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शिमला, 11 जून [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में “छात्र प्रवास के पैटर्न और भारत में उच्च शिक्षा पर उसके प्रभाव” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी 10–11 जून 2025 को आयोजित की गई जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं ने शिरकत की।कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र प्रोफेसर राघवेंद्र पी. तिवारी, निदेशक, आईआईएएस (ऑनलाइन), द्वारा स्वागत भाषण से प्रारंभ हुआ। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन प्रोफेसर सुधाकर वेणुपल्ली (सीनियर प्रोफेसर, IEDS) ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने भारत में छात्रों के आंतरिक प्रवास को सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण करार दिया। विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर वी. के. मल्होत्रा (अध्यक्ष, मध्यप्रदेश खाद्य आयोग) ने अपने उद्घाटन भाषण में उच्च शिक्षा में असमान संसाधनों के चलते उत्पन्न होने वाले प्रवास प्रवृत्तियों को विस्तार से समझाया। प्रस्तुत शोधपत्रों और पैनल चर्चाओं में छात्रों के अंतरराज्यीय प्रवास के विविध आयामों पर गहन मंथन किया गया— जिनमें प्रवासन और प्रतिनिधित्व, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, डिजिटल शिक्षा की भूमिका, नीति एवं शासकीय उत्तरदायित्व, और शहरी-अर्धशहरी प्रवास के प्रभाव शामिल रहे। संगोष्ठी के दौरान प्रो. बीजू के.सी. (क्राइस्ट यूनिवर्सिटी), प्रो. सतीश वर्मा (आरबीआई चेयर, चंडीगढ़), डॉ. संदीप दत्ता (डीएसई), डॉ. विकोलिनुओ किरे (नागालैंड), डॉ. रमैया पटेल (जेएनयू), डॉ. विनोद सेन (आईजीएनटीयू), डॉ. तन्वी पत्रा (एमिटी यूनिवर्सिटी), और अनेक अन्य विशेषज्ञों ने सत्रों की अध्यक्षता एवं प्रस्तुतियां दीं। दूसरे दिन समापन सत्र में संगोष्ठी का सार-संक्षेप डॉ. अनिश गुप्ता और शुभम शर्मा ने प्रस्तुत किया। समापन उद्बोधन आईआईएएस के निदेशक प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी द्वारा दिया गया तथा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुधाकर वेणुपल्ली द्वारा प्रस्तुत किया गया।संगोष्ठी में प्रस्तुत विमर्श इस बात पर केंद्रित रहा कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में छात्र प्रवासन सिर्फ शैक्षणिक नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पुनर्संरचना का माध्यम बन चुका है, जिसकी सम्यक समझ और नीति निर्माण में समावेश अत्यंत आवश्यक है।
शिमला, 11 जून [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में “छात्र प्रवास के पैटर्न और भारत में उच्च शिक्षा पर उसके प्रभाव” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी 10–11 जून 2025 को आयोजित की गई जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं ने शिरकत की।कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र प्रोफेसर राघवेंद्र पी. तिवारी, निदेशक, आईआईएएस (ऑनलाइन), द्वारा स्वागत भाषण से प्रारंभ हुआ। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन प्रोफेसर सुधाकर वेणुपल्ली (सीनियर प्रोफेसर, IEDS) ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने भारत में छात्रों के आंतरिक प्रवास को सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण करार दिया।
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर वी. के. मल्होत्रा (अध्यक्ष, मध्यप्रदेश खाद्य आयोग) ने अपने उद्घाटन भाषण में उच्च शिक्षा में असमान संसाधनों के चलते उत्पन्न होने वाले प्रवास प्रवृत्तियों को विस्तार से समझाया। प्रस्तुत शोधपत्रों और पैनल चर्चाओं में छात्रों के अंतरराज्यीय प्रवास के विविध आयामों पर गहन मंथन किया गया— जिनमें प्रवासन और प्रतिनिधित्व, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, डिजिटल शिक्षा की भूमिका, नीति एवं शासकीय उत्तरदायित्व, और शहरी-अर्धशहरी प्रवास के प्रभाव शामिल रहे।
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संगोष्ठी के दौरान प्रो. बीजू के.सी. (क्राइस्ट यूनिवर्सिटी), प्रो. सतीश वर्मा (आरबीआई चेयर, चंडीगढ़), डॉ. संदीप दत्ता (डीएसई), डॉ. विकोलिनुओ किरे (नागालैंड), डॉ. रमैया पटेल (जेएनयू), डॉ. विनोद सेन (आईजीएनटीयू), डॉ. तन्वी पत्रा (एमिटी यूनिवर्सिटी), और अनेक अन्य विशेषज्ञों ने सत्रों की अध्यक्षता एवं प्रस्तुतियां दीं।
दूसरे दिन समापन सत्र में संगोष्ठी का सार-संक्षेप डॉ. अनिश गुप्ता और शुभम शर्मा ने प्रस्तुत किया। समापन उद्बोधन आईआईएएस के निदेशक प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी द्वारा दिया गया तथा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुधाकर वेणुपल्ली द्वारा प्रस्तुत किया गया।संगोष्ठी में प्रस्तुत विमर्श इस बात पर केंद्रित रहा कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में छात्र प्रवासन सिर्फ शैक्षणिक नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पुनर्संरचना का माध्यम बन चुका है, जिसकी सम्यक समझ और नीति निर्माण में समावेश अत्यंत आवश्यक है।
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