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सोलन ! डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन के कीट विज्ञान विभाग ने कृषि विज्ञान केंद्र, किन्नौर के सहयोग से फसलों के कीटों के जैविक नियंत्रण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। यह प्रशिक्षण शिविर फसल कीट के जैव नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की जनजातीय उपयोजना के तहत आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में पूह, कल्पा और निचार खंड के 50 किसानों ने भाग लिया। डॉ. सुभाष कुमार वर्मा, परियोजना के प्रधान अन्वेषक ने सेब और क्षेत्र की अन्य फसलों के कीटों के प्रबंधन के लिए जैव नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। किसानों को फसलों के कीटों के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के महत्व और सिंथेटिक कीटनाशकों के गैर-विवेकपूर्ण उपयोग के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराया गया। किसानों को सिंथेटिक रसायनों के स्थान पर किसानों को उपलब्ध प्राकृतिक शत्रुओं और माइक्रोबियल जैव कीटनाशकों जैसे विभिन्न जैव नियंत्रण विकल्पों से भी अवगत कराया गया। परियोजना के सह-प्रमुख अन्वेषक डॉ वी॰जी॰एस॰ चंदेल ने कीटों और रोगों के प्रबंधन के लिए इन बायो एजेंट्स और बायो पेस्टीसाइड के गुणन और उपयोग की प्रक्रिया के बारे में बताया। डॉ. अरुण नेगी ने क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र शारबो और केवीके किन्नौर के पास उपलब्ध विभिन्न फलों के पौधों की किस्मों के बारे में बताया, जबकि डॉ. निधिश गौतम ने फलों के पौधों के साथ सब्जियों की फसलों की इंटरक्रॉपिंग पर जोर दिया। नौणी विवि की किसान मार्गदर्शिका के अलावा नीम से बने उत्पाद, ट्राइकोडर्मा फॉर्मूलेशन, जीवामृत, घनजीवामृत और अग्निअस्त्र जैसे पर्यावरण के अनुकूल आदानों भी किसानों को बांटे गए। किसानों के प्रश्नों को संबोधित करने के साथ-साथ कीट प्रबंधन में पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण के विभिन्न पहलुओं पर किसानों और वैज्ञानिकों के बीच एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ प्रशिक्षण का समापन हुआ। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन ! डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन के कीट विज्ञान विभाग ने कृषि विज्ञान केंद्र, किन्नौर के सहयोग से फसलों के कीटों के जैविक नियंत्रण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। यह प्रशिक्षण शिविर फसल कीट के जैव नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की जनजातीय उपयोजना के तहत आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में पूह, कल्पा और निचार खंड के 50 किसानों ने भाग लिया।
डॉ. सुभाष कुमार वर्मा, परियोजना के प्रधान अन्वेषक ने सेब और क्षेत्र की अन्य फसलों के कीटों के प्रबंधन के लिए जैव नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। किसानों को फसलों के कीटों के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के महत्व और सिंथेटिक कीटनाशकों के गैर-विवेकपूर्ण उपयोग के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराया गया। किसानों को सिंथेटिक रसायनों के स्थान पर किसानों को उपलब्ध प्राकृतिक शत्रुओं और माइक्रोबियल जैव कीटनाशकों जैसे विभिन्न जैव नियंत्रण विकल्पों से भी अवगत कराया गया। परियोजना के सह-प्रमुख अन्वेषक डॉ वी॰जी॰एस॰ चंदेल ने कीटों और रोगों के प्रबंधन के लिए इन बायो एजेंट्स और बायो पेस्टीसाइड के गुणन और उपयोग की प्रक्रिया के बारे में बताया। डॉ. अरुण नेगी ने क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र शारबो और केवीके किन्नौर के पास उपलब्ध विभिन्न फलों के पौधों की किस्मों के बारे में बताया, जबकि डॉ. निधिश गौतम ने फलों के पौधों के साथ सब्जियों की फसलों की इंटरक्रॉपिंग पर जोर दिया।
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नौणी विवि की किसान मार्गदर्शिका के अलावा नीम से बने उत्पाद, ट्राइकोडर्मा फॉर्मूलेशन, जीवामृत, घनजीवामृत और अग्निअस्त्र जैसे पर्यावरण के अनुकूल आदानों भी किसानों को बांटे गए। किसानों के प्रश्नों को संबोधित करने के साथ-साथ कीट प्रबंधन में पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण के विभिन्न पहलुओं पर किसानों और वैज्ञानिकों के बीच एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ प्रशिक्षण का समापन हुआ।
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