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शिमला , 20 सितंबर [ विशाल सूद ] ! पंडित आचार्य मस्तराम ने शिमला में बताया कि आगामी सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा। हालांकि, इसका प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कई लोग मानते हैं कि भारत में ग्रहण दिखाई न देने के कारण इसका कोई असर नहीं होगा, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से इसका प्रभाव हर जगह होता है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में विशेष सतर्कता रखनी चाहिए। इस दौरान उन्हें किसी प्रकार के काटने-छीलने या लोहे से जुड़े कार्यों से बचना चाहिए ताकि गर्भस्थ शिशु पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इसके अलावा ग्रहण के समय भोजन करना भी निषेध माना गया है। ग्रहण से लगभग 10 घंटे पूर्व से ही यह निषेध लागू हो जाता है क्योंकि उस समय से ग्रहण का प्रभाव शुरू हो जाता है। पंडित ने बताया कि परंपराओं के अनुसार भोजन सामग्री पर तुलसी पत्र रखने की प्रथा है, जिससे नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर शुद्ध होकर भोजन करना ही उचित माना गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष विशेष स्थिति में दो बार नवरात्र पड़ रहे हैं। आगामी नवरात्र 22 सितंबर की रात 1:23 बजे से प्रारंभ होकर 23 सितंबर की सुबह लगभग 2:05 बजे तक प्रतिपदा तिथि के साथ प्रारंभ होंगे। उन्होंने कहा कि नवरात्रों का धार्मिक महत्व है और यह काल साधना, व्रत और देवी उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शिमला , 20 सितंबर [ विशाल सूद ] ! पंडित आचार्य मस्तराम ने शिमला में बताया कि आगामी सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा। हालांकि, इसका प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कई लोग मानते हैं कि भारत में ग्रहण दिखाई न देने के कारण इसका कोई असर नहीं होगा, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से इसका प्रभाव हर जगह होता है।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में विशेष सतर्कता रखनी चाहिए। इस दौरान उन्हें किसी प्रकार के काटने-छीलने या लोहे से जुड़े कार्यों से बचना चाहिए ताकि गर्भस्थ शिशु पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इसके अलावा ग्रहण के समय भोजन करना भी निषेध माना गया है। ग्रहण से लगभग 10 घंटे पूर्व से ही यह निषेध लागू हो जाता है क्योंकि उस समय से ग्रहण का प्रभाव शुरू हो जाता है।
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पंडित ने बताया कि परंपराओं के अनुसार भोजन सामग्री पर तुलसी पत्र रखने की प्रथा है, जिससे नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर शुद्ध होकर भोजन करना ही उचित माना गया है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष विशेष स्थिति में दो बार नवरात्र पड़ रहे हैं। आगामी नवरात्र 22 सितंबर की रात 1:23 बजे से प्रारंभ होकर 23 सितंबर की सुबह लगभग 2:05 बजे तक प्रतिपदा तिथि के साथ प्रारंभ होंगे। उन्होंने कहा कि नवरात्रों का धार्मिक महत्व है और यह काल साधना, व्रत और देवी उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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