, कविता, गजल, संगीत के कई सत्र रेलवे स्टेशनों के नाम से सम्पन्न होंगे।
इस यात्रा में पूर्ण मार्गदर्शन और सहयोग शिमला रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक संजय गेरा और जोगिन्द्र वोहरा का रहेगा। यह जानकारी आज मीडिया को हिमालय मंच के अध्यक्ष और प्रख्यात लेखक एस.आर.हरनोट ने दी।
हरनोट ने बताया कि पहले दिन अतिथि लेखकों का स्वागत सम्मान किया जायेगा और साथ रेलवे स्टेशनों के नाम से कविता, कहानी, संस्मरण, गीत, लोकगीतों के सत्र आयोजित किये जायेंगे। हिमालय साहित्य मंच की सदस्य लेखिका दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ के कहानी संग्रह ‘प्याली भर जुगुप्सा‘ का भी विमोचन होगा जिसकी अध्यक्षता कानपुर से आईं वरिष्ठ पत्रकार रोमी अरोड़ा करेंगी और मुख्य वक्ता में कानपुर से पधारे वरिष्ठ लेखक और रंगकर्मी राजेश अरोड़ा और दिल्ली से आईं वरिष्ठ साहित्यकार ज्योत्स्ना मिश्रा शामिल रहेगी।
मंच संचालन युवा लेखिका व फिल्म निर्माता डॉ.देवकन्या द्वारा किया जायेगा. इसी दौरान बरेली से आई उपन्यासकार सीमा असीम का नया उपन्यास जाग मुसाफिर का लोकार्पण भी होगा।
हरनोट ने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य आपसी प्रेमभाव और साहित्यिक आदान प्रदान के साथ अपनी धरोहर को स्मरण करना भी है। यह यात्रा कालका शिमला और हिंदुस्तान तिब्बत रोड़ के सर्वेक्षण और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले निरक्षर इंजिनियर बाबा भलकू और अन्य कामगारों को समर्पित होती है। यात्रा के दूसरे दिन लेखक भलकू के पुश्तैनी गाँव झाझा जाते हैं और उनके परिजनों तथा ग्रामीणों से मिलते हैं।
इस यात्रा में इस बार जो लेखक भाग ले रहे हैं उनमें डॉ.किरण सूद(देहरादून), डॉ.प्ररेणा ठाकरे (नीमच मध्य प्रदेश), राजेश अरोड़ा और रोमी अरोड़ा(कानपुर), ई.एस.पी.सिंह(पटना विहार), सीमा असीम(बरैली), ज्योत्स्ना मिश्र, ज्योति बक्सी और गायत्री मनचंदा (नई दिल्ली), संदीप वैद्य(मुम्बई), रवि कुमार और अनिल शर्मा(बिलासपुर), रौशन जसवाल और विनोद रोहतकी(सोलन), जगदीश बाली और हितेन्द्र शर्मा(कुमार सैन) सहित डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी, डॉ. अनिता शर्मा, डॉ.कर्मसिंह, डॉ.देव कन्या ठाकुर, लेखराज चौहान, डॉ.मधु शर्मा कात्यायनी, जगदीश कश्यप, सुमन धनंजय, वीरेन्द्र शर्मा, जगदीश गौतम, शांति स्वरूप शर्मा, यादव चंद शिमला से शामिल हैं।
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